परिवहन विभाग ने गाडि़यों की सुरक्षा और आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने
के लिए 5 साल पहले एक योजना शुरू की थी। जिसके तहत सभी प्रकार की गाडि़यों
में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) लगाने का काम शुरू किया
था, लेकिन परिवहन विभाग सिर्फ नई गाडि़यों में ही एचएसआरपी लगवा पा रहा है।
पुरानी गाडि़यां आज भी बगैर एचएसआरपी लगाए फर्राटा भर रही हैं। बगैर
एचएसआरपी की गाडि़यां धड़ल्ले से आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल की जा
रही हैं। शराब तस्करी, पशु तस्करी, चोरी व अन्य प्रकार की आपराधिक
गतिविधियों में ऐसी गाडि़यों का प्रयोग किया जा रहा है, जिनमें एचएसआरपी
नहीं लगाई गई है।
केस 1-
बीते रोज डोईवाला क्षेत्र में दून पुलिस ने दो शराब तस्करों को गिरफ्तार कर उनकी दो कारों से 56 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की थी। जिन कारों से यह शराब बरामद की गई। उनमें फर्जी नंबर प्लेट लगाई गई थी.
केस 2-
हालही में थाना क्लेमेनटाउन के तहत एक आर्मी अधिकारी की कार छावनी में तैनात एक जवान ने चोरी कर ली थी। लच्छीवाला पुल के पास पुलिस ने नंबर प्लेट चेंज करते हुए उसे रंगेहाथ गिरफ्तार किया.
केस 3-
विगत महीने कोतवाली पुलिस ने एक कार चोर को रेलवे स्टेशन से पकड़ा। उसने एक साल पहले कोतवाली क्षेत्र से कार चोरी की थी। जिसकी नंबर प्लेट भी चेंज कर दी थी।
उत्सव- लिंक कंपनी को लगानी है प्लेट
परिवहन विभाग ने उत्तराखंड में एचएसआरपी लगवाने की जिम्मेदारी उत्सव- लिंक कंपनी को सौंपी है। वर्ष 2011 से कंपनी के कर्मचारी सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों में एचएसआरपी लगवाने का काम कर रही है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अभी तक 5 से 6 साल पुरानी गाडि़यों में एचएसआरपी नहीं लग पा रही है। एचएसआरपी लगवाने के प्रति विभागीय अधिकारी लोगों को जागरूक नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही बगैर एचएसआरपी लगाने वाली गाडि़यों के चालान भी नहीं किए जा रहे हैं। जिससे पब्लिक भी बगैर कोई परवाह किए अपनी गाडि़यों में दौड़ रहे हैं। इसके चलते आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ती जा रही हैं.
क्यों है जरूरी एचएसआरपी प्लेट लगाना-
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट एक विशेष प्रकार की नंबर प्लेट है। जिससे गाड़ी की सुरक्षा के लिए लगाई जाती है। इसमें गाड़ी के आगे और पीछे दोनों साइड लगी नंबर प्लेट पर 11 डिजिट का अलग- अलग लेजर कोड नंबर फीड होता है। यह लेजर कोड नंबर हर नंबर प्लेट और गाड़ी के लिए अलग- अलग होता है। यह लेजर कोड नंबर गाड़ी की आरसी में भी दर्ज होगा। साथ में एक विशेष प्रकार का हॉलोग्राम और आईएनडी भी लिखा हुआ है। ऐसे में अगर कोई फर्जी नंबर प्लेट बनाएगा भी तो यह सब विशेषताएं उस फर्जी नंबर प्लेट में शामिल नहीं की जा सकती हैं। Read more http://inextlive.jagran.com/dehradun/
केस 1-
बीते रोज डोईवाला क्षेत्र में दून पुलिस ने दो शराब तस्करों को गिरफ्तार कर उनकी दो कारों से 56 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की थी। जिन कारों से यह शराब बरामद की गई। उनमें फर्जी नंबर प्लेट लगाई गई थी.
केस 2-
हालही में थाना क्लेमेनटाउन के तहत एक आर्मी अधिकारी की कार छावनी में तैनात एक जवान ने चोरी कर ली थी। लच्छीवाला पुल के पास पुलिस ने नंबर प्लेट चेंज करते हुए उसे रंगेहाथ गिरफ्तार किया.
केस 3-
विगत महीने कोतवाली पुलिस ने एक कार चोर को रेलवे स्टेशन से पकड़ा। उसने एक साल पहले कोतवाली क्षेत्र से कार चोरी की थी। जिसकी नंबर प्लेट भी चेंज कर दी थी।
उत्सव- लिंक कंपनी को लगानी है प्लेट
परिवहन विभाग ने उत्तराखंड में एचएसआरपी लगवाने की जिम्मेदारी उत्सव- लिंक कंपनी को सौंपी है। वर्ष 2011 से कंपनी के कर्मचारी सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों में एचएसआरपी लगवाने का काम कर रही है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अभी तक 5 से 6 साल पुरानी गाडि़यों में एचएसआरपी नहीं लग पा रही है। एचएसआरपी लगवाने के प्रति विभागीय अधिकारी लोगों को जागरूक नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही बगैर एचएसआरपी लगाने वाली गाडि़यों के चालान भी नहीं किए जा रहे हैं। जिससे पब्लिक भी बगैर कोई परवाह किए अपनी गाडि़यों में दौड़ रहे हैं। इसके चलते आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ती जा रही हैं.
क्यों है जरूरी एचएसआरपी प्लेट लगाना-
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट एक विशेष प्रकार की नंबर प्लेट है। जिससे गाड़ी की सुरक्षा के लिए लगाई जाती है। इसमें गाड़ी के आगे और पीछे दोनों साइड लगी नंबर प्लेट पर 11 डिजिट का अलग- अलग लेजर कोड नंबर फीड होता है। यह लेजर कोड नंबर हर नंबर प्लेट और गाड़ी के लिए अलग- अलग होता है। यह लेजर कोड नंबर गाड़ी की आरसी में भी दर्ज होगा। साथ में एक विशेष प्रकार का हॉलोग्राम और आईएनडी भी लिखा हुआ है। ऐसे में अगर कोई फर्जी नंबर प्लेट बनाएगा भी तो यह सब विशेषताएं उस फर्जी नंबर प्लेट में शामिल नहीं की जा सकती हैं। Read more http://inextlive.jagran.com/dehradun/
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