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Wednesday, April 23, 2014

Arvind kejriwal to file his nomination today

वकीलों ने लगाएं मोदी के नारे
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कचहरी पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया. नामांकन के दौरान कचहरी मुख्यालय के गेट पर वकीलों ने 'हर-हर मोदी, घर-घर मोदी' के नारे लगाए. हल्की-फुल्की नोकझोक के बीच प्रस्तावकों के साथ केजरीवाल ने कमरे में पहुंच कर अपना नामांकन दाखिल किया. केजरीवाल नामांकन भरने के बाद ठीक तीन बजे बाहर निकल गए. मनीष सिसोदिया और आशुतोष भी उनके साथ हैं.

जमकर लग रहे नारे
नामांरन भरने से पहले केजरीवाल ने रोड शो किया जिसमें वाराणसी के हर चौराहे पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं के द्वारा उन्हें विरोध झेलना पड़ा. लगातार चली आ रही बाधाओं के बावजूद केजरीवाल ने अपना रोड शो जारी रखा. वहीं बीजेपी सपोटर्स रोडो़ पर खड़े लगातार केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. बीजेपी के समर्थक लगातार "हर-हर मोदी, घर-घर मोदी" के नारे लगा रहे हैं.

किया आजाद
इससे पहले केजरीवाल ने फ्रीडम फाइटर चंद्र शेखर आजाद की प्रतिमा को माला पहनाई. साथ ही उन्होंने चार कबूतरों को भी आजाद कर उड़ाया. केजरीवाल ने कबूतरों को उड़ाते समय अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे आज यह पक्षी आजाद हुए हैं, वैसे ही बहुत जल्द हमारा देश भी इन भ्रष्टाचारियों से आजाद हो जाएगा. इसके बाद वो लहुराबीर चौराहे से पदयात्रा करते हुए नामांकन स्थल तक पहुंचेंगे. इस रोड शो में गाडिय़ों का काफिला नहीं होगा लेकिन एक खुली जीप रहेगी जिस पर वो बीच-बीच में सवार होंगे. केजरीवाल के नामांकन की जानकारी आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह, वरिष्ठ नेता गोपाल राय व आशुतोष ने दी थी.

केजरी सपोरटर्स
केजरीवाल के नामांकन को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. केजरीवाल के नामांकन भरने से पहले ही लोग यहां उनके समर्थन में गिटार बजाकर और गाने गाकर उनका सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं. वहीं कुछ देर पहले ही बीजेपी और आप के समर्थकों के बीच झड़प भी हुई.

Monday, March 24, 2014

Jaswant singh files his nomination as independent contest


 'बाग़ी' जसवंत सिंह ने दाख़िल किया पर्चा

स्थानीय संवाददाता नारायण बारेठ के मुताबिक़ नामांकन पत्र दाख़िल करने से पहले जसवंत पुत्र और भाजपा विधायक मानवेंद्र सिंह से मिले और उनसे विचार विमर्श किया.

पर्चा दाख़िल करने के बाद जसवंत सिंह ने कहा, "मुझसे पार्टी के किसी भी नेता ने संपर्क नहीं किया है और मैं पार्टी के रवैये से नाराज़ हूं. मैं जनता के आदेश पर चुनाव लड़ रहा हूँ."

जसवंत सिंह का बाड़मेर स्टेडियम में एक जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम है जिसमें वह अपनी आगे की रणनीति का ऐलान करेंगे.

इससे पहले राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बाड़मेर और जैसलमेर के भाजपा विधायकों को जयपुर तलब किया था और बाड़मेर से भाजपा के प्रत्याशी सोनाराम का समर्थन करने को कहा.

सोनाराम कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं.

Source: Hindi News

Asia largest forest conservaiton area buliding in india

भारत में बन रहा है एशिया का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र
2012 में जब कर्नाटक ने क़रीब 2,600 वर्ग किलोमीटर में फैले वन क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया तभी से नेशनल पार्कों, बाघ संरक्षित क्षेत्रों और अभ्यारण्यों को जोड़ा जा रहा है.

यह संरक्षित क्षेत्र भारत के कुल भू-क्षेत्र का पांच प्रतिशत है और ऐसे कड़े क़ानूनों के अंतर्गत आता है जो भूमि के इस्तेमाल को बदलने की प्रक्रिया को मुश्किल बनाते हैं.

नेशनल पार्कों और टाइग़र रिज़र्व्स में मानव बस्तियों की इजाज़त नहीं है.

कर्नाटक ने पहले ही तीन संरक्षित वन क्षेत्र बनाए हैं, जो 10 लाख हेक्टेयर में वेस्टर्न घाट के समानांतर फैले हैं.

भारत के पश्चिमी समुद्र तट की ओर स्थित पर्वत शृंखला के पास के क्षेत्र को वेस्टर्न घाट कहा जाता है.

यूनेस्को ने इसे वैश्विक विरासत घोषित कर रखा है और यह दुनिया के आठ सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है.

दक्षिणी कर्नाटक में बनरघाटा-नागरहोल क्षेत्र को संरक्षित बनाए जाने के साथ ही 7,050 वर्ग किलोमीटर का विशाल भूभाग एकमुश्त संरक्षित वन क्षेत्र बन जाएगा.

मानव बस्तियां

इस भूभाग में केरल और तमिलनाडु से सटे हुए संरक्षित वन क्षेत्र भी आते हैं.

क़रीब 1,716 वर्ग किलोमीटर में फैला मध्य कर्नाटक का कुद्रेमुख-आघानाशिनी भूभाग इसमें मिलाया जा चुका है.

उत्तर में आंशी-भीमघाद का भूभाग कर्नाटक और गोवा में स्थित 2,242 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र से जोड़ा जा चुका है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि वन संरक्षरण के लिए विरल मानव बसाहट एक बड़ा ख़तरा है.

सतत् वन क्षेत्र स्थानीय स्तर पर जीवों के लुप्त प्राय होने की संभावना को कम करता है.

एक दूसरे से जुड़े हुए वन क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थान बदलने वाले वन्य जीवों को अनुकूलन और उत्तरजीविता का बेहतर मौका देते हैं...

Source: Hindi News

Russian troops overrun feodosia naval base of crimea


यूक्रेन के नौसैनिक अड्डे पर रूस का क़ब्ज़ा

यूक्रेन के रक्षा प्रवक्ता व्लादिस्लाव सेलेज़्नीओव ने कहा कि रूसी सैनिकों ने नौसैनिक अड्डे पर दो तरफ से बख्तरबंद गाड़ियों और ग्रेनेड से हमला किया.

उन्होंने बताया कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के सैनिकों के एक जगह इकट्ठा किया और उनके अधिकारियों के हाथ बांध दिए.

रूस ने क्राईमिया के अधिकांश  सैनिक ठिकानों को अपने नियंत्रण में ले लिया है और इस तरह इस प्रायद्वीप पर उसकी पकड़ मजबूत हो गई है.

फ़ियोडोसिया नौसैनिक ठिकाने पर मौजूद एक सैनिक ने रॉयटर्स को बताया कि वहां गोलीबारी की गई. साथ ही सैनिक ने इस बात की भी पुष्टि की कि इस नौसैनिक ठिकाने पर रूस का क़ब्ज़ा हो गया है.

क्राईमिया की राजधानी सिम्फ़ेरोपोल में मौजूद बीबीसी संवाददाता मार्क लोवेन ने बताया कि फ़ियोडोसिया यूक्रेन के नियंत्रण वाला आख़िरी नौसैनिक ठिकाना था, जो पिछले कुछ समय से रूसी सैनिकों से घिरा हुआ था.

