Monday, March 10, 2014

Learn From These Childrens

 ईश्वर ने दुनिया के हर एक इंसान को दो हाथ, दो पैर, एक दिल और एक दिमाग दिया है. यानि सबको बिल्कुल एक जैसा बनाया है. लेकिन शायद कुछ को बनाने में उससे थोड़ी गलती हो गई और हमने उन लोगों की दुनिया ही अलग कर दी. पर हमको ये नहीं भूलना चाहिए कि उनके पास बहुत कुछ हमसे ज्यादा है. और वो है हौसला. इसी हौसले और चाहत के बल पर बालभवन के स्पास्टिक्स सेंटर के बच्चे दुनिया वालों के सामने एक मिसाल पेश कर रहे हैं. आई नेक्स्ट ने इन बच्चों से बात की. तो फिर आइए उन्हीं बच्चों में से कुछ से आपकी मुलाकात कराते हैं.

शास्वत की बात ही अलग है..

स्पास्टिक्स सेंटर के कैंपस में एक व्हीलचेयर के साथ खेल रहे एक छोटे से बच्चे से जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पूछा कि क्या बनना चाहते हो तो वो अपने अंदाज में बोला, पढ़कर लिखकर बड़ा आदमी बनूंगा. फिर हंसकर, कुछ दूर खड़ीं अपनी मैडम की ओर इशारा करके बोला कि वो कहती हैं पढ़ाई किया करो. इशारा करके बोला कि मैं क्या करूं? दौड़ने का मन करता है. सास्वत काफी दिनों से स्पास्टिक्स सेंटर में है और बिल्कुल नॉर्मल बच्चों की तरह खेलता और पढ़ता है. बस वो वैसे सोच और समझ नहीं सकता है लेकिन उसकी मासूमियत दूसरों को सोचने पर मजबूर कर देती है.

'मुस्कान' पर हो जाएंगे फिदा

कैंपस में ही एक कोने पर अपनी फ्रैंड्स के साथ खेल रही मुस्कान को देखकर हर कोई फिदा हो जाएगा. उसकी समझ बहुत कम है लेकिन कुछ कहने पर तुरंत अपने अंदाज में उसका उत्तर देने की पूरी कोशिश करती है. वहां खड़े आई नेक्स्ट रिपोर्टर से इशारा करते हुए बोली, मुझको मैम ने बताया है कि ए, बी, सी, डी लिखना और पढ़ना सिखाया है. मैं अपना नाम लिख लेती हूं. इतना बताने में उसको टाइम तो काफी लगा लेकिन उसने जिस हौसले और कॉन्फिडेंस के साथ बताया, उससे तो हमें उससे सीख लेनी चाहिए. क्योंकि उनमें समझ का लेवल बहुत कम है. हममें ज्यादा होने के बाद भी कभी-कभी हम किसी का उत्तर देने में लड़खड़ा जाते हैं.

आईरिन की तरह हिम्मती बनो

मुस्कान रिपोर्टर से बोली, वो देखो मेरी फ्रेंड आईरिन. उसको बुलाऊं..मुस्कान के इशारा करते ही आईरिन आई. रिपोर्टर के पास आकर बोली, मैं पढ़ाई करती हूं..रिपोर्टर ने पूछा कि क्या सीखा तो बोली, मैडम ने रुपए के बारे में बताया है. मुझको पता है कि दस रुपए का नोट कैसा होता है? करीब क्म् साल से ऐसे ही बच्चों को ट्रेनिंग दे रहीं शिखा तिवारी का कहना है कि इन बच्चों कि समझ काफी कम होती है इस वजह से इनको हर चीज प्रैक्टिकल के माध्यम से पढ़ानी पड़ती है. तभी ये बच्चे सीख पाते हैं.

मिलिए चांदनी, तनमय, अभय से

समझ और कल्पना की शक्ति आम व्यक्ति से काफी कम होने के बाद बावजूद इन बच्चों की एक्टिविटी देखने के बाद आपको ऐसा महसूस नहीं होगा. चांदनी, तनमय और अभय समेत कई स्टूडेंट्स को उनकी टीचर शिखा नंबर के बारे में बता रहीं थीं. कि तभी अचानक चांदनी बोली, मैं सब जल्दी से पढ़ लूंगी..फिर बड़ी बन जाऊंगी..ये सुनकर साफ पता चल रहा है कि उसमें समझ की कमी है लेकिन हौसले की नहीं. शिखा का कहना है कि ऐसे बच्चों को पैरेंट्स के प्यार और उनके सपोर्ट की जरूरत होती है. इनको प्रैक्टिकल के माध्यम से आप नॉर्मल बच्चों की तरह सबकुछ पढ़ा-लिखा सकते हैं. ये बच्चे अपने हौसले से सबको सीख दे रहे हैं कि कठिन से कठिन सिचुएशन में कभी हार नहीं माननी चाहिए.

क्990 में हुई थी शुरुआत

बालभवन के इस स्पास्टिक्स सेंटर की शुरुआत क्990 में हुई थी. यहां स्पास्टिक बच्चों को पढ़ाई, लिखाई के साथ वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है. यहां सैकड़ों बच्चे हैं.

Source: Kanpur News

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