कहते हैं कि हुनर किसी परिचय का मोहताज नहीं होता. अगर हुनर को पहचानकर उसे आगे बढ़ाने की ठान ली जाए तो उस राह में आने वाली मुश्किलें भी मजा देती हैं. यहां हम कुछ ऐसे ही होनहारों की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर को पहचानकर इसे एक नया मुकाम देने का ठाना और इसमें सफल भी हुए. वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के मौके पर आप भी मिलिए इन कैमरों के कलाकारों से, जिन्होंने फोटोग्राफी के शौक को आज एक पैशन में तब्दील कर दिया है.
नेवर एंडिंग प्रोसेस ऑफ लर्निग
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में लेक्चरर डॉ. पंकज शर्मा के पेंटिंग के शौक ने उन्हें मशहूर आर्कियोलॉजिकल फोटोग्राफर बना दिया. बचपन में कागज पर चित्र उकेरने का चस्का बड़े होते-होते कैमरे से क्लिक करने में बदल गया. क्990 में पहली बार एसएलआर कैमरा हैंडल करने को मिला तो उन्होंने मुंबई सी-बीचेज को कैमरे में कैद किया. फोटोज बेहतर आईं तो शौक और आगे बढ़ा और कैमरा टेक्निक्स को सीखना शुरू कर दिया. कई लोगों ने उनके इस शौक को क्रिटिसाइज भी किया पर इसके बावजूद पंकज ने कैमरे को अपने से दूर नहीं किया. यूनिवर्सिटी टूर के दौरान उन्हें आर्कियोलॉजिकल फोटोज क्लिक करने का मौका मिला. प्रैक्टिस करते करते उनके हाथ में सफाई आ गई तो क्99म् में नेशनल लेवल एग्जिबीशन में उनके फोटो सेलेक्ट हो गए. वहीं ख्0क्फ् में सूचना प्रसारण मंत्रालय में 'सर्वश्रेष्ठ प्रोफेशनल छायाकार' राष्ट्रीय पुरस्कार का सम्मान मिला. इसके अलावा ख्0क्क् में उप्र. राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ से सम्मानित पंकज अभी तक म् नेशनल लेवल सोलो एग्जिबीशन में अपने फोटोज प्रेजेंट कर चुके हैं. फोटोग्राफी को वह नेवर इंडिंग प्रोसेस ऑफ लर्निग मानते हैं.
पेरेंट्स से मिला फोटोग्राफी का हुनर
डिफेंस सर्विस से रिटायर्ड दीपक घोष को फूलों को कैप्चर करने का बेहद शौक है और आज इसी शौक की बदौलत वह फेमस बॉयोडायवर्सिटी फोटोग्राफर हैं. वह अपनी सक्सेस का क्रेडिट पिता एचआर घोष और मां के फूलों के शौक को सौंपते हैं. उन्होंने सन् क्97भ् में पहली बार कैमरा पकड़ते ही फूलों को क्लिक करना शुरू किया. जॉब करते हुए भारत भ्रमण करने का मौका मिला. इस दौरान हिल्स एरिया समेत देश के कई राज्यों से इन्होंने फूलों की कई विभिन्न प्रजातियों को कैप्चर किया. इन्हें साल ख्000 में वर्ल्ड डायवर्सिटी डे के मौके पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से बेस्ट फोटोग्राफर ऑफ द इयर सम्मान से सम्मानित किया गया. जॉब के साथ ही दीपक करीब ख्7 ज्वॉइंट और 7 सोलो एग्जिबीशन नेशनल लेवल पर ऑर्गनाइज कर चुके हैं. ख्009 में रिटायर होने के बाद फोटोग्राफी का जूनून और भी बढ़ा. दीपक घोष को फोटोग्राफी की विधा टेबल टॉक में भी महारत हासिल है.
छोटी उम्र में बड़े क्लिक्स
एमएससी के स्टूडेंट सतपाल की उम्र महज ख्ब् वर्ष है, लेकिन उनके क्लिक्स बड़े-बड़े को मात देने वाले हैं. फोटोग्राफी के क्षेत्र में इनका पहला इंस्ट्रेस्ट ख्008 में फोटोग्राफी मैगजीन पढ़ने के साथ शुरू हुआ. उस मैगजीन के फोटोज से इंस्पायर होकर सतपाल ने डीएसएलआर कैमरा खरीदा और फिर शुरू हुआ अथक अभ्यास का सिलसिला. परफेक्ट क्लिक करने के लिए फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली और फिर फोटोग्राफी कॉम्पिटीश में पार्टिसिपेट करने लगे. सतपाल ख्0क्फ् में इंग्लैंड में ट्रैवल एंड टूरिज्म के कमांडेंट अवॉर्ड, यूएसए सोनियन नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की ओर से हाइली ऑनर्ड विनर, ख्0क्ख् में ट्रैवल सर्किट डिप्लोमा अवॉर्ड और इंडियन इंटरनेशनल फोटोग्राफर काउंसिल की ओर से एआईपीसी अवॉर्ड और साथ ही प्राइवेट बैंक्स की ओर से भी ऑर्गनाइज फोटोग्राफी अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं.