इससे पहले शुक्रवार को रूसी सैनिकों ने रातोंरात दो अन्य सैन्य ठिकानों पर हमला करके उन्हें अपने क़ब़्जे में ले लिया था.

इससे पहले इंटरफ़ैक्स न्यूज़ एजेंसी ने जानकारी दी थी कि यूक्रेन की 189 सैन्य इकाइयों और क्राईमिया के अन्य ठिकानों पर रूसी झंडे फहरा रहे थे.

यूरोप में  नैटो के सैन्य कमांडर ने रविवार को चेतावनी दी थी कि यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर मौजूद रूसी सेनाएं मोलदोवा तक कार्रवाई करने में सक्षम हैं.

क्राईमिया में ताज़ा हालात यह हैं कि इसके कुछ हिस्सों में रविवार शाम से बिजली आपूर्ति बाधित है लेकिन अधिकारियों ने इसके लिए तकनीकी दिक़्क़तों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

AFP reporter among 9 dead in kabul


अफ़ग़ानिस्तान: पत्रकार का परिवार समेत क़त्ल

पत्रकार की हत्या के विरोध में अफ़ग़ानिस्तान के पत्रकारों ने तालिबान की ख़बरों का बहिष्कार करते हुए 15 दिन तक तालिबान की कोई ख़बर प्रसारित न करने का फ़ैसला किया है.

पत्रकार सरदार अहमद, उनकी पत्नी और दो बच्चे उन नौ लोगों में शामिल थे, जिनकी चरमपंथी हमले में मौत हुई है.

सरदार अहमद का तीसरा बच्चा घायल है और उसकी हालत गंभीर है.

इस हमले में मारे गए लोगों में चार महिलाएं, तीन पुरुष और दो बच्चे थे.

प्रसारण बंद
सेरेना होटल राष्ट्रपति भवन से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

मारे गए लोगों में भारत और पाकिस्तान के एक-एक नागरिक भी शामिल हैं. हमले में मारे गए बाक़ी लोग अफ़ग़ानिस्तान के थे.

शुक्रवार को बैठक में पत्रकारों ने फ़ैसला लिया कि तालिबान की किसी भी हिंसक गतिविधि की ख़बर नहीं दी जाएगी.

बैठक में कहा गया, "हम तालिबान से यह भी पूछते हैं कि वो मासूम बच्चों की हत्या को कैसे सही ठहरा सकते हैं."

एक बयान में पत्रकारों ने कहा, "हमारी बिरादरी ने एक बार फिर अपने एक सक्रिय सदस्य की दुखद मौत पर शोक जताया है. इस सच्चाई के बावजूद कि अफ़ग़ान पत्रकारों ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए अपनी कवरेज में तटस्थ रहने की कोशिश की है."

काबुल में सेरेना होटल राष्ट्रपति भवन और महत्वपूर्ण मंत्रालयों से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है, जहां यह हमला हुआ.

Source: Latest News in Hindi

Thursday, March 20, 2014

Haryana Minister Kiran Chaudhary Attacked

रियाणा की जनस्वास्थ्य मंत्री किरण चौधरी पर कुछ लोगों ने देर शाम पथराव कर दिया. जिसके कारण वो चोट लगने के कारण मौके पर ही बेहोश हो गई.
अंधेरे का फायदा उठाया
बुधवार देर शाम चुनावी जनसभा को संबोधित करने के दौरान हरियाणा की जनस्वास्थ्य मंत्री किरण चौधरी पर कुछ लोगों ने पथराव कर दिया. छाती व सिर पर चोट लगने से वो बेहोश हो गई. उन्हें स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार दिया गया. डॉ. एमआर मक्कड़ ने बताया कि अल्ट्रासाउंड और प्राथमिक उपचार के बाद रात नौ बजे किरण चौधरी के ही अनुरोध पर उन्हें गुड़गांव के मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया. पत्थरबाजी में एक बुजुर्ग व बच्चे को भी चोट आई है. हमलावर अंधेरे का फायदा उठा कर फरार हो गए.

अचानक पथराव

किरण चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अपनी बेटी श्रुति चौधरी के समर्थन में कोरियावास गांव में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रही थीं. वो चुनाव प्रचार के दौरान बुधवार को शाम 7.50 बजे वह कोरियावास की चौपाल में पहुंचीं. उन्होंने सभा को संबोधित करना शुरू ही किया था कि पूर्व दिशा से अचानक पथराव शुरू हो गया. हमलावरों ने उन पर चार-पांच पत्थर फेंके. एक पत्थर किरण चौधरी की छाती व दूसरा पत्थर उनके सिर पर लगा. इससे वह मौके पर ही बेहोश हो गई.

चुनाव में खूनी संघर्ष की आशंका
समर्थक गंभीर हालत में किरण चौधरी को सामान्य अस्पताल ले गए. जहां से उन्हें रात नौ बजे गुड़गांव के मेदांता रेफर कर दिया. इस बीच किरण और श्रुति चौधरी के समर्थक मामले की शिकायत लेकर उपायुक्त के आवास पर जमा हो गए थे. इस बार चुनाव में खूनी संघर्ष की आशंका जताई जा रही थी. भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह दबंग प्रवृत्ति के हैं. दूसरी तरफ चौधरी बंसीलाल के परिवार का भी इलाके में काफी प्रभाव है.

Source: Local News

Wednesday, March 19, 2014

International Webcam Molestation Ring Busted Who Abuse Child

अमरीकी अधिकारियों ने ऑनलाइन चाइल्ड पोर्न परोसने वाले एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया है.
अधिकारियों ने कहा कि इस गुप्त सदस्यता वाली वेबसाइट को चलाने वाले 14 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

वेबसाइट पर मौजूद वीडियो में मौजूद क़रीब 250 बच्चों में से अधिकतर  अमरीका से हैं.

इस वेबसाइट पर 27,000 ग्राहक मौजूद थे. इनमें से कईयों पर व्यक्तिगत मामला दर्ज किया गया है.

आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आइस) के उप निदेशक डैनियल रैगस्डैल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "इस एजेंसी के इतिहास में हमने इससे पहले कभी भी बाल उत्पीड़न के किसी एक मामले की जांच के दौरान इतने बड़े पैमाने पर नाबालिग पीड़ितों को नहीं पाया है."

एजेंसी ने होमलैंड सुरक्षा और अन्य एजेंसियों की सहायता से इस गिरोह का पर्दाफ़ाश किया है.

अधिकारियों ने कहा कि वीडियो में मौजूद बच्चों की उम्र तीन से 17 साल के बीच है और वे अमरीका के 39 राज्यों से हैं. कुल 251 पीड़ितों में से 23 ब्रिटेन, कनाडा, न्यूज़ीलैंड,  ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम के हैं.

उत्तेजना वाले वीडियोयह वेबसाइट सोशल नेटवर्क पर वीडियो साझा कर कामोत्तेजक सामग्री उपलब्ध कराती थी.

यह वेबसाइट लड़कों के  अश्लील वीडियो साझा करती थी. इन लड़कों को सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से अपने कामोत्तेजक वीडियो देने के लिए फंसाया जाता था. कभी-कभी तो पुरुष महिला बनकर लड़कों को फंसाते थे.

