Thursday, July 31, 2014

Auto drivers manmani at kokar to albert ekka chowk route

आगे में सीट एक और बैठनेवाले चार. पीछे की सीट पर भी तीन की बजाय चार-पांच पैसेंजर्स. जी हां, कोकर चौक से अल्बर्ट एक्का चौक के बीच चलनेवाली मिनी ऑटो में ओवरलोडिंग का कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. इस रूट में ऑटोवाले तो मनमानी कर ही रहे हैं, पैसेंजर्स भी मजबूरी में सीट शेयर करते हैं. ऑटो में ओवरलोडिंग से सबसे ज्यादा परेशानी युवतियों को होती है. युवकों के साथ बैठना तो पड़ता ही है, पर कई बार ऑटोवाले युवकों के बीच युवतियों को बैठा देते हैं. इस वजह से ऑटो में सफर के दौरान ये इनसिक्योर फील करती हैं. ऑटो में ओवरलोडिंग की वजह से किस-किस तरह की परेशानियां पैसेंजर्स को उठानी पड़ती है, आई नेक्स्ट ने किया रियलिटी चेक.

ओवरलोडिंग के बाद खुलती है ऑटो

शहर में लोकल जर्नी का सबसे सुलभ साधन ऑटो है. पैसेंजर्स भी आने-जाने के लिए ऑटो प्रिफर करते हैं, लेकिन ऑटोवालों की मनमानी अब पैसेंजर्स पर भारी पड़ रही है. कोकर स्टैंड पर खड़ी मिनी ऑटो में पीछे की सीट पर जबतक चार और आगे की सीट पर कम से कम तीन पैसेंजर नहीं बैठते हैं, ऑटो नहीं खुलती है. बीच रास्ते में पैसेंजर्स को बैठाने-उतारने का तो सिलसिला चलता ही रहता है. कई बार तो ऑटो को बीच रास्ते में रोककर पैसेंजर्स का इंतजार भी ऑटो ड्राइवर करने लगते हैं. ऐसे में कई बार पैसेंजर्स पूरा भाड़ा देने के बाद भी बीच रास्ते में ऑटो से उतरकर दूसरी गाड़ी से जाने में ही भलाई समझते हैं.

पुलिस नहीं लेती है एक्शन

ऐसा नहीं है कि मिनी ऑटो में ओवरलोडिंग से पुलिस अनजान है. पुलिस की नजरों के नीचे ऑटोवालों की मनमानी चल रही है. पुलिस के एक्शन नहीं लेने से इनका मनोबल और बढ़ गया है. इस बाबत पूछे जाने पर ऑटो ड्राइवर्स ने बताया कि बिना ओवरलोडिंग के गुजारा नहीं चलता है. ऑटो में मैक्सिमम पैसेंजर्स को बैठाना हमारी मजबूरी है. इसी कारण ऑटो के खुलने में भी लेट होता है. दूसरी ओर पैसेंजर्स का कहना है कि ऑटोवाले जबरन सीट्स से ज्यादा पैसेंजर्स बैठाते हैं. विरोध करने पर बीच रास्ते में उतर जाने की धमकी भी दे डालते हैं. ऐसे में कई बार मजबूरी में सफर पूरा करना पड़ जाता है. 

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