दोपहर के दो बज रहे थे. एमएनएनआईटी कैंपस में रहने वाले डायरेक्टर पी चक्रवर्ती के घर पर मातमी सन्नाटे का आलम. बाहर मौजूद लोगों को घर का दरवाजा खुलने का बेसब्री से इंतजार था. दरवाजा खुला तो डायरेक्टर की वाइफ डॉ रूना चक्रवती सामने थीं. लगातार रोने से आंखें सूज गई थीं. चेहरे का भाव बताता था कि उनके दर्द का एहसास कर पाना मुश्किल है. सामने मीडिया के लोगों को देखकर वह फफक पड़ीं. पांच मिनट लग गए उन्हें खुद को नियंत्रित करने में. इसके बाद डोडा की असामयिक मौत से मिले जख्म पर बोलना शुरू किया तो सामनेवालों की भी आंखें भर आई.
तीन साल पहले मिला था
रूना के मुताबिक बात तीन साल पुरानी है जब वे रूना को अपने साथ ले आए थे. वक्त बीतने के साथ वह मुझसे और बेटी इशिता से इतना घुल-मिल गया कि उसके बिना रहने के बारे में सोचना मुश्किल था. पति भी उससे बेहद अटैच थे. एक साथ के भीतर वह परिवार के सदस्य की तरह हो गया था. मेरे लिए तो वह बेटे जैसा था. हम कहीं भी जाते उसे साथ लेकर जाते थे.
जानवर था पर सीख गया था इंसानी सलीके
रूना के मुताबिक वह जानवर था लेकिन हमारे साथ रहते हुए उसने इंसानी सलीके सीख लिए थे. बिस्तर खराब नहीं करता था, टॉयलेट जाना होता था तो किसी न किसी को पकड़कर खींचता और उस स्थान की ओर ले जाता. सुबह न्यूज पेपर लेकर कमरे में आता था. लेट तक सोने वालों को जगाना उनका काम था. घर से बाहर निकले सदस्य के लौटते ही उसका वेलकम करना. उसके साथ खेलना उसका रुटीन था. कुल मिलाकर वह घर की रौनक बन गया था. हर किसी का अजीज था. उससे बिछड़ने के बारे में सोचना मुश्किल था. ऐसे में कुछ दिन पहले डोडो बीमार पड़ा तो पूरे परिवार की नींद उड़ गई. डॉक्टर को दिखाया और ट्रीटमेंट भी कराया लेकिन डॉक्टर की जरा सी लापरवाही से उनके फैमिली का एक मेम्बर हमेशा के लिए कम हो गया. इस दर्द को दूसरा कोई नहीं समझ सकता.
रात भर मनाते रहे मातम
रूना ने बताया कि सोमवार रात साढ़े नौ बजे डोडो ने अंतिम सांस ली. डॉक्टर ने सॉरी बोला तो पूरा परिवार सन्नाटे में आ गया. जन्माष्टमी के दिन हुई इस घटना के बाद पूरा परिवार मातम में पूरी रात रहा. उनके इस दर्द को समझने वाले कम ही थे. रात बमुश्किल गुजरी. इसी दौरान फैसला लिया गया कि उसे दफना दिया जाय. डायरेक्टर के आवास कैंपस में ही डोडो को दफनाया गया. इसके बाद पूरे परिवार ने उसे अश्रूपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान एमएनएनआईटी परिवार के कई सदस्य मौजूद रहे.
इस दर्द को समझे हर कोई
डॉक्टर रूना ने कहा कि अब इस बात का कोई मतलब नहीं है कि डॉक्टर को सजा मिलती है या नहीं. जरूरी यह है कि हर कोई उन्हें सिर्फ जानवर न समझे. उसे प्यार दें, यकीन मानिए हमारा अनुभव है कि आप एक कदम बढ़ाएंगे और वह तीन कदम आगे बढ़कर आपके साथ खड़ा मिलेगा. हमें इन जानवरों के प्रति संवदेनशील होना चाहिए.
तीन साल पहले मिला था
रूना के मुताबिक बात तीन साल पुरानी है जब वे रूना को अपने साथ ले आए थे. वक्त बीतने के साथ वह मुझसे और बेटी इशिता से इतना घुल-मिल गया कि उसके बिना रहने के बारे में सोचना मुश्किल था. पति भी उससे बेहद अटैच थे. एक साथ के भीतर वह परिवार के सदस्य की तरह हो गया था. मेरे लिए तो वह बेटे जैसा था. हम कहीं भी जाते उसे साथ लेकर जाते थे.
जानवर था पर सीख गया था इंसानी सलीके
रूना के मुताबिक वह जानवर था लेकिन हमारे साथ रहते हुए उसने इंसानी सलीके सीख लिए थे. बिस्तर खराब नहीं करता था, टॉयलेट जाना होता था तो किसी न किसी को पकड़कर खींचता और उस स्थान की ओर ले जाता. सुबह न्यूज पेपर लेकर कमरे में आता था. लेट तक सोने वालों को जगाना उनका काम था. घर से बाहर निकले सदस्य के लौटते ही उसका वेलकम करना. उसके साथ खेलना उसका रुटीन था. कुल मिलाकर वह घर की रौनक बन गया था. हर किसी का अजीज था. उससे बिछड़ने के बारे में सोचना मुश्किल था. ऐसे में कुछ दिन पहले डोडो बीमार पड़ा तो पूरे परिवार की नींद उड़ गई. डॉक्टर को दिखाया और ट्रीटमेंट भी कराया लेकिन डॉक्टर की जरा सी लापरवाही से उनके फैमिली का एक मेम्बर हमेशा के लिए कम हो गया. इस दर्द को दूसरा कोई नहीं समझ सकता.
रात भर मनाते रहे मातम
रूना ने बताया कि सोमवार रात साढ़े नौ बजे डोडो ने अंतिम सांस ली. डॉक्टर ने सॉरी बोला तो पूरा परिवार सन्नाटे में आ गया. जन्माष्टमी के दिन हुई इस घटना के बाद पूरा परिवार मातम में पूरी रात रहा. उनके इस दर्द को समझने वाले कम ही थे. रात बमुश्किल गुजरी. इसी दौरान फैसला लिया गया कि उसे दफना दिया जाय. डायरेक्टर के आवास कैंपस में ही डोडो को दफनाया गया. इसके बाद पूरे परिवार ने उसे अश्रूपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान एमएनएनआईटी परिवार के कई सदस्य मौजूद रहे.
इस दर्द को समझे हर कोई
डॉक्टर रूना ने कहा कि अब इस बात का कोई मतलब नहीं है कि डॉक्टर को सजा मिलती है या नहीं. जरूरी यह है कि हर कोई उन्हें सिर्फ जानवर न समझे. उसे प्यार दें, यकीन मानिए हमारा अनुभव है कि आप एक कदम बढ़ाएंगे और वह तीन कदम आगे बढ़कर आपके साथ खड़ा मिलेगा. हमें इन जानवरों के प्रति संवदेनशील होना चाहिए.
Source: Allahabad Hindi News & Online Hindi Newspaper
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