गिरफ्तार संदिग्धों में शामिल 27 साल के जोनाथन जॉनसन दक्षिणी अमरीकी राज्य लूसियाना से संचालित इस अश्लील वेबसाइट के कथित प्रशासक थे.

अधिकारियों ने कहा कि जॉनसन अगर दोषी पाए जाते है तो उन्हें 20 साल की सज़ा हो सकती है.

पुलिस का कहना है कि यह अवैध वेबसाइट जून 2012 से जून 2013 तक एक गुप्त सेवा बोर्ड के टौर नेटवर्क पर संचालित होती रही. जॉनसन को जून 2013 में गिरफ़्तार किया गया था.

टौर नेटवर्क ऑनलाइन पहचान को और एक उपयोगकर्ता के स्थान को गुप्त रखता है.

साजिश का आरोपआइस साइबर अपराध केंद्र के कार्यक्रम प्रबंधक जेम्स कीलपैट्रिक ने रायटर को बताया कि इस रैकेट का भंडाफोड़ तब हुआ जब एक आइटम एक बच्चे को अमेरिकी डाक सेवा के माध्यम से भेजा गया था. इसके बाद ही जॉनसन पकड़ में आया था.

गिरफ़्तार 14 लोगों पर बाल शोषण उद्यम संचालित करने की साजिश का आरोप लगाया गया है.

अधिकारियों का कहना है, जब इस वेबसाइट को निष्क्रिय किया गया तो उस वक़्त अवैध वेबसाइट पर वेब कैमरों से बनाए गए 2,000 से अधिक वीडियो मौजूद थे जिसमें से ज़्यादातर किशोर लड़कों के थे.

आइस अधिकारियों ने आगाह किया है कि बच्चों को ऑनलाइन कामोत्तेजक सामग्री देने के लिए लालच दिया जा रहा है.

Source: Latest News in Hindi

Thursday, March 13, 2014

Big Fight No Decision On Narendra Modi Seat Today

भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए आज कई अहम सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने जा रही है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा आज नहीं होगी।

ऐसे में नरेंद्र मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे, इसकी घोषणा आज नहीं होने के आसार हैं। खबर है कि नरेंद्र मोदी दो सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इनमें एक सीट गुजरात से और दूसरी उत्तर प्रदेश की वाराणसी हो सकती है। सूत्रों की मानें तो मोदी खुद गुजरात और यूपी से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। ऐसे हालात में वाराणसी के मौजूदा सांसद मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से पार्टी का टिकट दिया जा सकता है।

वहीं पटना साहिब सीट से पार्टी शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के नाम पर विचार कर रही है। इसके अलावा पंजाब की अमृतसर सीट से नवजोत सिंह सिद्धू या अरुण जेटली को मैदान में उतारा जा सकता है।

पिछले कई दिनों से भाजपा नेतृत्व प्रत्याशियों की खोज में कसरत कर रहा है। दावेदार तो कई हैं लेकिन कोई ऐसा नाम अभी तक सामने नहीं आया है जिस पर सर्वसम्मति बन जाए। पार्टी पहले विधायकों को चुनाव मैदान में उतारने या नहीं उतारने के मुद्दे पर सहमति बनाने में लगी रही। इसे लेकर प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व में सहमति नहीं बन पा रही थी। माना जा रहा है कि आखिर में कुछ विधायकों के नाम पर विचार किया जा रहा है।

इसके बाद जातीय व क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों की खोज शुरू हुई। उम्मीद है कि बृहस्पतिवार तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। यदि सभी सीटों पर प्रत्याशियों की खोज पूरी नहीं हुई तो कुछ प्रत्याशियों के नाम की घोषणा एक-दो दिन बाद भी की जा सकती है।

योग्य प्रत्याशियों की खोज के लिए दिल्ली के चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी ने मंगलवार शाम के बाद बुधवार को भी दिल्ली के विधायकों, विधानसभा चुनाव में पराजित रहे प्रत्याशियों, जिला अध्यक्षों, प्रदेश पदाधिकारियों, निगमों के महापौर व अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की। हालांकि, प्रदेश चुनाव समिति की ओर से संभावित प्रत्याशियों की सूची केंद्रीय चुनाव समिति को भेजी जा चुकी है लेकिन अभी भी इसमें संशोधन किया जा रहा है। जिसके लिए भाजपा नेता व संघ के पदाधिकारी कई बैठकें कर रहे हैं।

इसी कड़ी में दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन बुधवार को झंडेवालान स्थित आरएसएस कार्यालय गए और संघ पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। भाजपा नेताओं ने बताया कि पार्टी वैश्य, पंजाबी, जाट, गुर्जर और पूर्वाचल समुदाय से एक प्रत्याशी के साथ, एक महिला को भी चुनाव मैदान में उतारने के फार्मूले पर काम कर रही है। जबकि एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

पार्टी राजधानी की विभिन्न सीटों के लिए किरण बेदी, नवजोत सिंह सिद्धू, नलिन कोहली जैसे कई अन्य बड़े नामों पर भी विचार किया जा रहा है। इसी तरह रामबीर सिंह बिधूड़ी, प्रवेश वर्मा, मांगे राम गर्ग, नंद किशोर गर्ग, पूनम आजाद, योगेंद्र चंदोलिया सहित कुछ अन्य स्थानीय नेता भी पार्टी टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं।

Source: Hindi News

Gul Panag Joins AAP

बॉलीवुड एक्ट्रेस गुलपनाग आम आदमी पार्टी का हिस्सा बन गई हैं. खबरे के मुताबिक गुल आप की तरफ चंडीगढ़ की सीट की उम्मीदवार हो सकती हैं.
एक्ट्रेस और सामाजिक कार्यकर्ता
बॉलीवुड एक्ट्रेस गुल पनाग चंडीगढ़ संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हो सकती हैं. खबर है कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक मनीष सिसौदिया इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते हैं. गुल पनाग अभिनय के साथ-साथ सामाजिक कार्यों से भी जुड़ीं रही हैं. गुल पनाग ने 'डोर', 'धूप' और 'रण' जैसी फिल्मों में काम किया है. वह मिस इंडिया भी रह चुकीं है. वे हाल ही में आम आदमी पार्टी में शामिल हुई हैं.

पिता भी हैं शामिल
गौरतलब है कि गुल पनाग के पिता लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने भी पिछले महीने 'आप' की सदस्यता ली थी. आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ से पहले दिवंगत हास्य कलाकार जसपाल भट्टी की पत्नी सविता भट्टी को टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने अपना टिकट लौटा दिया.

Between Modi And Mayawati I Will Choose Narendra Modi Says Kejriwal

जब पीएम पद के उम्मीदवार की बात हुई तो आम पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भी नरेंद्र मोदी का नाम लेना पड़ा.
मायावती की जगह मोदी
लोक सभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों को कारोबारी समुदाय की अहमियत का अंदाजा होने लगा है. यही वजह रही कि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए मायावती की जगह नरेंद्र मोदी का नाम लेना पड़ा. मुंबई में फाइनेंशियल मार्केट के दिग्गजों के साथ हुई बैठक में उन्होंने इस बात को स्वीकारा. एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल ऐसा तभी करेंगे जब उनके सिर पर कोई बंदूक रख देगा.

