Monday, March 10, 2014

KESco Cheating Their Conjumers

KANPUR: खाता ना बही केस्को जो कहे वही सही. इस समय केस्को कानपुराइट्स के साथ इसी लहजे में बर्ताव कर रहा है. कंज्यूमर्स को लूटने के लिए उसने अभियान छेड़ रखा है. बिना किसी एक्ट, आदेश और कानून के वो तरह-तरह के चार्ज थोप रहा है. अभी केस्को इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन काटे बगैर ही डिसकनेक्शन चार्ज वसूल रहा था लेकिन अब तो मनमानी की हद ही कर दी है. इलेकिट्रसिटी एक्ट या रेगुलेटरी कमीशन यूपीपीसीएल के आदेश के बिना ही एवरेज बिलिंग की यूनिट्स में फिफ्टी परसेंट का इजाफा कर दिया है. इससे इलेक्ट्रिसिटी में बिल में हुई जबरदस्त बढ़ोत्तरी से लोगों में नाराजगी है.

ये केस्को का कानून है.?

केस्को मार्च में जो इलेक्ट्रिसिटी बिल जारी कर रहा है, उसमें खराब मीटर(आईडीएफ,एडीएफ) के लिए एवरेज बिलिंग 80 से बढ़ाकर क्ख्0 यूनिट पर किलोवॉट पर मंथ कर दी है. यानि जितने अधिक किलोवॉट का आपका कनेक्शन है, उतना ही अधिक अब बिजली का बिल भरना पड़ेगा. इसकी जद में कम से कम 7भ् हजार कनेक्शन(घर) आ रहे हैं. जिन्हें केस्को की मनमानी की वजह से क्7भ् से लेकर 700 रूपए भरने पड़ रहे है. जबकि ऐसा नियम स्टेट में और कहीं नहीं है. लखनऊ, इलाहाबाद सहित अन्य सिटीज में खराब मीटर (आईडीएफ, एडीएफ) होने पर 80 यूनिट पर किलोवॉट पर मंथ ही एवरेज बिलिंग की जा रही है. दरअसल यूपी रेगुलेटरी कमीशन ने ख्00म् में खराब मीटर (आईडीएफ, एडीएफ) होने पर 80 यूनिट पर किलोवॉट पर मंथ के हिसाब से बिलिंग किए जाने का आदेश दिया था. वह आज भी लागू है, रेगुलेटरी कमीशन ने बदला नहीं है.

खता केस्को की, सजा पब्लिक को

खराब मीटर बदलने की जिम्मेदारी पॉवर सप्लाई करने वाली कम्पनी की है. पॉवर सप्लाई कोड (इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का सिम्पलीफिकेशन) के मुताबिक फ् महीने में केस्को को खराब मीटर बदल देना चाहिए. लेकिन सिटी में लोगों के क्-क् साल से पैसा जमा किए जाने के बावजूद भी खराब मीटर नहीं बदले जा रहे हैं. लोग केस्को के एक ऑफिस से दूसरे अािॅफस तक की दौड़ लगाया करते हैं. ख्क् फरवरी से 7 मार्च के बीच भ्00 से अधिक लोग केस्को मुख्यालय में बने कन्ज्यूमर सर्विस सेंटर में शिकायत दर्ज करा चुके हैं. इनमें वीके गुप्ता, आरपी शुक्ला, उमेश मिश्रा, अभिलाष त्रिपाठी, सूरज बाजपेई सहित अधिकतर की शिकायत है कि मीटर बदलने के लिए म् महीने से अधिक समय हो चुका है. मीटर तो बदले नहीं गए. अलबत्ता बिल में जबरदस्त बढ़ोत्तरी कर दी गई है. इसको लेकर लोगों में नाराजगी है.

बैठे-बैठे मतलब निकाल लिया

केस्को एमडी एसएन बाजपेई का कहना है कि फ्0 करोड़ अधिक की बिजली लेने पर पिछले महीने केवल क् करोड़ अधिक के बिल जेनरेट हुए थे. इसका मतलब है कि जिनके मीटर खराब हैं वे अधिक बिजली यूज कर रहे हैं. लेकिन वे शायद ये भूल गए सिटी में जबरदस्त बिजली चोरी भी हो रही है. ओवरलोडिंग की वजह से जनवरी में होलिका की तरह ट्रांसफॉर्मर्स (क्80 ट्रांसफॉर्मर) जले हैं. वह भी सिर्फ गिने-चुने बिजलीघर, जरीबचौकी, किदवई नगर व देहली सुजानपुर डिवीजन में क्यों सबसे अधिक ट्रांसफॉर्मर जले. एक महीने में एक-एक ट्रांसफॉर्मर 8 बार क्यों जला? अगर वे इसकी पड़ताल करते तो केस्को को ये मनमानी ना करनी पड़ती है. बावजूद इसके वे केस्को को हुए नुकसान के लिए केवल खराब मीटर(एडीएफ, आईडीएफ) को जिम्मेदार मानते हैं तो तेजी से मीटर क्यों नहीं बदल पाए जा रहे हैं. क्यों पैसा जमा कराने के बावजूद लोगों को केस्को मुख्यालय तक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.? केस्को ऑफिसर्स को ये भी सोचना पडे़गा कि एवरेज बिलिंग यूनिट बढ़ाने के बाद भी बिलिंग में भ् करोड़ का ही इजाफा होगा? फिर शेष बचे ख्ब् करोड़ रूपए की बिजली कहां गई? इन सवालों के जवाब खोजने के लिए दिमाग पर जोर डालते, तो हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाती.

केडीए से ही सीख ले लेते

जनवरी में हाईकोर्ट ने केडीए व अन्य डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा मैप पास करने के दौरान वसूले जाने वाले डेवलपमेंट चार्ज, सेस, सबडिवीजनल चार्ज को अवैध ठहरा दिया. ऐसा इसलिए किया गया कि इन चार्ज को वसूलने का ना तो एक्ट में कोई प्राविधान था और ना ही कोई अन्य रूल बना था. शासनादेश के बेस पर लोगों से ये सभी चार्ज वसूले जा रहे थे. हाईकोर्ट के इस डिसीजन के बाद भी शायद केस्को ने सबक नहीं लिया. अगर लिया होता तो ऑफिसर मनमानी ना करते.

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