बिहार कैबिनेट की बैठक में क्क् एजेंडे पास हुए। इसके साथ ही कैबिनेट ने मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवकों (एएसवी) के पैनल को निरस्त कर दिया गया। सहकारिता विभाग की नीति में परिवर्तन के फलस्वरूप पंचायत से प्रखंड स्तर पर फसल कटनी प्रयोग कराने और आर्थिक गणना संपन्न हो जाने के कारण निरस्त करने की स्वीकृति दी गई। मान्यताप्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक के लिए चयन प्रक्रिया वित्तीय वर्ष ख्0क्ख्- क्फ् और ख्0क्फ्- क्ब् में दो चरणों में पूरा किया गया और क्रमश: लगभग क्क्फ्8ब् और म्क्भ्0म् सहित लगभग कुल 7ख्890 को पैनलबद्ध किया गया था.
हटाए जाने का यह तर्क दिया गया
- सहकारिता विभाग के निर्णयानुसार फसल कटनी प्रयोग अब पंचायक स्तर पर न होकर पूर्व की भांति प्रखंड स्तर पर (एनआईएएस) किया जाना है। प्रखंड स्तर पर फसल कटनी प्रयोग संपादन का कार्य पूर्व की भांति अब निदेशालय द्वारा नियमित कर्मियों के माध्यम से किया जा सकेगा। ऐसे में मान्यताप्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक की भूमिका गौण हो गई है.
- आर्थिक गणना अथवा लघु सिंचाई गणना का कार्य भ् वर्षो के अंतराल पर किया जाता है। इस कारण मान्यताप्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक के पैनल को बरकरार रखे जाने का औचित्य ही आधारहीन हो गया है।
- मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक संघ के लिए निकाले गए विज्ञापन में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया था कि यह कोई नियुक्ति या नियमित सेवा नहीं है और न ही यह संविदा आधारित नियुक्ति है।
- विज्ञापन में यह भी स्पष्ट था कि पैनल के माध्यम से कार्य करने वाले को भविष्य में नियमित नियुक्ति का कोई दावा मान्य नहीं होगा.
- इन स्वयंसेवकों से आवेदन शुल्क, परीक्षा शुल्क या निबंधन शुल्क के लिए कोई फीस नहीं ली गई थी.
सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव अशोक चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट भी नहीं आई है और रद्द कर दिया गया। इसके विरोध में 9 जून को राज्य के हर प्रखंड, जिला और कमिश्नरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, योजना एवं विकास मंत्री ललन सिंह, प्रधान सचिव दीपक प्रसाद का पुलता जलाया जाएगा। मामला कोर्ट में भी ले जाएंगे. Read more http://inextlive.jagran.com/patna/
हटाए जाने का यह तर्क दिया गया
- सहकारिता विभाग के निर्णयानुसार फसल कटनी प्रयोग अब पंचायक स्तर पर न होकर पूर्व की भांति प्रखंड स्तर पर (एनआईएएस) किया जाना है। प्रखंड स्तर पर फसल कटनी प्रयोग संपादन का कार्य पूर्व की भांति अब निदेशालय द्वारा नियमित कर्मियों के माध्यम से किया जा सकेगा। ऐसे में मान्यताप्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक की भूमिका गौण हो गई है.
- आर्थिक गणना अथवा लघु सिंचाई गणना का कार्य भ् वर्षो के अंतराल पर किया जाता है। इस कारण मान्यताप्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक के पैनल को बरकरार रखे जाने का औचित्य ही आधारहीन हो गया है।
- मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक संघ के लिए निकाले गए विज्ञापन में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया था कि यह कोई नियुक्ति या नियमित सेवा नहीं है और न ही यह संविदा आधारित नियुक्ति है।
- विज्ञापन में यह भी स्पष्ट था कि पैनल के माध्यम से कार्य करने वाले को भविष्य में नियमित नियुक्ति का कोई दावा मान्य नहीं होगा.
- इन स्वयंसेवकों से आवेदन शुल्क, परीक्षा शुल्क या निबंधन शुल्क के लिए कोई फीस नहीं ली गई थी.
सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव अशोक चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट भी नहीं आई है और रद्द कर दिया गया। इसके विरोध में 9 जून को राज्य के हर प्रखंड, जिला और कमिश्नरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, योजना एवं विकास मंत्री ललन सिंह, प्रधान सचिव दीपक प्रसाद का पुलता जलाया जाएगा। मामला कोर्ट में भी ले जाएंगे. Read more http://inextlive.jagran.com/patna/
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