मजबूरी में लूंगा मोदी का नाम
यह बात उन्होंने तब कही जब गुजरात अंबुजा के पूर्व प्रबंध निदेशक और निवेशी सलाहकार कंपनी आईकैन एडवाइज के सीईओ अनिल सिंघवी ने उनसे मोदी पर सवाल पूछा. निवेशकों के साथ हुई अपनी पहली बैठक के दौरान केजरीवाल ने कहा कि 2014 के चुनाव से केंद्र में कोई निर्णायक जनादेश नहीं आने वाला. इस पर सिंघवी ने उनसे पूछा कि वह मोदी और मायावती में से किसे चुनेंगे. सिंघवी ने ईटी को बताया कि पहले तो केजरीवाल ने किसी को भी नहीं चुना. लेकिन जब उनसे कहा गया कि देश को प्रधानमंत्री की जरूरत तो है ही, तब उन्होंने कहा कि अगर मजबूरी में चुनना पड़ेगा तो वो मोदी का नाम लेंगे. हालांकि, केजरीवाल ने अपनी पसंद का कोई औचित्य नहीं बताया. केजरीवाल के टिप्पणी से सिंघवी काफी प्रभावित हुए क्योंकि वह सोचते हैं कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने कारोबारी समुदाय के बारे में ज्यादा नहीं सोचा है वह ईमानदार तो हैं. स्टॉक ब्रोकर रामदेव अग्रवाल भी उस बैठक में मौजूद थे, उन्होंने भी केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की तारीफ की.

अपनी ईमेज खराब नहीं कर सकते
एक अन्य अंग्रेजी वेबसाइट में कहा गया है कि केजरीवाल अब बिजनेस समुदाय में अपनी ईमेज खराब नहीं कर सकते. याद रहे कि आप की आर्थिक नीतियों की वजह से शेयर बाजार गंभीर चिंतन में चला गया था जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. एक बात यह भी कही गई कि केजरीवाल अब बिजनेस समुदाय में मोदी के असर को कम करना चाहते हैं. कई उद्योगपति केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी कदमों की सराहना पहले ही कर चुके हैं, तो अब उनकी यह टिप्पणी बिजनेस समुदाय के बीच कारगर साबित हो सकती है. इस टिप्पणी से यह भी साबित हो जाता है कि आप एक राजनीतिक पार्टी है. कोई राजनीतिक पार्टी भारत में बिजनेस समुदाय के सहयोग के बिना आगे नहीं बढ़ सकती. यह सच्चाई आम आदमी पार्टी को भी समझ आ गई है. यही वजह रही कि केजरीवाल ने बैठक में मौजूद निवेशकों से पार्टी के चुनाव अभियान में भागीदारी लेने की इच्छा जताई.

Source: Hindi News

Wednesday, March 12, 2014

Tabu And Shahid Will Be Romancing Each Other

विकास बहल की नयी फिल्म में तब्बू और शाहिद कपूर की जोड़ी रोमांस करती नजर आ सकती है.

फिल्म 'चिल्लर पार्टी' से अपना डायरेक्शन डेब्यु करने वाले विकास बहल इन दिनों काफी खुश हैं. हों भी क्यों  ना उनकी लेटेस्ट रिलीज फिल्म 'क्वीन' को काफी एप्रिशिएट किया जा रहा है. अपनी फर्स्ट फिल्‍म के बाद लंबा गैप लेकर फिल्म बनाने के बावजूद विकास ने अपने व्यूअर्स को डिसएप्वाइंट नहीं किया. खैर अब अगर बॉलिवुड से आ रही खबरों की मानें तो इस बार विकास इतना लंबा इंतजार कराने के मूड में नहीं हैं और अपना अगला प्रोजेक्ट जल्दी शुरू करने के लिए एकदम रेडी हैं.

सुनने में आया है कि विकास की थर्ड फिल्म की ना सिर्फ स्क्रिप्ट बिलकुल रेडी है बल्कि उन्होंने स्टार कास्ट भी फाइनल कर ली है. 'रिर्टन गिफ्ट' टाइटल से बनने वाली इस फिल्म में तब्बू और शाहिद कपूर लीड रोल में नजर आयेंगे और जल्दी  ही फिल्म की शूटिंग स्टार्ट हो जाएगी. शाहिद और तब्बू स्‍क्रीन बिना शक एक डिफरेंट और यूनीक कपल होंगे और ये देखना इंट्रस्टिंग होगा कि इस बार विकास क्या कमाल दिखाने वाले हैं. फिल्हाल विकास ने अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया है. 

We Will Take The Revenge Of Maoist Attack Says Shinde

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि माओवादियों से जवानों की हत्या का बदला लिया जाएगा.
उन्होंने मंगलवार को हुए माओवादी हमले की एनआईए से भी जांच कराने की घोषणा की.

बस्तर में माओवादी हमले के बाद छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे गृहमंत्री ने माओवादियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले की बात से इनकार नहीं किया और कहा कि रणनीतियां उजागर नहीं की जा सकतीं.

ग़ौरतलब है कि मंगलवार को माओवादियों ने बस्तर के झीरमघाटी इलाक़े में हमला करके सुरक्षा बल के 15 जवानों समेत 16 लोगों की हत्या कर दी थी.

पुलिस के 40 जवान सड़क निर्माण में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए निकले थे, तभी माओवादियों ने उन पर हमला किया था.

हमले में घायल तीन जवानों को राजधानी रायपुर के निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

पुलिस की मदद कर जान गंवानेवाला 'नक्सली' था

'हताश हैं माओवादी'बुधवार सुबह रायपुर से जगदलपुर पहुंचे सुशील कुमार शिंदे ने सबसे पहले मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी.

उसके बाद उन्होंने राज्य के राज्यपाल शेखर दत्त, मुख्यमंत्री रमन सिंह, राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा समेत आला अफ़सरों के साथ बैठक की.

सुशील कुमार शिंदे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि माओवादी हताश हैं, इस कारण इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हम अपने जवानों की शहादत का बदला लेंगे.”

शिंदे ने बस्तर में बैठक के बाद कहा कि  नक्सल हिंसा का मुक़ाबला करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल आपसी समन्वय से बहादुरी के साथ काम कर रहे हैं. इस वजह से नक्सली बौखला गए हैं और बौखलाहट में इस प्रकार की घिनौनी और कायरतापूर्ण हिंसा कर रहे हैं.

खुफ़िया जानकारी थी?नक्सल समस्या ख़त्म करने के लिए केंद्र की ओर से उन्होंने मुख्यमंत्री को हरसंभव सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया.

रायपुर में भी पत्रकारों से बातचीत में शिंदे ने दुहराया कि नक्सलियों की सक्रियता की ख़बर खुफ़िया विभाग को थी. लेकिन सही-सही स्थान की जानकारी न होने से यह दुखद घटना घटी है.

उन्होंने कहा, “जिस तरह से यह हमला हुआ है, उसका बदला ज़रूर लिया जाएगा. हमारे सभी जवान, चाहे स्टेट के हों या सेंटर के, वे ज़रूर इसका बदला लेंगे.”

पत्रकारों द्वारा यह कहे जाने पर कि गृहमंत्री बार-बार ऐसी बातें कहते हैं, शिंदे ने कहा- “हम पहली बार यह बात कह रहे हैं.”

उन्होंने केंद्र और राज्य के बीच तालमेल के अभाव को लेकर कहा कि इस बारे में बात हुई है और हमारी कोशिश है कि और बेहतर तालमेल स्थापित हो.

