सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को गुरुवार को उन बैंक खातों की जानकारी देने
के लिए कहा है कि जिनके लेनदेने पर लगी हुई रोक को हटाया जा सके.
हालांकि इससे पहले सुब्रत रॉय ने दो जजों वाले पीठ के आदेश को ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक बताते हुए अपनी रिहाई का अनुरोध किया था.
उनकी दलील थी कि चार मार्च, 2014 के आदेश को क़ानून की नज़र में अमान्य घोषित किया जाए.
इस याचिका पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की दो सदस्यीय पीठ ने उनकी रिहाई का आदेश देने से इनकार कर दिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ अदालत ने कहा कि सुब्रत रॉय की कंपनी को अभी निवेशकों का बक़ाया लौटाना है, इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता.
पिछली सुनवाई
इससे पहले निवेशकों का पैसा लौटाने के सहारा समूह के प्रस्ताव को अदालत ने 'अपमानजनक' बताया था. सहारा ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि वो तीन दिनों के भीतर निवेशकों का 2500 करोड़ रुपये लौटा देगी, जबकि शेष राशि हर तीन महीने पर क़िस्तों में जमा करने का भरोसा दिया था.
इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सहारा समूह का ये प्रस्ताव ''काफ़ी अपमानजनक है. आप हमारे पास तब तक न आएं जब तक आपके पास इससे बेहतर कोई प्रस्ताव नहीं हो. ये एक बेईमानी वाला प्रस्ताव है.''
अदालत ने अपने आदेश में 65 वर्षीय सहारा प्रमुख को अगली सुनवाई तक जेल में रहने का आदेश दिया था.
निजी क्षेत्र में सहारा समूह देश का एक बड़ा नियोजक है और उसे 17,500 करोड़ रुपए का भुगतान करना है.
सहारा ने अदालत को जानकारी दी है कि वे इस राशि का भुगतान अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर करेगा जिसके दस्तावेज़ सेबी के पास हैं.
हालांकि इससे पहले सुब्रत रॉय ने दो जजों वाले पीठ के आदेश को ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक बताते हुए अपनी रिहाई का अनुरोध किया था.
उनकी दलील थी कि चार मार्च, 2014 के आदेश को क़ानून की नज़र में अमान्य घोषित किया जाए.
इस याचिका पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की दो सदस्यीय पीठ ने उनकी रिहाई का आदेश देने से इनकार कर दिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ अदालत ने कहा कि सुब्रत रॉय की कंपनी को अभी निवेशकों का बक़ाया लौटाना है, इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता.
पिछली सुनवाई
इससे पहले निवेशकों का पैसा लौटाने के सहारा समूह के प्रस्ताव को अदालत ने 'अपमानजनक' बताया था. सहारा ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि वो तीन दिनों के भीतर निवेशकों का 2500 करोड़ रुपये लौटा देगी, जबकि शेष राशि हर तीन महीने पर क़िस्तों में जमा करने का भरोसा दिया था.
इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सहारा समूह का ये प्रस्ताव ''काफ़ी अपमानजनक है. आप हमारे पास तब तक न आएं जब तक आपके पास इससे बेहतर कोई प्रस्ताव नहीं हो. ये एक बेईमानी वाला प्रस्ताव है.''
अदालत ने अपने आदेश में 65 वर्षीय सहारा प्रमुख को अगली सुनवाई तक जेल में रहने का आदेश दिया था.
निजी क्षेत्र में सहारा समूह देश का एक बड़ा नियोजक है और उसे 17,500 करोड़ रुपए का भुगतान करना है.
सहारा ने अदालत को जानकारी दी है कि वे इस राशि का भुगतान अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर करेगा जिसके दस्तावेज़ सेबी के पास हैं.
Source: Online Hindi Newspaper
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