Monday, March 10, 2014

Syria Assad Forces Using Starvation As Weapon Of War

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार नागरिकों की भुखमरी को युद्ध हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है.
एजेंसी के मुताबिक़ दमिश्क़ के यारमूक शरणार्थी कैंप में अब तक 128 लोगों की मौत हो गई है.

एमनेस्टी का कहना है कि अब भी हज़ारों लोग वहां फंसे हुए हैं जो कि 'विनाशकारी मानवीय संकट' का सामना कर रहे हैं. उनके अनुसार कैंपों में रह रहे लोग खाने की तलाश में सड़कों पर निकलने के लिए मजबूर हैं और ऐसा करने पर वे निशानेबाज़ बंदूक़धारियों के निशाने पर रहते हैं.

इस सप्ताह के शुरू में कैंप के पास ताज़ा हिंसक झड़पों की ख़बरें भी आई थीं.

एक अनुमान के अनुसार  यारमूक शरणार्थी कैंप में लगभग 17 से 20 हज़ार लोग रहते हैं जिनमें फ़लस्तीनी और सीरियाई शरणार्थी शामिल हैं. यारमूक कैंप के आस-पास कई लड़ाइयां हुई हैं.

यारमूक कैंप में अप्रैल 2013 से बिजली नहीं है और इलाक़े के ज़्यादातर अस्पताल बहुत ही बुनियादी मेडिकल सप्लाई के अभाव में बंद पड़े हैं.

खाने की क़िल्लतएमनेस्टी इंटरनेशनल के मध्य-पूर्व के निदेशक फ़िलिप लूथर कहते हैं, ''सीरियाई सेना नागरिकों की भुखमरी को हथियार की तरह इस्तेमाल करके युद्ध अपराध कर रही है. बिल्लियां और कुत्ते खाने को मजबूर परिवारों की ख़ौफ़नाक कहानियां और खाने की तलाश में कैंपों से बाहर निकले लोगों के बंदूक़धारियों के शिकार होने की दास्तां अब सामान्य बातें हो गईं हैं.''

लूथर ने  सीरियाई सरकार से अपील की है कि सरकार राहत कार्यों में जुटी एजेंसियों को कैंपों तक पहुंचने की इजाज़त फ़ौरन दे.

वहां रहने वाले लोगों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि उन्होंने महीनों से फल या सब्ज़ी नहीं खाया है और यारमूक कैंप में रहने वाले 60 फ़ीसदी लोग कुपोषण के शिकार हैं.

1948 में हुए अरब-इसराइल युद्ध के बाद फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यारमूक कैंप बनाया गया था लेकिन 2012 के आख़िर में ये कैंप सुर्ख़ियों में एक बार फिर आया जब सरकार विरोधी लड़ाकों ने यहां अपना क़ब्ज़ा जमा लिया.

यारमूक कैंप में रहने वाले एक लाख 80 हज़ार फ़लस्तीनियों में से ज़्यादातर तो कैंप छोड़ कर भाग गए लेकिन पिछले साल जुलाई में सरकारी सेना ने जब कैंप को चारों तरफ़ से घेर लिया तब से वहां अब भी लगभग 20 हज़ार लोग फंसे हुए हैं.

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया था जिसमें सीरियाई संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से कैंप की घेराबंदी उठाने की अपील की गई थी. लेकिन अभी तक उसका कोई असर नहीं हुआ है और कैंपों में रह रहे लोगों की हालत में कोई सुधार नहीं देखा गया है.

संयुक्त राष्ट्र ने राहत सामग्री भेजी थी लेकिन विद्रोहियों और सरकार समर्थक फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच हुए समझौते के टूट जाने के कारण राहत सामग्री कैंप तक नहीं पहुंच सकी.

Source: Hindi News

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