Source: Hindi News

Amazing Facts About Animals Of Our World

एक आम मनुष्य दिन में छह से आठ घंटे सोता है लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे अलग अलग जानवर दिन में कितना समय सोने में बिताते हैं.
न केवल सोना बल्कि कुछ जानवर सपने भी देखते हैं. मनुष्यों ने जानवरों के दिमाग पर और सोने की प्रवृत्ति पर अब तक कम ही जानकारी जुटाई है.

पिछले दिनों कुछ विशेषज्ञों और फिल्ममेकरों ने मिलकर बीबीसी फोर के लिए एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जिसका विषय ही जानवरों के सोने से जुड़ा हुआ था और इसमें जो जानकारियां निकल कर आईं वो अचंभित करने वाली थीं.

जंगलों में पाए जाने वाले जानवर स्लॉथ के बारे में आम धारणा है कि वो हमेशा सोता रहता है और इसी से शायद अंग्रेज़ी में स्लाथ का अर्थ आलसी से है.

लेकिन अब पता चला है कि स्लॉथ दिन में केवल नौ से दस घंटे ही सोते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले जानवर कोआला दिन में 14.5 घंटे आंखें बंद रखते हैं जबकि सबसे अधिक सोते हैं चमगादड़. जी हां. चमगादड़ दिन में 20 घंटे सोते हैं.

सबसे कम नींद लेने वाले जानवरों में वो जानवर हैं जो चरते हैं. इसमें भी सबसे कम सोने वाले हैं ज़िराफ और हाथी जो केवल तीन या चार घंटे सोते हैं एक दिन में.

शेर जैसे बड़े जानवर यूं तो दिखने में आलसी से लगते हैं और आम धारणा के अनुसार वो 20-22 घंटे सोते हैं जबकि ये सही नहीं है.

बिल्लियों की तर्ज पर शेर भी छोटी छोटी नींदे लेते हैं.

दक्षिण अफ्रीका में हुए शोध में पता चला है कि शेर दिन में केवल 14 घंटे ही सोते हैं.

व्हेल के सपने

जानवर सोते हैं और कई सोते में सपने भी देखते हैं. व्हेल मछली इन्हीं में से एक है.

जानवर जिसमें मनुष्य भी शामिल है उसकी नींद और सपने का पता आंखों की पुतलियों की गति से पता लगाया जा सकता है लेकिन व्हेल या किसी भी पानी में रहने वाले जीव की पुतलियां हमेशा गतिमान रहती हैं क्योंकि उन्हें पानी में रहना होता है.

सेंट एंड्रयूज़ यूनिवर्सिटी के डॉ पैट्रिक मिलर के नेतृत्व में एक दल ने व्हेल मछलियों के सोने पर शोध किया जिससे पता चला कि कुछ व्हेल अपना सर पानी से ऊपर रख कर आराम करते हैं और इस दौरान सोते हैं और सपने भी देखते हैं.

समुद्री पक्षियों की नींद

एक और अवधारणा है कि समुद्री पक्षी अल्बटरॉस अपनी लंबी दूरी की उड़ानों में सो जाते हैं.

ये पक्षी समुद्री के ऊपर घंटों उड़ते रह सकते हैं.

हाल में किए गए शोध के मुताबिक ये पक्षी अपने पंखों की खास बनावट की वजह से घंटों हवा में रह सकते हैं लेकिन ऐसे में सोना संभव नहीं है.

पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के डॉ नील्स रैटनबर्ग कहते हैं, ‘’ आसमान में लंबे समय तक उड़ते रहने में नींद की संभावना कम होती है बनिस्पत पानी के नज़दीक उड़ने में. शायद तभी रात के समय ये पक्षी पानी के नज़दीक घंटो उड़ते रहते हैं.’’

कुछ और शोधों के अनुसार ये पक्षी अपनी उड़ान के दौरान बिल्कुल नहीं सोते हैं

Source: Online Hindi Newspaper

Chhattisgarh Naxalies Attack

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी अख़बारों में माओवादी हमले की ख़बर छाई हुई है.
सभी अख़बारों ने इस ख़बर को प्रमुखता से तस्वीरों के साथ प्रकाशित किया है. अधिकांश अख़बारों में विशेष संपादकीय लिखे गए हैं.

राजधानी रायपुर के लगभग सभी अख़बारों ने अपने शीर्षक में पिछले साल कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए हमले से ताज़ा घटनाक्रम को जोड़ा है, क्योंकि दोनों हमले एक ही इलाक़े झीरम घाटी में हुए हैं.

दैनिक नवभारत के बैनर का शीर्षक है- झीरमघाटी फिर हुई लाल. वहीं दैनिक भास्कर ने भी अपने बैनर में पुरानी घटना का उल्लेख करते हुए मारे गए एक जवान की तस्वीर लगाई है.

अख़बार ने शीर्षक लगाया है-'मौत की घाटी झीरम, 16 शहीद.'

कुछ अख़बारों के स्वर में तल्ख़ी भी है. राजस्थान पत्रिका समूह के अख़बार पत्रिका ने शीर्षक लगाया है- 'झीरम-2 माओवादी हमले में 16 शहीद. पुलिस का दावा, हमें सूचना थी, बड़ा सवाल कुछ किया क्यों नहीं ?'

सवाल दर सवाल

अख़बार ने लिखा है, "वारदात के बाद पुलिस ने दावा किया कि माओवादी घटना के संबंध में पिछले एक सप्ताह में चार बार अलर्ट जारी किया गया था, लेकिन सवाल यह है कि यदि पुलिस को सूचना थी तो माओवादियों को मार गिराने या हमले को रोकने के लिये महकमे ने क्या किया?"

दैनिक भास्कर ने अपने अंदर के पन्ने पर 'पीएचक्यू के सारे तोपची भिड़े ख़ुद को बचाने में' शीर्षक से गंभीर सवाल खड़े करते हुए लिखा है कि इस घटना के बाद पुलिस मुख्यालय में उथल-पुथल मच गई.

अख़बार लिखता है-"लेकिन उथल-पुथल सिर्फ़ ये साबित करने के लिए थी कि मुख्यालय ने अपना काम किया था और सुकमा-जगदलपुर के एसपी को चिट्ठियां भेज दी थीं कि झीरम घाटी और आसपास हमले को लेकर अलर्ट रहें."

चुनावी माहौल में दैनिक हरिभूमि ने अपने पहले पन्ने पर राजनेताओं के बयान प्रमुखता से प्रकाशित किए हैं.

नई दुनिया ने भी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और नेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल के बयानों को जगह दी है. अग्रेज़ी अख़बार द हितवाद ने पहले पन्ने पर दो ख़बरें लगाई हैं.

पहली ख़बर घटना की सूचना की है और दूसरी ख़बर मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे को रद्द कर आपात बैठक करने से संबंधित है.

राज्य के अधिकांश अख़बारों ने विशेष संपादकीय लिखे हैं और अपनी चिंता व्यक्त की है.

हालांकि टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध देशबन्धु में पहले पन्ने पर एक बड़ी ख़बर के अलावा न तो कोई विशेष टिप्पणी है और ना ही कोई संपादकीय या अग्रलेख.

'एजेंडा लहूलुहान बस्तर'


नई दुनिया ने पहले पन्ने पर 'एजेंडा लहूलुहान बस्तर' शीर्षक से अख़बार के संपादक रुचिर गर्ग की त्वरित टिप्पणी प्रकाशित की है.

नक्सल मामले पर सरकार की नीति पर पुनर्विचार की बात करते हुए रुचिर गर्ग ने इस टिप्पणी में लिखा है, "नक्सल हमलों को कायराना कहने के औपचारिक बयानों के बजाए नक्सल इलाक़ों की उस जनता के सामने एक ठोस नक्सल नीति रखी जाए, जिससे उसकी उम्मीदें इसी लोकतंत्र पर कायम रहें."

