2012 में जब कर्नाटक ने क़रीब 2,600 वर्ग किलोमीटर में फैले वन क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया तभी से नेशनल पार्कों, बाघ संरक्षित क्षेत्रों और अभ्यारण्यों को जोड़ा जा रहा है.
यह संरक्षित क्षेत्र भारत के कुल भू-क्षेत्र का पांच प्रतिशत है और ऐसे कड़े क़ानूनों के अंतर्गत आता है जो भूमि के इस्तेमाल को बदलने की प्रक्रिया को मुश्किल बनाते हैं.
नेशनल पार्कों और टाइग़र रिज़र्व्स में मानव बस्तियों की इजाज़त नहीं है.
कर्नाटक ने पहले ही तीन संरक्षित वन क्षेत्र बनाए हैं, जो 10 लाख हेक्टेयर में वेस्टर्न घाट के समानांतर फैले हैं.
भारत के पश्चिमी समुद्र तट की ओर स्थित पर्वत शृंखला के पास के क्षेत्र को वेस्टर्न घाट कहा जाता है.
यूनेस्को ने इसे वैश्विक विरासत घोषित कर रखा है और यह दुनिया के आठ सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है.
दक्षिणी कर्नाटक में बनरघाटा-नागरहोल क्षेत्र को संरक्षित बनाए जाने के साथ ही 7,050 वर्ग किलोमीटर का विशाल भूभाग एकमुश्त संरक्षित वन क्षेत्र बन जाएगा.
मानव बस्तियां
इस भूभाग में केरल और तमिलनाडु से सटे हुए संरक्षित वन क्षेत्र भी आते हैं.
क़रीब 1,716 वर्ग किलोमीटर में फैला मध्य कर्नाटक का कुद्रेमुख-आघानाशिनी भूभाग इसमें मिलाया जा चुका है.
उत्तर में आंशी-भीमघाद का भूभाग कर्नाटक और गोवा में स्थित 2,242 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र से जोड़ा जा चुका है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि वन संरक्षरण के लिए विरल मानव बसाहट एक बड़ा ख़तरा है.
सतत् वन क्षेत्र स्थानीय स्तर पर जीवों के लुप्त प्राय होने की संभावना को कम करता है.
एक दूसरे से जुड़े हुए वन क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थान बदलने वाले वन्य जीवों को अनुकूलन और उत्तरजीविता का बेहतर मौका देते हैं...
यह संरक्षित क्षेत्र भारत के कुल भू-क्षेत्र का पांच प्रतिशत है और ऐसे कड़े क़ानूनों के अंतर्गत आता है जो भूमि के इस्तेमाल को बदलने की प्रक्रिया को मुश्किल बनाते हैं.
नेशनल पार्कों और टाइग़र रिज़र्व्स में मानव बस्तियों की इजाज़त नहीं है.
कर्नाटक ने पहले ही तीन संरक्षित वन क्षेत्र बनाए हैं, जो 10 लाख हेक्टेयर में वेस्टर्न घाट के समानांतर फैले हैं.
भारत के पश्चिमी समुद्र तट की ओर स्थित पर्वत शृंखला के पास के क्षेत्र को वेस्टर्न घाट कहा जाता है.
यूनेस्को ने इसे वैश्विक विरासत घोषित कर रखा है और यह दुनिया के आठ सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है.
दक्षिणी कर्नाटक में बनरघाटा-नागरहोल क्षेत्र को संरक्षित बनाए जाने के साथ ही 7,050 वर्ग किलोमीटर का विशाल भूभाग एकमुश्त संरक्षित वन क्षेत्र बन जाएगा.
मानव बस्तियां
इस भूभाग में केरल और तमिलनाडु से सटे हुए संरक्षित वन क्षेत्र भी आते हैं.
क़रीब 1,716 वर्ग किलोमीटर में फैला मध्य कर्नाटक का कुद्रेमुख-आघानाशिनी भूभाग इसमें मिलाया जा चुका है.
उत्तर में आंशी-भीमघाद का भूभाग कर्नाटक और गोवा में स्थित 2,242 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र से जोड़ा जा चुका है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि वन संरक्षरण के लिए विरल मानव बसाहट एक बड़ा ख़तरा है.
सतत् वन क्षेत्र स्थानीय स्तर पर जीवों के लुप्त प्राय होने की संभावना को कम करता है.
एक दूसरे से जुड़े हुए वन क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थान बदलने वाले वन्य जीवों को अनुकूलन और उत्तरजीविता का बेहतर मौका देते हैं...
Source: Hindi News
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