Thursday, July 31, 2014

viral fever creating trouble

बारिश कम होने और फिजा में नमी बढ़ने से वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक हो चले हैं. उनका नेचर चेंज हो जाने से वायरल इंफेक्शन के लक्षण भी बदल गए हैं. हालत ये है कि मरीज कन्फ्यूजन का शिकार होकर मलेरिया की जांच करा रहे हैं. और तो और, डॉक्टर भी सहूलियत के चलते जांच की सलाह दे रहे हैं. इसके साथ ही फीवर की मियाद भी बढ़ गई है, जिसके चलते मरीजों को ठीक होने में लंबा समय लग रहा है.

डॉक्टर साहब, ठंड क्यों लग रही है

आमतौर पर मौसम में लगातार चेंज होने पर लोग वायरल फीवर के शिकार हो जाते हैं. इसमें उन्हें तीन से पांच दिन तक फीवर और बदन दर्द होता है. हालांकि, आजकल होने वाले फीवर में ऐसा नहीं है. फीवर आ रहा है और वह भी तेज ठंड के साथ. वह भी रात में. कुछ ऐसा ही लक्षण मलेरिया का भी होता है. चूंकि, बारिश हो रही है और जगह-जगह जलभराव के चलते मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है. इसलिए लोग ठंड और फीवर के एक साथ होने पर फटाफट मलेरिया की जांच करा रहे हैं. जांच रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आने पर वह किसी और बीमारी की आशंका में ज्यादा टेंशन में आ जा रहे हैं.

ज्यादा डेंजरस हो गए हैं वायरस

डॉक्टर्स का भी मानना है कि भरपूर बारिश नहीं होने से उमस बढ़ गई है और यह मौसम वायरल इंफेक्शन के लिए अनुकूल है. इस मौसम में काफी स्ट्रांग हो गए हैं और अपना नेचर भी चेंज कर रहे हैं. इसी के चलते वायरल फीवर में लोगों को तेज ठंड लग रही है. इतना ही नहीं, वायरल फीवर की मियाद भी बढ़ गई है. एक बार चपेट में आने के बाद मरीज को ठीक होने में सात से आठ दिन लग रहे हैं. दवाएं भी बहुत ज्यादा इफेक्टिव साबित नहीं हो रही हैं.

पहले भी हो चुका है ऐसा

कुछ साल पहले भी ऐसा ही कन्फ्यूजन भरा वायरल इंफेक्शन फैल चुका है. जिसे डॉक्टर्स ने टाइफो मलेरिया का नाम दिया था. डॉक्टर्स का कहना है कि इस फीवर में मरीज मलेरिया की जांच कराते थे और रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आने पर संतुष्ट हो जाते थे. लापरवाही में प्रॉपर मेडिसिन नहीं लेने पर टाइफाइड उन्हें अपनी चपेट में ले लेता था. अधिक प्रकोप बढ़ने पर इसका नाम टाइफो मलेरिया रख दिया गया था.

क्या हैं दोनों के लक्षण

वायरल फीवर मलेरिया

फीवर (लगातारर) फीवर (रुक-रुक कर आना)

रात में ठंड लगना रात में ठंड लगना

सिरदर्द व बदन दर्द सिरदर्द व बदन दर्द

उल्टी और तेज फीवर आने पर प्लेटलेट्स कम हो जाना

- इस मौसम में वायरल फीवर और मलेरिया दोनों के चांसेज अधिक होते हैं. ठंड के साथ फीवर आने पर मलेरिया की जांच एहतियात के तौर पर कराई जाती है. दोनों बीमारियों में लापरवाही बरतना खतरनाक हो सकता है.

डॉॅ. ओपी त्रिपाठी, सीनियर फिजीशियन

- मौसम में चेंजिंग के चलते वायरस काफी स्ट्रांग हो गए हैं. यही रीजन है कि वायरल इंफेक्शन में फीवर, ठंड लगना, तेज सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. खासतौर से बच्चों को बचाकर रखना जरूरी है.

डॉ. मनीष चौरसिया, चाइल्ड स्पेशलिस्ट

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