कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट से स्टेट गवर्नमेंट के वित्तीय प्रबंधन पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. रिपोर्ट बिहार विधानमंडल के दोनों सदन में पेश की गई. रिपोर्ट में गवर्नमेंट के कई डिपार्टमेंट कटघरे में आ गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार धान के बदले चावल की आपूर्ति नहीं होने से ब्फ्फ्.9ब् करोड़ रुपये का लॉस हुआ है. रिपोर्ट ने सर्व शिक्षा अभियान पर कई आरोप मढ़े हैं, साथ ही सहकारिता, कृषि, स्वास्थ्य, भवन निर्माण, पर्यावरण उद्योग, जल संसाधन विभाग की कलई भी रिपोर्ट से खुली है.
रोड कंस्ट्रक्शन के पहले भूमि अधिग्रहण नहीं
रिपोर्ट पर गौर करें तो रोड निर्माण शुरू होने के पहले एलाइनमेंट, तकनीकी- प्रशासनिक स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण यानी सबकुछ पूरा कर लिया जाना चाहिए. मगर अगमकुंआ-कमलदह पथ (लम्बाई ख्ब्फ्ब् मीटर, पटना सिटी) के मामले में ऐसा नहीं हुआ. जुलाई ख्008 में निर्माण कंपनी को निर्माण का जिम्मा दिया गया, जिसे ब्.म्7 करोड़ में पंद्रह महीने के अंदर काम पूरा करना था. बिना भूमि अधिग्रहण के ही काम शुरू कर दिया गया. इससे अगस्त ख्0क्0 में ठेकेदार ने बीच में ही काम रोक दिया. भूमि अधिग्रहण का काम नवम्बर ख्0क्फ् तक पूरा नहीं किया जा सका. इस रोड को यातायात के लिए चालू नहीं किया जा सका. कैग ने माना है कि इस मामले में ख्.भ्ब् करोड़ रुपए का निष्फल व्यय हुआ. ये रुपए कंपनी को दे दिए गए.
क्या बताया डिपार्टमेंट के इंजीनियर ने
रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कैग को बताया कि उपलब्ध जमीन पर क्म्00 मीटर तक रोड बनाकर उसे यातायात के लिए खोल दिया गया था. लिहाजा यह निष्फल व्यय नहीं है. कैग ने इस दलील को नहीं माना है. उसके अनुसार अव्वल तो निर्माण का यह तरीका घोषित कायदे-कानून के बिल्कुल खिलाफ रहा. भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा निजी भूमि के अधिग्रहण (क्.ख्म्7 एकड़) के लिए ख्ख्.फ्ब् करोड़ के नए प्रस्ताव को भी कार्यपालक अभियंता ने भ्ब् महीने बाद अग्रसारित किया. कालीकरण मात्र 0.ख्8म् किलोमीटर में कराया गया, यानी ख्.भ्ब् करोड़ का खर्च बेकार गया.
मुख्यमंत्री सामर्थ्य योजना का सच
सोशल वेलफेयर के माध्यम से मुख्यमंत्री सामर्थ्य योजना ख्007-08 में शुरू की गई. इसका मकसद नि:शक्त लोगों की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक पुनर्वास करना था. जरूरतमंदों को विशेष उपकरण और कृत्रिम अंग मुहैया कराने थे. ख्007-क्ख् के दौरान विभाग ने सहायक निदेशक, जिला समाज सुरक्षा कोषांग पटना को क्.म्0 करोड़ रुपए का आवंटन इस विशेष उल्लेख के साथ दिया कि संबंधित डिस्ट्रिक्ट अफसर विशेष उपकरण और कृत्रिम अंगों का क्रय भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिमको, कानपुर), सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत भारत सरकार का उपक्रम से औपचारिक अनुरोध करने के बाद करेंगे. यह अनुरोध किया भी गया. एलिमको ने क्00 प्रतिशत अग्रिम भुगतान पर तीन प्रतिशत की छूट देने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जिला पदाधिकारी ने एलिमको को कोई आदेश जारी नहीं किया.
रेट का फेर
रिपोर्ट के मुताबिक इसकी निविदा निकाली गई. उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में क्रय समिति बनी और मेसर्स गुलाब स्मृति विकलांग पुनर्वास केंद्र को तकनीकी रूप से सही पाए जाते हुए क्रयादेश निर्गत कर दिया गया. ऐसा जनवरी ख्009 में हुआ. रिपोर्ट में दर्ज है-'.. जबकि पहिया कुर्सी और तिपहिया साइकिल के संदर्भ में इस कंपनी का रेट एलिमको से अधिक था.' इस कंपनी को उपकरणों की एवज में ख्007-08 में 7.फ्भ् लाख रुपये का भुगतान किया गया. आगे तो हद हो गई. जिला पदाधिकारी पटना ने बिना निविदा निकाले इसी कंपनी से ख्008-09 तथा ख्0क्क्-क्ख् में 9क्.ब्क् लाख रुपये के उपकरण खरीद लिए. कहा गया है कि क्भ्.फ्म् लाख रुपये का अधिक भुगतान हुआ. कैग ने इसे अनियमित खरीद माना है.