नेवर एंडिंग प्रोसेस ऑफ लर्निग
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में लेक्चरर डॉ. पंकज शर्मा के पेंटिंग के शौक ने उन्हें मशहूर आर्कियोलॉजिकल फोटोग्राफर बना दिया. बचपन में कागज पर चित्र उकेरने का चस्का बड़े होते-होते कैमरे से क्लिक करने में बदल गया. क्990 में पहली बार एसएलआर कैमरा हैंडल करने को मिला तो उन्होंने मुंबई सी-बीचेज को कैमरे में कैद किया. फोटोज बेहतर आईं तो शौक और आगे बढ़ा और कैमरा टेक्निक्स को सीखना शुरू कर दिया. कई लोगों ने उनके इस शौक को क्रिटिसाइज भी किया पर इसके बावजूद पंकज ने कैमरे को अपने से दूर नहीं किया. यूनिवर्सिटी टूर के दौरान उन्हें आर्कियोलॉजिकल फोटोज क्लिक करने का मौका मिला. प्रैक्टिस करते करते उनके हाथ में सफाई आ गई तो क्99म् में नेशनल लेवल एग्जिबीशन में उनके फोटो सेलेक्ट हो गए. वहीं ख्0क्फ् में सूचना प्रसारण मंत्रालय में 'सर्वश्रेष्ठ प्रोफेशनल छायाकार' राष्ट्रीय पुरस्कार का सम्मान मिला. इसके अलावा ख्0क्क् में उप्र. राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ से सम्मानित पंकज अभी तक म् नेशनल लेवल सोलो एग्जिबीशन में अपने फोटोज प्रेजेंट कर चुके हैं. फोटोग्राफी को वह नेवर इंडिंग प्रोसेस ऑफ लर्निग मानते हैं.
पेरेंट्स से मिला फोटोग्राफी का हुनर
डिफेंस सर्विस से रिटायर्ड दीपक घोष को फूलों को कैप्चर करने का बेहद शौक है और आज इसी शौक की बदौलत वह फेमस बॉयोडायवर्सिटी फोटोग्राफर हैं. वह अपनी सक्सेस का क्रेडिट पिता एचआर घोष और मां के फूलों के शौक को सौंपते हैं. उन्होंने सन् क्97भ् में पहली बार कैमरा पकड़ते ही फूलों को क्लिक करना शुरू किया. जॉब करते हुए भारत भ्रमण करने का मौका मिला. इस दौरान हिल्स एरिया समेत देश के कई राज्यों से इन्होंने फूलों की कई विभिन्न प्रजातियों को कैप्चर किया. इन्हें साल ख्000 में वर्ल्ड डायवर्सिटी डे के मौके पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से बेस्ट फोटोग्राफर ऑफ द इयर सम्मान से सम्मानित किया गया. जॉब के साथ ही दीपक करीब ख्7 ज्वॉइंट और 7 सोलो एग्जिबीशन नेशनल लेवल पर ऑर्गनाइज कर चुके हैं. ख्009 में रिटायर होने के बाद फोटोग्राफी का जूनून और भी बढ़ा. दीपक घोष को फोटोग्राफी की विधा टेबल टॉक में भी महारत हासिल है.
छोटी उम्र में बड़े क्लिक्स
एमएससी के स्टूडेंट सतपाल की उम्र महज ख्ब् वर्ष है, लेकिन उनके क्लिक्स बड़े-बड़े को मात देने वाले हैं. फोटोग्राफी के क्षेत्र में इनका पहला इंस्ट्रेस्ट ख्008 में फोटोग्राफी मैगजीन पढ़ने के साथ शुरू हुआ. उस मैगजीन के फोटोज से इंस्पायर होकर सतपाल ने डीएसएलआर कैमरा खरीदा और फिर शुरू हुआ अथक अभ्यास का सिलसिला. परफेक्ट क्लिक करने के लिए फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली और फिर फोटोग्राफी कॉम्पिटीश में पार्टिसिपेट करने लगे. सतपाल ख्0क्फ् में इंग्लैंड में ट्रैवल एंड टूरिज्म के कमांडेंट अवॉर्ड, यूएसए सोनियन नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की ओर से हाइली ऑनर्ड विनर, ख्0क्ख् में ट्रैवल सर्किट डिप्लोमा अवॉर्ड और इंडियन इंटरनेशनल फोटोग्राफर काउंसिल की ओर से एआईपीसी अवॉर्ड और साथ ही प्राइवेट बैंक्स की ओर से भी ऑर्गनाइज फोटोग्राफी अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं.
Source: Bareilly Hindi News & Online Hindi Newspaper
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