पाकिस्तान के गृह
मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति सेवानिवृत्त जनरल परवेज़ मुशर्रफ़
की जान को अल-क़ायदा या तहरीक-ए-तालिबान जैसे चरमपंथी संगठनों से ख़तरा है.
पाकिस्तानी गृह मंत्रालय को ख़ुफ़िया विभाग से इस तरह की जानकारी हासिल हुई है. मंत्रालय के अनुसार इस बात की आशंका है कि पूर्व गवर्नर सलमान तासीर की तरह परवेज़ मुशर्रफ़ को भी सुरक्षा एजेंसियों के अंदर बैठे चरमपंथी विचार धारा के लोगों के ज़रिए निशाना बनाया जा सकता है.
ख़ुफ़िया विभाग के ज़रिए दी गई रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि 'ऐसा लगता है कि चरमपंथियों से हमदर्दी रखने वाले लोग मुशर्रफ़ के सुरक्षा क़ाफ़िले में शामिल हो गए हैं ताकि उनका क़त्ल किया जा सके.'
गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें मिली ख़ुफ़िया जानकारी के अनुसार चरमपंथियों ने पहले से ही अस्पताल से अदालत जाने वाले तमाम रास्तों की जाँच-पड़ताल कर ली है और काफ़ी प्रशिक्षित चरमपंथियों को मुशर्रफ़ के सुरक्षा क़ाफ़िले के पीछे लगा दिया गया है.
अदालत के बाहर मुशर्रफ़ की एक समर्थकगृह मंत्रालय के ज़रिए पंजाब के गृहसचिव और इस्लामाबाद के पुलिस कमिश्नर समेत सभी उच्च अधिकारियों को इस संभावित ख़तरे की जानकारी दे दी गई है.
पाकिस्तान के एक निजी चैनल पर गृह मंत्रालय के इस ख़त को दिखाया जा रहा है लेकिन गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी ख़त के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है.
गृह मंत्रालय के ज़रिए भेजे गए ख़त में कहा गया है कि मुशर्रफ़ पर अदालत परिसर के अंदर या अदालत के बाहर हमले हो सकते हैं या फिर उनके क़ाफ़िले के रास्ते में बम लगाए जा सकते हैं.
दूसरी तरफ़ परवेज़ मुशर्रफ़ के वकील बैरिस्टर मोहम्मद अली सैफ़ ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा कि गृह मंत्रालय के ख़त के बारे में उन्हें जानकारी मिली है और अब अदालत की ओर से उनकी सुरक्षा की गारंटी के बाद ही वह अदालत में पेश होंगे.
'स्थिति गंभीर'बैरिस्टर सैफ़ का कहना था कि मुशर्रफ़ की सेहत का मामला तो अपनी जगह है लेकिन अब तो उनकी सुरक्षा का सवाल खड़ा हो गया है.
मुशर्रफ़ के वकील अहमद रज़ा क़सूरी ने अदालत में एक ख़त पढ़कर सुनाया
उन्होंने कहा कि ये एक नई स्थिति है जो कि बहुत ही गंभीर है और अदालत तथा सरकार दोनों को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए.
मंगलवार को मुशर्रफ़ की अदालत में पेशी के बारे में उनके वकील का कहना था, ''मंगलवार को भी हम वही तरीक़ा अपनाएंगे जो हम पहले करते थे. पहले भी अदालत जब मुशर्रफ़ को पेशी के लिए बुलाती थी तो हम पहले उनकी सुरक्षा की ज़मानत मांगते थे और फिर संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें अदालत में पेश किया जाता था.''
ग़ौरतलब है कि पांच मार्च को मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ग़द्दारी के मुक़दमे की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने कहा था कि हालात जैसे भी हों मुलज़िम को 11 मार्च को अदालत में पेश होना पड़ेगा और उस दिन उन पर चार्जशीट दायर की जाएगी.
इसी पेशी पर मुशर्रफ़ के वकीलों की टीम में शामिल अहमद रज़ा क़सूरी ने अदालत में एक ख़त पढ़कर सुनाया जो कथित तौर पर चरमपंथियों के ज़रिए लिखा गया था. उनके अनुसार उस ख़त में उन वकीलों से कहा गया था कि वो मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ग़द्दारी के मुक़दमे में मुशर्रफ़ की पैरवी करना छोड़ दें वर्ना उन्हें और उनके परिजनों को निशाना बनाया जाएगा.
Source: Hindi News
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