रोड कंस्ट्रक्शन के पहले भूमि अधिग्रहण नहीं
रिपोर्ट पर गौर करें तो रोड निर्माण शुरू होने के पहले एलाइनमेंट, तकनीकी- प्रशासनिक स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण यानी सबकुछ पूरा कर लिया जाना चाहिए. मगर अगमकुंआ-कमलदह पथ (लम्बाई ख्ब्फ्ब् मीटर, पटना सिटी) के मामले में ऐसा नहीं हुआ. जुलाई ख्008 में निर्माण कंपनी को निर्माण का जिम्मा दिया गया, जिसे ब्.म्7 करोड़ में पंद्रह महीने के अंदर काम पूरा करना था. बिना भूमि अधिग्रहण के ही काम शुरू कर दिया गया. इससे अगस्त ख्0क्0 में ठेकेदार ने बीच में ही काम रोक दिया. भूमि अधिग्रहण का काम नवम्बर ख्0क्फ् तक पूरा नहीं किया जा सका. इस रोड को यातायात के लिए चालू नहीं किया जा सका. कैग ने माना है कि इस मामले में ख्.भ्ब् करोड़ रुपए का निष्फल व्यय हुआ. ये रुपए कंपनी को दे दिए गए.
क्या बताया डिपार्टमेंट के इंजीनियर ने
रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कैग को बताया कि उपलब्ध जमीन पर क्म्00 मीटर तक रोड बनाकर उसे यातायात के लिए खोल दिया गया था. लिहाजा यह निष्फल व्यय नहीं है. कैग ने इस दलील को नहीं माना है. उसके अनुसार अव्वल तो निर्माण का यह तरीका घोषित कायदे-कानून के बिल्कुल खिलाफ रहा. भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा निजी भूमि के अधिग्रहण (क्.ख्म्7 एकड़) के लिए ख्ख्.फ्ब् करोड़ के नए प्रस्ताव को भी कार्यपालक अभियंता ने भ्ब् महीने बाद अग्रसारित किया. कालीकरण मात्र 0.ख्8म् किलोमीटर में कराया गया, यानी ख्.भ्ब् करोड़ का खर्च बेकार गया.
मुख्यमंत्री सामर्थ्य योजना का सच
सोशल वेलफेयर के माध्यम से मुख्यमंत्री सामर्थ्य योजना ख्007-08 में शुरू की गई. इसका मकसद नि:शक्त लोगों की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक पुनर्वास करना था. जरूरतमंदों को विशेष उपकरण और कृत्रिम अंग मुहैया कराने थे. ख्007-क्ख् के दौरान विभाग ने सहायक निदेशक, जिला समाज सुरक्षा कोषांग पटना को क्.म्0 करोड़ रुपए का आवंटन इस विशेष उल्लेख के साथ दिया कि संबंधित डिस्ट्रिक्ट अफसर विशेष उपकरण और कृत्रिम अंगों का क्रय भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिमको, कानपुर), सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत भारत सरकार का उपक्रम से औपचारिक अनुरोध करने के बाद करेंगे. यह अनुरोध किया भी गया. एलिमको ने क्00 प्रतिशत अग्रिम भुगतान पर तीन प्रतिशत की छूट देने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जिला पदाधिकारी ने एलिमको को कोई आदेश जारी नहीं किया.
रेट का फेर
रिपोर्ट के मुताबिक इसकी निविदा निकाली गई. उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में क्रय समिति बनी और मेसर्स गुलाब स्मृति विकलांग पुनर्वास केंद्र को तकनीकी रूप से सही पाए जाते हुए क्रयादेश निर्गत कर दिया गया. ऐसा जनवरी ख्009 में हुआ. रिपोर्ट में दर्ज है-'.. जबकि पहिया कुर्सी और तिपहिया साइकिल के संदर्भ में इस कंपनी का रेट एलिमको से अधिक था.' इस कंपनी को उपकरणों की एवज में ख्007-08 में 7.फ्भ् लाख रुपये का भुगतान किया गया. आगे तो हद हो गई. जिला पदाधिकारी पटना ने बिना निविदा निकाले इसी कंपनी से ख्008-09 तथा ख्0क्क्-क्ख् में 9क्.ब्क् लाख रुपये के उपकरण खरीद लिए. कहा गया है कि क्भ्.फ्म् लाख रुपये का अधिक भुगतान हुआ. कैग ने इसे अनियमित खरीद माना है.
Source: Patna Local News Paper
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