रुचिर गर्ग ने लिखा है कि अगर जनता की उम्मीदें टूटीं तो इन सरकारों को अपनी नीतियों का बोरिया-बिस्तर सहेजने के लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक सुरक्षित स्थान तलाशना होगा.

इसी तरह पत्रिका ने सुलगते सवाल से छह पुरानी घटनाओं का उल्लेख किया है और साथ ही 'ख़ून की होली आख़िर कब तक' शीर्षक से गोविन्द चतुर्वेदी की विशेष टिप्पणी प्रकाशित की है.

नवभारत अख़बार ने भी संपादक श्याम वेताल की तल्ख टिप्पणी 'ख़ुफ़िया तंत्र के कारण एक और कलंक' शीर्षक से प्रकाशित की है.

दैनिक भास्कर के संपादक आनंद पांडेय ने 'न ख़ौफ़ जा रहा, न भरोसा आ रहा' शीर्षक से पहले पन्ने पर प्रकाशित विश्लेषण में लिखा है, "सरकारें चाहे जो दावा करें, लेकिन असलियत यही है कि नक्सलियों की जानकारी जुटाने में हमारे ख़ुफ़िया विभाग पूरी तरह नाकाम रहे हैं.''

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Kumar Vishwas And Shazia Ilmi Now Turned As Rebellion For AAP

आम आदमी पार्टी में बगावत की लहर यूं तो कोई नई बात नहीं रह गई है. गौर करने वाली बात ये है कि पार्टी को लीड करने वाले कुमार विश्वास और शाजिया इल्मी जैसे नेताओं से बगावत की बू आखिर पार्टी की सारी टिकटों का फैसला होने से पहले ही क्यों आ रही है.
बगावत को मोदी से जोड़ा
त्याग की राजनीति करने का दावा करने वाली नई-नवेली आम आदमी (आप) का तिलिस्म पूरी तरह टूट गया है. लोकसभा चुनाव के लिए अभी पार्टी की सारी टिकटों का फैसला हुआ भी नहीं और इसके शीर्ष नेताओं ने बगावती तेवर अपना लिए हैं. पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिसे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए चुना था, वो कुमार विश्वास अब खुद पार्टी पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं. इसी तरह टीम केजरीवाल की सबसे खास सदस्य शाजिया इल्मी भी लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद बगावती हो चली हैं. उधर केजरीवाल ने भी सख्त तेवर दिखाते हुए इन बगावतों को नरेंद्र मोदी पर किए उनके ताजा हमलों से जोड़ दिया.

केजरीवाल के पास कोई सफाई नहीं

मंगलवार का दिन केजरीवाल के बचे-खुचे दावों की भी पोल खोल देने वाला था. पार्टी में टिकट के बंटवारे को लेकर कुमार विश्वास ने अपनी नाराजगी जनता के सामने जता दी. उन्होंने बकायदा ट्वीट करके कहा कि 'उफनती नदी में अगर गंदे नाले आकर मिलेंगे तो आस्थावान स्नान करने से भी डरेगा.' उनके नजदीकी सूत्रों के मुताबिक पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर उन्होंने कई बार केजरीवाल और संजय सिंह से बात करने की कोशिश की. लेकिन उनकी बातों को कोई तवज्जो नहीं दी गई. कई ऐसे लोगों के नाम चुन लिए गए, जिन पर पार्टी में सीधे सवाल खड़े होंगे. इसके बारे में केजरीवाल के पास भी कोई सफाई नहीं थी.

नहीं झुकने वाले
केजरी
इसी तरह दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ना चाह रहीं शाजिया इल्मी भी टिकट नहीं दिए जाने से बेहद नाराज हैं. इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है. हालांकि उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि वे खुद ही दिल्ली से चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं. दूसरी तरफ केजरीवाल ने भी तेवर कड़े कर लिए हैं. उन्होंने तय कर लिया है कि इल्मी हो या विश्वास वो झुकेंगे नहीं. इनके विद्रोह की बात सामने आते ही उन्होंने रात को ट्वीट किया कि 'जबसे मैंने सीधे नरेंद्र मोदी पर हमला किया है बहुत रोचक तरीके से चीजें सामने आ रही हैं. बहुत से रिश्ते नए अर्थ ले रहे हैं लेकिन सच्चाई की जीत होगी. उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि इस बात पर कोई समझौता नहीं होगा.

Mamata National Campaign To Start From Delhi

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को आम बोलचाल में ‘दीदी’ कहा जाता है जबकि तमिल में ‘अन्ना’ बड़े भाई को.
राष्ट्रीय राजनीति में तृणमूल कांग्रेस का असर बढ़ाकर लोकसभा चुनावों के बाद किंगमेकर बनने की मंशा से ममता बनर्जी और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे की औपचारिक जुगलबंदी बुधवार को दिल्ली की रामलीला मैदान में होने वाली रैली से शुरू होगी.

कम से कम तृणमूल कांग्रेस के नेता तो इस जुगलबंदी की यही व्याख्या कर रहे हैं.

यह ज़रूर है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुख़ारी के रैली में शामिल होने से इंकार ने ममता के इस मक़सद को कुछ झटका लगा है.

बुख़ारी और  अन्ना के साथ मंच साझा कर ममता ने एक तीर से कई शिकार करना चाहती थीं. लेकिन इमाम ने इस पर पानी फेर दिया.

मुसलमानों पर नज़र
बंगाल की आबादी में 27 प्रतिशत मुसलमान हैं. लोकसभा की कम से कम दस सीटों पर वे निर्णायक स्थिति में हैं. इनके भारी समर्थन ने ही ममता को पिछले विधानसभा चुनावों में गद्दी दिलाई थी.

इस बार केंद्र सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका निभाने का सपना देख रहीं  दीदी पूरे देश में अपने सांसदों की तादाद बढ़ाना चाहती हैं. इसलिए पहले उन्होंने अन्ना को अपने पाले में किया और फिर शाही इमाम को मनाया.

लेकिन अब राज्य के मुसलमान ही ममता की मंशा पर सवाल खड़ा करने लगे हैं.

हुगली ज़िले के फुरफुराशरीफ़ में इस सप्ताह एक धार्मिक आयोजन के दौरान राज्य के अलावा देश के दूसरे राज्यों से कोई 40 लाख अल्पसंख्यक जुटे थे.

फुरफुराशरीफ़ के पीर तोहा सिद्दिक़ी ने उनके सामने ही तृणमूल सरकार पर अपने वायदों से मुकरने का आरोप लगाया.

अल्पसंख्यकों को लुभाने की क़वायद के तहत लगभग सभी प्रमुख दलों के नेता बारी-बारी वहां गए थे. लेकिन वहां तोहा ने तृणमूल सांसदों और मंत्रियों के सामने ही सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर दिया.

ममता की देशव्यापी मुहिम

साथ ही उन्होंने यह सवाल भी दाग़ दिया कि कहीं सत्ता के लिए तृणमूल कांग्रेस बाद में भाजपा के साथ हाथ तो नहीं मिला लेगी?

तोहा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के नाम पर जिन सात मुसलमान नेताओं को टिकट दिए हैं उनमें से चार-पांच के जीतने की भी संभावना नहीं है. ऐसे में यह तुष्टिकरण के अलावा कुछ नहीं है.

