Wednesday, July 23, 2014

Traffic rules are not being followed by auto drivers

सिटी के ऑटो चालकों पर नकेल कसने के लिए ट्रैफिक पुलिस डिपार्टमेंट भले ही लंबी चौड़ी प्लैनिंग कर रहा हो लेकिन ऑटो वाले हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब इनके लिए वर्दी की अनिवार्यता के आदेश को ही देख लीजिए. एसपी ट्रैफिक ने पहले इस आदेश को क्0 जुलाई तक इम्प्लीमेंट कराने को कहा था लेकिन बाद में दस दिन और आगे बढ़ाते हुए वर्दी व बिल्ला एक साथ पहनकर सड़क पर उतरने का आदेश दिया लेकिन ऑटो चालक हैं कि इस आदेश को पूरी तरह से फॉलो ही नहीं कर रहे हैं. वर्दी को लेकर मंडे से ट्रैफिक पुलिस को सिटी में अभियान शुरू करना था. इस दौरान बगैर वर्दी में मिलने वाले ऑटो चालकों के खिलाफ कार्रवाई होनी थी. हालांकि इस आदेश के बाद अधिकतर ऑटो चालक वर्दी में तो नजर आने लगे हैं लेकिन सिर्फ वर्दी की शर्ट में जबकि इसका पैंट और बिल्ला गायब है.

थोड़ा वक्त तो लगेगा

शहर में आने वाले टूरिस्ट्स को सिटी का अच्छा लुक दिखाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने पिछले दिनों ऑटो चालकों के लिए वर्दी पहनने के रूल को सख्ती से लागू कराने का आदेश दिया था. जिसके बाद सोमवार से आधे से ज्यादा ऑटो चालक वर्दी में नजर आने लगे हैं लेकिन ये वर्दी भी आधी अधूरी है. ऑटो ड्राइवर्स सिर्फ वर्दी की शर्ट में नजर आ रहे हैं जबकि इसका पैंट और बिल्ला नदारद है. जबकि इस बारे में पूछे जाने पर ऑटो रिक्शा चालक यूनियन के उपाध्यक्ष भगवान सिंह का कहना है इस आदेश को फॉलो कराने में यूनियन प्रशासन का पूरा सहयोग कर रहा है. इसके लिए यूनियन खुद वर्दी सिलवाकर ऑटो वालों को मुहैया करा रहा है. आधी वर्दी के सवाल पर उनका कहना था कि वर्दी पूरी है. पैंट जरूरी नहीं है. मुम्बई और लखनऊ में भी ऑटो चालक वर्दी के नाम पर सिर्फ शर्ट पहनते हैं. इसलिए यहां भी यही नियम लागू किया गया है. लेकिन अगर प्रशासन को ये मंजूर नहीं होगा तो पैंट भी ऑटो चालकों को दे दी जायेगी. वहीं बिल्ले के बारे में उपाध्यक्ष ने कहा कि चूंकि बिल्ला टीपी लाइन से मिलना है. इसलिए थोड़ा वक्त लगेगा.

आदेश तो है लेकिन

- सिटी में रजिस्टर्ड ऑटोज की संख्या है लगभग भ्,ब्00.

-सभी ऑटो के चालकों को पहननी है वर्दी.

- वर्दी में स्लेटी रंग की शर्ट और इसी कलर का पैंट पहनना है.

- सभी ऑटो ड्राइवर्स को बिल्ला भी लगाना है अनिवार्य.

-ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ के सहयोग से दिया जायेगा बिल्ला नंबर.

- ऑटो चालकों को वर्दी व बिल्ला बनवाकर देने के लिए ऑटो यूनियन को दी गई है जिम्मेदारी.

- ऑटो यूनियन सभी ऑटो ड्राइवर्स को उचित रेट पर वर्दी करा रहा है मुहैया.

-बिल्ले को कम रेट पर मुहैया करा रही है ट्रैफिक पुलिस.

क्यों करना पड़ा ऐसा

- ऑटो चालकों को वर्दी और बिल्ले में करने का मकसद है अवैध ऑटोज पर लगाम लगाना.

- भ्ब्00 वैध ऑटोज के अगेंस्ट रोड पर दौड़ रहे हैं लगभग पांच हजार अवैध ऑटोज.

- अवैध ऑटोज में अक्सर पैसेंजर्स संग होता है क्राइम और फंसते हैं वैध ऑटो वाले.

- इसी किचकिच को खत्म करने के लिए दो साल पहले ऑटो चालकों के लिए आरटीओ की ओर से वर्दी की अनिवार्यता की गई थी.

- लेकिन उस वक्त ऑटो यूनियन के विरोध के कारण ये नियम लागू नहीं हो सका था.

- बीच में ऑटो चालकों संग हुई सख्ती के बाद फिर से वर्दी के मसले ने पकड़ा तूल और फिर मान गया ऑटो यूनियन.

- जुलाई के फ‌र्स्ट वीक में ही ट्रैफिक एसपी त्रिभुवन सिंह ने ऑटो यूनियन संग बैठक कर इस नियम को हर हाल में लागू करने का दिया आदेश.

- नियम न मानने वाले ऑटो चालकों का परमिट रद्द करने या चालान का है आदेश.

- अब तक लगभग दो दर्जन से ज्यादा ऑटो चालकों के खिलाफ हुई है कार्रवाई.

नियम को रखते हैं ये ताख पर

-ऑटो चालक वैध हो या अवैध कोई नियम को नहीं मानता.

- गैंग वे के बाहर खड़े ऑटोज से कैंट इलाके में लगता है जाम.

- नये नियम के तहत सिटी में चलने वाले ऑटोज ब्लैक एंड येलो में होने चाहिए लेकिन अब तक अधिकतर ऑटोज हरे हैं.

- नियम के मुताबिक किसी भी ऑटो में म्यूजिक सिस्टम या पर्दे या फिर किसी तरह का पोस्टर नहीं होने चाहिए.

- इसके बाद भी इस आदेश को नहीं मानता कोई ऑटो चालक.

- ऑटोज में महिलाओं संग छेड़खानी को रोकने के लिए पिछले दिनों शासन से आया था ऑटोज के अंदर सीसीआर या फिर किसी पुलिस अधिकारी का नंबर लिखने का आदेश.

- लेकिन इस आदेश का भी नहीं होता पालन.

- हर रूट पर किराया है निर्धारित लेकिन रोज किराये को लेकर होती है ऑटो चालकों की पैसेंजर्स संग किचकिच

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