अब भीषण दर्द और ब्लीडिंग के साथ दांतों की सर्जरी को भूल जाइये. आपके ही शहर में अब पेनलेस और ब्लड लेस सर्जरी हो रही है. इसमें बार-बार डॉक्टर के पास दौड़ने का झंझट भी नहीं और आपकी जेब भी कम ढीली होगी. यह कमाल हो रहा है लेजर सर्जरी के द्वारा.
ऐसी है लेजर सर्जरी
लेजर सर्जरी आधुनिक चिकित्सा में अहम रोल निभा रहा है, जिसमें लेजर किरणों को कंट्रोल्ड मेथड में डालकर टिश्यूज को कट किया जाता है. इसमें किसी प्रकार के सर्जिकल एक्विपमेंट की जरूरत खत्म हो जाती है और बिना सर्जिकल एक्विपमेंट के सर्जरी भी हो जाती है. यूरोपियन कंट्रीज में यह काफी फेमस हो रहा है. हमारे यहां भी मशीने आ चुकी हैं, लेकिन एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कमी के कारण चुनिंदा डॉक्टर्स के पास ही सुविधा अवेलेबल है. डायोड लेजर से सॉफ्ट टिश्यू को हटाया जाता है और एरबियम लेजर से बोन या दांत को काटा जाता है.
डॉक्टर कहते हैं..
सिप्स हॉस्पिटल में डेंटल सर्जन डॉ. विक्रम आहूजा ने बताया कि लेजर बीम से सॉफ्ट टिश्यूज से लेकर कठोर दांतों को भी काटा जा सकता है. सब म्युकस फाइब्रोसिस यानी मुंह का कम खुलना, ठंडा गर्म लगना, दांतों को शेप देना, रूट कैनाल ट्रीटमेंट मसूढ़ों के कलर चेंज होना जैसी समस्याओं में लेजर को अच्छे से प्रयोग किया जा रहा है.
जब मिला फायदा
लंदन से ट्रेनिंग और जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी से लेजर सर्जरी में सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद डॉ. विक्रम अपने मरीजों पर इसका खूब यूज कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही एक पेशेंट आया था, जिसका मुंह नहीं खुल रहा था. दूसरी जगह सर्जरी के बाद भी उसका केस काफी खराब हो चुका था. लेकिन लेजर के कारण उसकी सर्जरी आसानी से हुई और दूसरे ही दिन उसका मुंह आसानी से ओपेन होने लगा है.
इन बीमारियों के लिए..
इससे टूथ डिके, गम डिजीज, बायोप्सी, टीथ व्हाइटनिंग, सब म्यूकस फाइब्रोसिस (कैंसर से पहले की कंडीशन), रूट कैनाल ट्रीटमेंट, मसूढ़ों के रंग को ठीक करने, दांत को काटने, मुंह के अंदर कैंसर को ठीक करने जैसी समस्याओं में आसानी से यूज किया जा सकता है. दांत की कैविटी भी लेजर से काटकर उसकी आसानी से फिलिंग कर देते हैं.
इतना ही नहीं..
उन्होंने बताया कि ल्यूकोप्लीकिया जैसे समस्याओं को भी आसानी से लेजर की सहायता से ठीक किया जाता है. रूट कैनाल ट्रीटमेंट में लेजर की सहायता से हाईट्रेम्प्रेचर पर बैक्टीरिया फ्री कर दिया जाता है और बाद में फिलिंग हो जाती है. डिपिगमेंटेशन में भी मसूढ़ों के ऊपर वाली लेयर को आसानी से हटाया जा सकता है. जबकि इससे पहले सर्जिकल नाइफ से काटकर हटाना पड़ता था, पेनफुल और लम्बी सर्जरी वाली होती थी.
तीन से चार हजार होता है खर्च
डॉ. विक्रम आहूजा ने बताया कि लेजर सर्जरी आसान है. इसमें कॉस्ट भी कम होती है. फ् से ब् हजार रुपए सिटिंग का खर्च लगता है. किसी अन्य प्रकार का मटीरियल यूज न होने के कारण वर्तमान सर्जिकल एक्विपमेंट से होने वाली सर्जरी से यह सस्ती है. इससे भविष्य में दांतों का इलाज कम खर्च में और आसानी होगी.
