Thursday, March 20, 2014

Modi Have To Make Advani Win For His Dignity

बुधवार को भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों की पांचवीं सूची जारी होने के साथ ही लालकृष्ण आडवाणी के भोपाल से चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है.
अब आडवाणी गुजरात में गांधी नगर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे जबकि पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुजरात में वड़ोदरा से उम्मीदवार होंगे. मोदी के बनारस से भी चुनावी लड़ने का फ़ैसला तो पहले ही हो चुका है.

लेकिन इसने भाजपा के अंदरख़ाने सबकुछ सही है, इस पर एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि यह फ़ैसला बताता है कि भाजपा के अंदर अब भी कितनी रस्साकशी है. पहले तो इसी बात पर बहस हो रही थी कि आडवाणी को टिकट दिया जाएगा भी या नहीं.

नीरजा ने कहा कि मोदी और उनके समर्थकों को अभी भी एक डर है कि जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए कहीं आडवाणी का दावा मज़बूत ना हो जाए बावजूद इसके कि नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में तय है.

विकास की तुलना

उनके अनुसार दूसरा डर यह था कि आडवाणी अगर भोपाल से चुनाव लड़ते हैं तो कहीं गुजरात के विकास की तुलना वो फिर से मध्यप्रदेश से ना कर दें.

नीरजा कहती हैं कि दूसरी तरफ़ आडवाणी को डर है कि गुजरात में मोदी उन्हें कहीं गांधीनगर से चुनाव हरवा ना दें. लेकिन अब आडवाणी को जिताना मोदी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन जाएगा.

उनका मानना है कि आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को टिकट देना पार्टी की मजबूरी है लेकिन मोदी की रस्साकशी सीनियर नेताओं और संघ के साथ आगे भी जारी रहेगी ऐसा लगता है.

संघ को लग रहा है कि मोदी का क़द संगठन से ज़्यादा बड़ा होता जा रहा है. कहा जाता है कि आडवाणी ने तो इसे पार्टी की बैठक में ज़ाहिर भी किया है.

मोदी के गुजरात के वड़ोदरा से लड़ने के संबंध में ऐसा बताया जा रहा है कि मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा रहा है कि वो सुरक्षित सीट से लड़ते रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक आकार पटेल के अनुसार गुजरात की किसी सीट से तो मोदी को लड़ना ही था.

मोदी को श्रेय
बीबीसी संवाददाता इक़बाल अहमद से बातचीत में आकार पटेल ने कहा कि मोदी अहमदाबाद, सूरत और वड़ोदरा में से किसी एक सीट पर लड़ते जिसमें उन्होंने वड़ोदरा को चुना जहां भाजपा को पिछले कुछ चुनावों में डेढ़ पौने दो लाख की बढ़त मिलती रही है.

पटेल के अनुसार वाराणसी भी बीजेपी की सुरक्षीत सीट रही है लेकिन वहां बीजेपी का वोट शेयर कम है, विपक्षी एकजुटता की स्थिति में वो सीट हारने की संभावना भी रहती लेकिन ऐसा लगता नहीं है.

आकार पटेल का मानना है कि मोदी ने उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने का फ़ैसला इसलिए किया क्योंकि उत्तर प्रदेश में अगर बीजेपी दोबारा से मज़बूत होती है तो इसका सारा श्रेय मोदी को मिले.

विपक्ष दो जगहों से मोदी के चुनाव लड़ने पर उनको घेरते हुए इसे मोदी के विश्वास में कमी बता रहा है.

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बुधवार को ही मोदी को निशाना बनाते हुए कहा था कि अगर वो इतने लोकप्रिय हैं तो फिर दो-दो जगह से क्यों चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं.

उम्मीदवारी का कीचड़
लेकिन आकार पटेल नहीं मानते कि विपक्ष के इस दावे में कोई ख़ास दम है. उनके अनुसार इससे पहले भी अन्य पार्टी के नेताओं के द्वारा दो जगहों से चुनाव लड़ा जाता रहा है और मोदी की जीत को लेकर किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

आडवाणी के गांधी नगर से चुनाव लड़ने के पार्टी के फ़ैसले पर आकार पटेल का कहना है कि आडवाणी असंतुष्ट ज़रूर हैं लेकिन पार्टी में उनका साथ देने वाला इस समय कोई नहीं है.

पटेल के अनुसार आडवाणी ने मोदी के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का विरोध किया था इसलिए आडवाणी के लिए गुजरात से चुनाव लड़ना मुश्किल ज़रूर होगा लेकिन उनकी जीत पक्की है.

आकार पटेल कहते हैं कि यह बात गुजरात के लोग भी जानते है और स्थानीय कार्यकर्ता भी जानते हैं इसलिए वहां एक महीने रह कर चुनाव प्रचार करना आडवाणी के लिए आसान नहीं होगा.

पटेल का कहना है कि इससे बचने के लिए ही आडवाणी चाह रहे थे कि वो गुजरात से चुनाव ना लड़े, अगर मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार न होते तो आडवाणी गांधीनगर से ही चुनाव लड़ते लेकिन प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का कीचड़ अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है.

Source: Online Hindi Newspaper

No comments:

Post a Comment