Wednesday, July 2, 2014

New smartphone app to boost mental health treatment

यह मोबाइल एप करेगा मेंटल ट्रीटमेट

रिस्‍पांस टाईम है जरूरी
रिसचर्स का कहना है कि इस पूरे सिस्‍टम की मुख्‍य बात इसका रिस्‍पांस टाईम है. अगर रिस्‍पांस जितनी जल्‍दी आयेगा तो इलाज भी उतनी ही जल्‍दी शुरू होगा. वर्ल्‍ड हेल्‍थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, अगर देखा जाये तो दुनिया में 90 परसेंट मेंटल केसेज में सुसाइड या फिर किसी बड़ी बिमारी का बोझ लेने वाले लोग आते हैं. डॉ.यूरी नेवो जो केरन सेला की रिसर्च टीम इंजीनियर हैं, टेल अवीव यूनिवर्सिटी के सांइटिस्‍ट और इंजीनियर एंड सेगोल स्‍कूल आफॅ न्‍यूरोसाइंस के फैकल्‍टी की टीम ने मिलकर यह एप तैयार किया है.

मोबाईल को बना दिया मॉनीटर
नेवो का कहना है कि स्‍मार्टफोन के जरिये दी जाने वाली इस फैसेलिटी से मरीज आत्‍मनिर्भर बन जाऐगा. उसे अब हास्पिटल और यहो तक की फैमिली मेंबर से भी मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दिमागी रोगों का डायग्‍नोसिस सिर्फ मरीज की बिहेवियर पैटर्न पर ही निर्भर होता है. उन्‍होंने कहा कि कुछ केसेज में जब मरीज हास्पिटल से डिस्‍चार्ज हो जाता है, तो उसे कुछ भी अंदाजा नहीं होता है कि वह अपने दिमागी संतुलन को किस तरह से स्थिर रखे. फिर हमने सोचा कि आज के समय में स्‍मार्टफोन सभी के पास होता है इसलिए इसे हमने एक मेंटल ट्रीटमेट के तौर पर उपयोग करना शुरू कर दिया.

कैसे करता है काम ?
रिसर्चस ने 20 मरीजों और 20 स्‍वस्‍थय लोगों के स्‍मार्टफोन पर इस एप को इंस्‍टॉल किया. छह महीने के कोर्स के बाद जब सभी मरीजों के फोन में लगे एप से डाटा को दूसरे कंप्‍यूटर से जोड़ा गया तो उसमें लगे एडवांस्‍ड एलगोरिथम सिस्‍टम के जरिये मरीज के अंदर होने वाली गतिविधियां जैसे सोना, बात करना आदि में हाने वाले बदलाव को बखूबी पहचाना जा सका. इस एप से डाक्‍टर्स अपने मरीजों से सीधे संपर्क में रहेंगे.

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