हिमाचल के कुल्लू में स्थित है शिवलिंग
हिमाचल के कुल्लू में स्थित इस अनोखे मंदिर का नाम भी बिजली महादेव मंदिर है। शिवजी का यह मंदिर ब्यास और पार्वती नदी के संगम के नजदीक एक पहाड़ पर बना है। गांव के लोग कहते हैं कि बिजली गिरने से जानमाल का नुकसान होता है। देवों के देव महादेव अपने भक्तों की रक्षा के लिए बिजली के आघात को भी सहन कर लेते हैं। आसमानी बिजली गिरने की वजह से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। जब पुजारी इसे मक्खन से जोड़ते हैं तो पुना अपने पूर्ण रूप में आ जाता है।
यह है पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं में कहा गया है प्रचीन काल में एक बार यहां एक बड़ा अजगर रहता था। वह अजगर नहीं कुलांत नाम का राक्षस था। वह राक्षस रूप बदलने की कला में माहिर था। एक बार अजगर मथाण गांव में आ गया और ब्यास नदी के पास कुंडली मार कर बैठ गया। जिससे नदी का पानी रुक गया। देखते ही देखते पूरा गांव जलमग्न होने लगा तब भोलेनाथ शिव ने भक्तों की मदद और जग कल्याण के लिए उस राक्षस का वध किया।
इंद्र गिराते हैं शिवलिंग पर बिजली
इसलिए गिरती है 12 वर्षो में बिजली
भगवान शिव ने जैसे ही अपने त्रिशूल से कुलांत का वध किया वैसे ही उसका शरीर पहाड़ बन गया। इसके बाद भगवान शिव ने इंद्र को आदेश दिया कि हर 12 वर्ष में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। ऐसा माना जाता है कि बिजली गिरने का यह सिलसिला तभी से चला आ रहा है। यहां के लोग मंदिर पर बिजली गिरते देखते हैं। अपने भक्तों की अटूट आस्था को कायम रखते हुए भोलेनाथ सैकड़ो वर्षो से यूं ही अपने भक्तों की रक्षा कर रहे हैं। Read more http://inextlive.jagran.com/odd-news
हिमाचल के कुल्लू में स्थित इस अनोखे मंदिर का नाम भी बिजली महादेव मंदिर है। शिवजी का यह मंदिर ब्यास और पार्वती नदी के संगम के नजदीक एक पहाड़ पर बना है। गांव के लोग कहते हैं कि बिजली गिरने से जानमाल का नुकसान होता है। देवों के देव महादेव अपने भक्तों की रक्षा के लिए बिजली के आघात को भी सहन कर लेते हैं। आसमानी बिजली गिरने की वजह से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। जब पुजारी इसे मक्खन से जोड़ते हैं तो पुना अपने पूर्ण रूप में आ जाता है।
यह है पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं में कहा गया है प्रचीन काल में एक बार यहां एक बड़ा अजगर रहता था। वह अजगर नहीं कुलांत नाम का राक्षस था। वह राक्षस रूप बदलने की कला में माहिर था। एक बार अजगर मथाण गांव में आ गया और ब्यास नदी के पास कुंडली मार कर बैठ गया। जिससे नदी का पानी रुक गया। देखते ही देखते पूरा गांव जलमग्न होने लगा तब भोलेनाथ शिव ने भक्तों की मदद और जग कल्याण के लिए उस राक्षस का वध किया।
इंद्र गिराते हैं शिवलिंग पर बिजली
इसलिए गिरती है 12 वर्षो में बिजली
भगवान शिव ने जैसे ही अपने त्रिशूल से कुलांत का वध किया वैसे ही उसका शरीर पहाड़ बन गया। इसके बाद भगवान शिव ने इंद्र को आदेश दिया कि हर 12 वर्ष में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। ऐसा माना जाता है कि बिजली गिरने का यह सिलसिला तभी से चला आ रहा है। यहां के लोग मंदिर पर बिजली गिरते देखते हैं। अपने भक्तों की अटूट आस्था को कायम रखते हुए भोलेनाथ सैकड़ो वर्षो से यूं ही अपने भक्तों की रक्षा कर रहे हैं। Read more http://inextlive.jagran.com/odd-news
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