Wednesday, March 19, 2014

Shriprakash Jaiswal And Murli Manohar Joshi Will Fight To Win Kanpur

कानपुर लोकसभा सीट पर इस बार दो दिग्गज नेता आमने-सामने हैं. एक तरफ हैं कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नेता मुरली मनोहर जोशी हैं.
केंद्रीय मंत्री जायसवाल कानपुर से जीत की हैट्रिक लगा कर चौथी बार चुनाव में उतर रहे हैं, जबकि नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी की सीट खाली करने के बाद मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से भाजपा ने टिकट दिया है.

इन दिग्गजों की टक्कर पर कई लोगों को फ़िल्म 'शोले' में गब्बर सिंह का एक संवाद याद आ रहा है, "अब आएगा मजा."

ये वाक्य गब्बर सिंह तब कहता है जब जय और वीरू ने उसके पांच आदमी मार दिए थे.

लोक सभा चुनाव का बिगुल फूँका जा चूका है, प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं.

सीट का त्याग
यह तो काफ़ी पहले से ही क़रीब करीब तय था कि कानपुर से कांग्रेस के टिकट पर श्रीप्रकाश जायसवाल ही मैदान में उतरेंगे. चुनाव विश्लेषक उनकी एक आसान जीत की बात कर भी रहे थे.

लेकिन जब मुरली मनोहर जोशी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ कर कानपुर से लड़ने को तैयार हुए तब सारे पुराने समीकरण बदल गए.

पंडित पृथिनाथ कॉलेज के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ राजेश गुप्ता कहते हैं, "कानपुर के इतिहास में इतना रोचक चुनाव पहली बार होने जा रहा है. एक तरफ़ कांग्रेस के श्रीप्रकाश जयसवाल हैं जो अपनी पार्टी में बड़ा ओहदा रखते हैं, मंत्री हैं तो उनके सामने भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं के श्रेणी में आने वाले मुरली मनोहर जोशी हैं."

मुरली मनोहर जोशी 2009 में वाराणसी से सांसद थे. यहाँ से 2014 में नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं

डॉ गुप्ता कहते हैं, "जोशी न होते तो जायसवाल शायद कानपुर की सीट आसानी से जीत जाते पर अब कानपुर भारत के उन गिने चुने जगहों में शामिल हो गया है जहाँ चुनाव बहुत ही रोचक होंगे.”

वे कहते हैं, "भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा कर दी है. मोदी का वाराणसी से लड़ना, जोशी का वाराणसी की सीट छोड़कर कानपुर आना, ये सब कानपुर के चुनाव को और दिलचस्प बना रहें हैं."

वे आगे कहते हैं, "कानपुर की सीट अब दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है."

कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा कहते हैं, "भाजपा ने मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से खड़ा कर यहाँ की सीट को वीआईपी सीट में तब्दील कर दिया है."

1951 में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तो हरिहर नाथ शास्त्री कानपुर के पहले सांसद बने.

महेश शर्मा कहते हैं, "1951 से लेकर 2009 तक, कानपुर में कभी ऐसा नहीं हुआ की दो दिग्गज आमने-सामने होंगे. अब तो कील और कांटे की टक्कर होगी."

चुनाव में हार
ऐसा नहीं है कि कानपुर के पूर्व मेयर श्रीप्रकाश जायसवाल लोकसभा चुनाव कभी हारे ही नहीं हैं.

कानपुर में 1998 के चुनाव में भाजपा के जगत वीर सिंह द्रोण जीते और जायसवाल तीसरे नंबर पर आए.

1999 के चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल ने द्रोण को करीब 35 हज़ार वोटों से पटखनी दी और सांसद बन गए. उन्हें ये जीत तब मिली थी जब अटल बिहारी वाजपेयी की लहर अपने चरम पे थी.

"जोशी और जायसवाल के बीच हार और जीत का अंतर बहुत ही कम होगा. यह दर्शाएगा कि टक्कर कितने कांटे की थी."
-सुनील पाठक, कानपुर के निवासी

1999 से श्रीप्रकाश जायसवाल की जीत का जो दौर शुरू हुआ उसे 2009 तक कोई रोक नहीं पाया.

महेश कहते हैं, "जनता फैसला अप्रैल 30 को करेगी. हार और जीत का अंतर बहुत ही कम होगा."

कानपुर के हर चुनाव, चाहे वह पार्षद स्तर का हो या लोकसभा, सब पर एक पैनी नज़र रखने वाले सुनील पाठक कहते हैं, "परिणाम चाहे जो भी हो, चुनाव में मज़ा आएगा, क्योंकि दो कद्दावर नेता आमने-सामने हैं. पिछले पांच लोक सभा चुनाव में कानपुर में ऐसी टक्कर पहली बार देखने को मिलेगी."

पेशे से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से जुड़ा काम करने वाले सुनील पाठक कहते हैं, "हार और जीत का अंतर बहुत ही कम होगा. यह दर्शाएगा की टक्कर कितने कांटे की थी."

बाहरी प्रत्याशी

आम जनता और चुनाव विश्लेषक तो एक दिलचस्प लड़ाई की उम्मीद कर रहे हैं पर पार्टियां अपनी अपनी जीत का दावा कर रही हैं.

भाजपा कानपुर ज़िला अध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी कहते हैं, "कानपुर में पहली बार किसी भी पार्टी का इतना बड़ा एक नेता चुनाव लड़ रहा है. मुरली मनोहर जोशी भाजपा की नींव रखने वालों में से एक हैं. विद्वान हैं. कानपुर के हित के लिए कानपुर की जनता उन्हें जिताएगी."

श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर के है और जोशी बाहरी. इस सवाल के जवाब में मैथानी कहते हैं, "मुरली मनोहर जोशी ने नरेंद्र मोदी के लिए अपनी वाराणसी सीट का बलिदान किया है."

वहीं उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कमिटी के सचिव डॉ शैलेन्द्र दीक्षित भी इस बात को नकार रहे हैं कि टक्कर कांटे की होगी.

वे कहते हैं, "कानपुर के लोगों के सामने दो प्रतिनिधि हैं. एक तरफ़ कानपुर की जनता की 15 साल तक सेवा करने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल हैं और दूसरी तरफ मुरली मनोहर जोशी जो हर पांच साल के बाद एक नया चुनावी क्षेत्र चुनते हैं.

वे कहते हैं, "हम तैयार हैं. कानपुर की जनता भी तैयार है. कानपुर की जनता किसी भी सूरत में एक बाहरी प्रत्याशी को न चुनेगी, न स्वीकार करेगी."

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