चुनावों के बाद एक निर्णायक ताक़त के तौर पर उभरने की अपनी मुहिम के तहत ही ममता ने देश के विभिन्न हिस्सों में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है या उतारने की तैयारी में हैं.

उनकी यह देशव्यापी मुहिम दिल्ली की रैली से ही शुरू होगी. हालांकि शाही इमाम के इसमें शामिल होने से इंकार करने की वजह से तृणमूल को कुछ झटका लगा है. लेकिन पार्टी के नेता लगातार इमाम के संपर्क में हैं. एक नेता कहते हैं, "अभी उनके आने की संभावना बनी हुई है."

दिल्ली की सीटों पर उम्मीदवारों के चयन के मामले में भी अभी असमंजस क़ायम है.

अन्ना से कितना फ़ायदा?

तृणमूल कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, अन्ना की हरी झंडी मिलने के बाद नामों का एलान किया जाएगा. पहले रैली के दौरान ही इसका एलान होना था. लेकिन अब यह मामला कुछ दिनों के लिए टल सकता है.

दिल्ली की रैली के बाद ममता सीधे उत्तर प्रदेश चली जाएंगी. प्रधानमंत्री पद पर  नरेंद्र मोदी की दावेदारी का विरोध कर चुकी ममता उनके घर अहमदाबाद में भी अन्ना के साथ एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगी.

तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, "हम रामलीला मैदान में एक लाख से ज़्यादा लोगों को जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. अन्ना का साथ हमारे लिए बेहद अहम है."

इस बीच, अन्ना ने साफ़ कर दिया है कि उन्होंने एक मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी के आदर्शों का समर्थन किया है, उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नहीं. उन्होंने किसी ख़ास उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए भी मना कर दिया है.

अपील का असर

हां, वह बंगाल में पार्टी की ओर से आयोजित कम से कम दो चुनावी रैलियों में शिरकत ज़रूर करेंगे. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की दलील है कि अन्ना उन रैलियों के ज़रिए ही पार्टी को जिताने की अपील करेंगे. उनकी अपील का ख़ासा असर होगा.

दूसरी ओर, विपक्षी राजनीतिक दलों का दावा है कि अन्ना के समर्थन से ममता के मंसूबे पूरे नहीं होंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानस भुंइया कहते हैं, "अन्ना के समर्थन से तृणमूल के पक्ष में कोई लहर नहीं पैदा होने वाली."

उल्टे ममता की अन्ना से नज़दीकी ने जामा मस्जिद के शाही इमाम को नाराज़ कर दिया है.

सीपीएम के पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य कहते हैं, "संघ से अन्ना की नज़दीकी के आरोपों की वजह से ही अल्पसंख्यक इस बार तृणमूल कांग्रेस को सवालिया निगाहों से देख रहें हैं. ऐसे में दीदी-अन्ना की जुगलबंदी कोई ख़ास कमाल नहीं दिखा पाएगी. यह महज़ एक चुनावी स्टंट है."

विपक्ष चाहे कुछ भी कहे और अन्ना भले सिर्फ़ ममता का समर्थन करने की बात कहें, इस जुगलबंदी से तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और समर्थकों के हौसले तो बुलंद हैं ही.

Source: Online Hindi Newspaper

Tuesday, March 11, 2014

Assassination Attempt On Musharraf Similar To Attack On Salman Taseer

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति सेवानिवृत्त जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की जान को अल-क़ायदा या तहरीक-ए-तालिबान जैसे चरमपंथी संगठनों से ख़तरा है.
उधर मुशर्रफ़ के वकील का कहना है कि अदालत से उनके मुवक्किल की सुरक्षा की गारंटी मिलने के बाद ही वह मंगलवार को अदालत में पेश होंगे.

पाकिस्तानी गृह मंत्रालय को ख़ुफ़िया विभाग से इस तरह की जानकारी हासिल हुई है. मंत्रालय के अनुसार इस बात की आशंका है कि पूर्व गवर्नर सलमान तासीर की तरह परवेज़  मुशर्रफ़ को भी सुरक्षा एजेंसियों के अंदर बैठे चरमपंथी विचार धारा के लोगों के ज़रिए निशाना बनाया जा सकता है.

ख़ुफ़िया विभाग के ज़रिए दी गई रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि 'ऐसा लगता है कि चरमपंथियों से हमदर्दी रखने वाले लोग मुशर्रफ़ के सुरक्षा क़ाफ़िले में शामिल हो गए हैं ताकि उनका क़त्ल किया जा सके.'

गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें मिली ख़ुफ़िया जानकारी के अनुसार चरमपंथियों ने पहले से ही अस्पताल से अदालत जाने वाले तमाम रास्तों की जाँच-पड़ताल कर ली है और काफ़ी प्रशिक्षित चरमपंथियों को  मुशर्रफ़ के सुरक्षा क़ाफ़िले के पीछे लगा दिया गया है.


अदालत के बाहर मुशर्रफ़ की एक समर्थकगृह मंत्रालय के ज़रिए पंजाब के गृहसचिव और इस्लामाबाद के पुलिस कमिश्नर समेत सभी उच्च अधिकारियों को इस संभावित ख़तरे की जानकारी दे दी गई है.

पाकिस्तान के एक निजी चैनल पर गृह मंत्रालय के इस ख़त को दिखाया जा रहा है लेकिन गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी ख़त के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है.

गृह मंत्रालय के ज़रिए भेजे गए ख़त में कहा गया है कि मुशर्रफ़ पर  अदालत परिसर के अंदर या अदालत के बाहर हमले हो सकते हैं या फिर उनके क़ाफ़िले के रास्ते में बम लगाए जा सकते हैं.

दूसरी तरफ़ परवेज़ मुशर्रफ़ के वकील बैरिस्टर मोहम्मद अली सैफ़ ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा कि गृह मंत्रालय के ख़त के बारे में उन्हें जानकारी मिली है और अब अदालत की ओर से उनकी सुरक्षा की गारंटी के बाद ही वह अदालत में पेश होंगे.

'स्थिति गंभीर'बैरिस्टर सैफ़ का कहना था कि मुशर्रफ़ की सेहत का मामला तो अपनी जगह है लेकिन अब तो उनकी सुरक्षा का सवाल खड़ा हो गया है.

मुशर्रफ़ के वकील अहमद रज़ा क़सूरी ने अदालत में एक ख़त पढ़कर सुनाया

उन्होंने कहा कि ये एक नई स्थिति है जो कि बहुत ही गंभीर है और अदालत तथा सरकार दोनों को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए.

मंगलवार को मुशर्रफ़ की अदालत में पेशी के बारे में उनके वकील का कहना था, ''मंगलवार को भी हम वही तरीक़ा अपनाएंगे जो हम पहले करते थे. पहले भी  अदालत जब मुशर्रफ़ को पेशी के लिए बुलाती थी तो हम पहले उनकी सुरक्षा की ज़मानत मांगते थे और फिर संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें अदालत में पेश किया जाता था.''

ग़ौरतलब है कि पांच मार्च को मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ग़द्दारी के मुक़दमे की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने कहा था कि हालात जैसे भी हों मुलज़िम को 11 मार्च को अदालत में पेश होना पड़ेगा और उस दिन उन पर चार्जशीट दायर की जाएगी.