ऐसी है लेजर सर्जरी
लेजर सर्जरी आधुनिक चिकित्सा में अहम रोल निभा रहा है, जिसमें लेजर किरणों को कंट्रोल्ड मेथड में डालकर टिश्यूज को कट किया जाता है. इसमें किसी प्रकार के सर्जिकल एक्विपमेंट की जरूरत खत्म हो जाती है और बिना सर्जिकल एक्विपमेंट के सर्जरी भी हो जाती है. यूरोपियन कंट्रीज में यह काफी फेमस हो रहा है. हमारे यहां भी मशीने आ चुकी हैं, लेकिन एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कमी के कारण चुनिंदा डॉक्टर्स के पास ही सुविधा अवेलेबल है. डायोड लेजर से सॉफ्ट टिश्यू को हटाया जाता है और एरबियम लेजर से बोन या दांत को काटा जाता है.
डॉक्टर कहते हैं..
सिप्स हॉस्पिटल में डेंटल सर्जन डॉ. विक्रम आहूजा ने बताया कि लेजर बीम से सॉफ्ट टिश्यूज से लेकर कठोर दांतों को भी काटा जा सकता है. सब म्युकस फाइब्रोसिस यानी मुंह का कम खुलना, ठंडा गर्म लगना, दांतों को शेप देना, रूट कैनाल ट्रीटमेंट मसूढ़ों के कलर चेंज होना जैसी समस्याओं में लेजर को अच्छे से प्रयोग किया जा रहा है.
जब मिला फायदा
लंदन से ट्रेनिंग और जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी से लेजर सर्जरी में सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद डॉ. विक्रम अपने मरीजों पर इसका खूब यूज कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही एक पेशेंट आया था, जिसका मुंह नहीं खुल रहा था. दूसरी जगह सर्जरी के बाद भी उसका केस काफी खराब हो चुका था. लेकिन लेजर के कारण उसकी सर्जरी आसानी से हुई और दूसरे ही दिन उसका मुंह आसानी से ओपेन होने लगा है.
इन बीमारियों के लिए..
इससे टूथ डिके, गम डिजीज, बायोप्सी, टीथ व्हाइटनिंग, सब म्यूकस फाइब्रोसिस (कैंसर से पहले की कंडीशन), रूट कैनाल ट्रीटमेंट, मसूढ़ों के रंग को ठीक करने, दांत को काटने, मुंह के अंदर कैंसर को ठीक करने जैसी समस्याओं में आसानी से यूज किया जा सकता है. दांत की कैविटी भी लेजर से काटकर उसकी आसानी से फिलिंग कर देते हैं.
इतना ही नहीं..
उन्होंने बताया कि ल्यूकोप्लीकिया जैसे समस्याओं को भी आसानी से लेजर की सहायता से ठीक किया जाता है. रूट कैनाल ट्रीटमेंट में लेजर की सहायता से हाईट्रेम्प्रेचर पर बैक्टीरिया फ्री कर दिया जाता है और बाद में फिलिंग हो जाती है. डिपिगमेंटेशन में भी मसूढ़ों के ऊपर वाली लेयर को आसानी से हटाया जा सकता है. जबकि इससे पहले सर्जिकल नाइफ से काटकर हटाना पड़ता था, पेनफुल और लम्बी सर्जरी वाली होती थी.
तीन से चार हजार होता है खर्च
डॉ. विक्रम आहूजा ने बताया कि लेजर सर्जरी आसान है. इसमें कॉस्ट भी कम होती है. फ् से ब् हजार रुपए सिटिंग का खर्च लगता है. किसी अन्य प्रकार का मटीरियल यूज न होने के कारण वर्तमान सर्जिकल एक्विपमेंट से होने वाली सर्जरी से यह सस्ती है. इससे भविष्य में दांतों का इलाज कम खर्च में और आसानी होगी.
Source: Lucknow Local News Paper
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