इसी पेशी पर मुशर्रफ़ के वकीलों की टीम में शामिल अहमद रज़ा क़सूरी ने अदालत में एक ख़त पढ़कर सुनाया जो कथित तौर पर चरमपंथियों के ज़रिए लिखा गया था. उनके अनुसार उस ख़त में उन वकीलों से कहा गया था कि वो मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ग़द्दारी के मुक़दमे में मुशर्रफ़ की पैरवी करना छोड़ दें वर्ना उन्हें और उनके परिजनों को निशाना बनाया जाएगा.

Source: Hindi News

Add Your Name In Voter List On Sunday

PATNA : आपके पास वोटर कार्ड है, लेकिन नाम नहीं जुड़ा है तो अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है. संडे की सुबह से ही आप अपने नजदीकी मतदान केंद्र पर जाकर इसकी सूचना दें, लेकिन वहां जाने से पहले आप इलेक्शन कमीशन के साइट पर उपलब्ध फार्म नंबर छह को जरूर भर लें. क्योंकि फॉर्म भरा रहेगा तो आपको नाम मिनट भर में जुड़ जाएगा. अगर ऐसा करके नहीं जाते हैं तो लंबा वक्त लग सकता है. फॉर्म वहां भी मौजूद रहेगा और आप वहां भी भरकर बीएलओ को दे सकते हैं.
निर्वाचन सूची में देख सकते हैं नाम

इसके बाद भी अगर आपको अपना नाम देखना है तो उस बूथ पर जाकर देख सकते हैं. बूथ पर बीएलओ मौजूद रहेंगे और उनके हाथ में निर्वाचन सूची रहेगी जिसमें आप अपना नाम दख सकते हैं. नाम आपके वोटर कार्ड नंबर या बूथ के आधार पर देखा जाता है. कर्मी मौजूद रहेंगे जो आपको जानकारी दे देंगे.

Three Children Injured In Bomb Blast In Malsalami

PATNA CITY : बम फटने से शनिवार को तीन बच्चे गंभीर रूप से इंजर्ड हो गए. बच्चों को प्राइवेट हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया, जिसमें एक की हालत गंभीर होने के कारण पीएमसीएच भेजा गया. यह घटना मालसलामी थाने के रिकाबगंज एरिया में घटी. इसमें राजेश उर्फ भल्लू, विकास और राहुल इंजर्ड हुए हैं. 

सुबह क्क् बजे तीनों बच्चे अपने घर के पास ही खाली पड़ी एक जमीन पर खेल रहे थे. खेलते-खेलते तीनों पास ही पड़े कूड़े की ढेर पर चले गए, जहां एक बम उनके हाथ लगा. खेल-खेल में बच्चों ने बम फेंका और वह ब्लास्ट कर गया. घटना की जानकारी मिलते ही मालसलामी थाने की पुलिस ने पहुंचकर इंवेस्टिगेट किया. 

इसी दौरान पुलिस को कूड़े के ढेर से एक देशी पिस्टल भी मिला, जिसे जब्त कर लिया गया. इस बारे में एसएचओ ने बताया कि खेलने के दौरान बच्चों के हाथ देशी बम लग गया था, जिसे खेल-खेल में बच्चों ने फोड़ दिया. बम सुतली में लपेटा था. पूरे मामले का इंवेस्टिेगशन जारी है.

Source: Hindi News

Monday, March 10, 2014

I Will Leave Seat For Modi Says Lalji Tandon


लखनऊ और वाराणसी की लोकसभा सीटों को लेकर भारतीय जनता पार्टी में खींचतान की ख़बरों से पार्टी ने ख़ुद को अलग करने की कोशिश की है.
लखनऊ से सांसद लालजी टंडन ने कहा है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए सीट छोड़ने की बात ख़ुद कही थी और राजनाथ सिंह के लखनऊ से लड़ने को लेकर तो कोई बात ही नहीं हुई है.

मीडिया में पिछले कई दिनों से चर्चा गर्म रही है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ग़ाज़ियाबाद की अपनी जीती हुई सीट छोड़कर लखनऊ से चुनाव लड़ने जा सकते हैं. जबकि वाराणसी से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी का नाम उछाला जा रहा है.

इन नामों के चलते दोनों ही सीटों से भाजपा के मौजूदा सांसद लालजी टंडन और मुरली मनोहर जोशी के नाराज़ होने की ख़बरें मीडिया में थीं. जोशी ने रविवार को कहा था कि वह पार्टी का फ़ैसला मानेंगे.

लालजी टंडन का बयान
इसके बाद सोमवार को लालजी टंडन ने भी मीडिया से बात करके अपना रुख़ सामने रखा.

"मोदी के लिए मैंने स्वयं कहा कि अगर वह लड़ेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी और यहाँ से लड़ाने में कोई आपत्ति नहीं है. सारा मेरा राजनीतिक जीवन लखनऊ में बीता यहीं मेरा जन्म हुआ, यहीं मेरा अंत होगा"
-लालजी टंडन, लखनऊ से भाजपा सांसद

उन्होंने कहा, "राजनाथ सिंह मेरी पार्टी के अध्यक्ष हैं क्यों उनका नाम घसीटा जा रहा है. मेरे उनसे व्यक्तिगत संबंध हैं. हम अपने मन की बात एक दूसरे से कह सकते हैं. जब कोई बात मेरे सामने ऐसी आई ही नहीं कि कोई यहाँ से दावा पेश कर रहा है, जब पार्टी ने अभी तक इस बारे में कोई निर्णय ही नहीं किया तो बेवजह एक मुद्दा खड़ा किया जा रहा है. उसका कोई अर्थ नहीं है."

टंडन का कहना था, " मोदी के लिए मैंने स्वयं कहा कि अगर वह लड़ेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी और उन्हें यहाँ से लड़ाने में कोई आपत्ति नहीं है. मेरा सारा राजनीतिक जीवन लखनऊ में बीता, यहीं मेरा जन्म हुआ, यहीं मेरा अंत होगा."

वहीं दिल्ली में जब राजनाथ सिंह के सामने पार्टी में टिकट बँटवारे को लेकर विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति का सहारा लिया.

राजनाथ सिंह का कहना था, "प्रत्याशियों का जहाँ तक संबंध है तो प्रत्याशियों के बारे में केंद्रीय चुनाव समिति ही फ़ैसला करती है. कोई व्यक्ति इस पर फ़ैसला नहीं करता. मेरे बारे में भी जो फ़ैसला होगा वो केंद्रीय चुनाव समिति ही करेगी."

अहम सीटें
राजनाथ सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव में ग़ाज़ियाबाद सीट से जीत हासिल की थी मगर मीडिया में लगातार ख़बरें आ रही हैं कि इस चुनाव में वह लखनऊ से खड़े होने के इच्छुक हैं.

लखनऊ की सीट का सांकेतिक महत्व है. दरअसल  भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से जीत हासिल की थी और वहीं से जीतकर वह प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचे थे.

इसके अलावा राजनाथ सिंह लखनऊ में परिसीमन से पहले की महोना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, हालाँकि उन्हें वहाँ से हार का सामना करना पड़ा था.

उधर वाराणसी सीट को भाजपा पूर्वांचल में अपना असर दिखाने के लिए अहम मान रही है.

मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद की सीट छोड़कर पिछली बार वाराणसी से चुनाव लड़े थे और जीते थे. इस बार कहा जा रहा है कि पार्टी पूर्वांचल पर पकड़ मज़बूत करने के लिए मोदी को वहाँ से चुनाव में उतारना चाहती है.

Source:  Online Hindi Newspaper