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Thursday, March 13, 2014

Gul Panag Joins AAP

बॉलीवुड एक्ट्रेस गुलपनाग आम आदमी पार्टी का हिस्सा बन गई हैं. खबरे के मुताबिक गुल आप की तरफ चंडीगढ़ की सीट की उम्मीदवार हो सकती हैं.
एक्ट्रेस और सामाजिक कार्यकर्ता
बॉलीवुड एक्ट्रेस गुल पनाग चंडीगढ़ संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हो सकती हैं. खबर है कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक मनीष सिसौदिया इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते हैं. गुल पनाग अभिनय के साथ-साथ सामाजिक कार्यों से भी जुड़ीं रही हैं. गुल पनाग ने 'डोर', 'धूप' और 'रण' जैसी फिल्मों में काम किया है. वह मिस इंडिया भी रह चुकीं है. वे हाल ही में आम आदमी पार्टी में शामिल हुई हैं.

पिता भी हैं शामिल
गौरतलब है कि गुल पनाग के पिता लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने भी पिछले महीने 'आप' की सदस्यता ली थी. आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ से पहले दिवंगत हास्य कलाकार जसपाल भट्टी की पत्नी सविता भट्टी को टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने अपना टिकट लौटा दिया.

Modi Will Be A Historic Politician Says Kumar Vishwas

काँग्रेस नेता राहुल गाँधी को उनके गढ़ अमेठी में ही जाकर चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा है कि नरेंद्र मोदी कुछ सवालों का जवाब दे दें तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में कुमार विश्वास ने कहा, "नरेंद्र मोदी इतिहास के ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहाँ यदि वे ईमानदारी से कुछ सवालों के जबाव दे पाते हैं तो वे इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कर जाएंगे. नहीं तो इस देश ने बहुत से पीएम इन वेटिंग देखे हैं."

पिछले दिनों ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास की टिप्पणियों से मीडिया के एक हिस्से में क़यास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद हैं.

माना जा रहा है कि जहाँ एक ओर अरविंद केजरीवाल हर मौक़े पर नरेंद्र मोदी को निशाना बना रहे हैं वहीं मोदी पर कुमार विश्वास अपेक्षाकृत नरम पड़ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि, "जब से नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधना शुरू किया है तब से कुछ रिश्तों की पहचान हो रही है. लेकिन अंततः जीत सच की होगी." मीडिया के एक हिस्से ने इसे अमेठी से चुनाव लड़ रहे कुमार विश्वास पर टिप्पणी माना.

इससे पहले कुमार ने ट्वीट किया था, "चढ़ती नदी में नाले गिरेंगें तो आस्थावान स्नान से भी डरेगा,आचमन तो भूल ही जाओ." कुमार ने एक और ट्वीट किया, "जिनके एक इशारे पर हम गुलशन से लोहा ले बैठे, ज़रा गंध माँगी तो बोले हवा अभी अनुकूल नहीं !"

इसके बाद मीडिया और यहाँ तक कि पार्टी के शुभचिंतकों में भी ‘आप’ के नेतृत्व के बीच रस्साकशी को लेकर सवाल पूछने का सिलसिला शुरू हो गया है.

ट्विटर पर की गई इन टिप्पणियों को कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के बीच तनाव के रूप में देखा जा रहा है. पूरे मामले पर कुमार विश्वास कहते हैं, "मैं मीडिया से बाहर हूँ और बहसों में हिस्सा नहीं ले रहा हूँ. ऐसे वक़्त में मेरी एक शायरी भरी ट्वीट के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. मैं इससे ज़्यादा क्या कहूँ?”

मोदी पर नरमबीबीसी हिंदी से बात करते हुए अलबत्ता कुमार विश्वास ने नरेंद्र मोदी के बारे में अपनी राय इन शब्दों में ज़ाहिर की, "सिर्फ़ लफ़्फ़ाजी और बड़े मंचों से बोलने से काम नहीं चलेगा. मोदी को सीधे सवालों के जबाव देने होंगे. यदि मोदी अंबानी-अडानी से अपने रिश्तों, वंशवाद की राजनीति, अपने पार्टी को अज्ञात स्त्रोतों से मिलने वाले चंदे, पासवान को पार्टी में शामिल करने के बारे में उठ रहे सवालों के जबाव दे पाते हैं

तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है. नहीं तो वो सिर्फ़ एक नाम बनकर रह जाएंगे?"
कुमार विश्वास पिछले तीन महीनों से आम आदमी पार्टी में कम सक्रिय हैं. वे अमेठी में राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए गाँव-गाँव, घर-घर जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं.

आसान सीट

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली आसान जगह है. यहाँ पार्टी ने अपना जनाधार भी बनाया है. दिल्ली से न लड़ने के सवाल पर कुमार कहते हैं, "अगर मैं भी सुरक्षित सीट देखूँ तो मैं नेता किस बात का हूँ. यहीं से पार्टी का नेतृत्व निखरेगा. हो सकता है कि मैं इन दिनों उतना सक्रिय या सुर्खियों में नहीं हूँ जितना योगेंद्र यादव या आशुतोष हैं लेकिन मैं ये मानता हूँ कि इतिहास मेरी लड़ाई को संजीदगी से याद रखेगा."

"मैं चाहता तो दिल्ली से चुनाव लड़ता और आसानी से सांसद बन जाता. मैं सोशल मीडिया पर देश का तीसरा सबसे चर्चित राजनीतिक व्यक्ति हूँ. चांदनी चौक या नोएडा मेरे लिए आसान सीट होती. लेकिन अमेठी की लड़ाई बड़े प्रतीक के लिए हैं. 'वतन की रेत मुझे एड़ियां रगड़ने दे, मुझे यक़ीन हैं पानी यहीं से निकलेगा. मैं तीन महीने से एड़ियां रगड़ रहा हूँ. अब पानी निकलने में सात मई की देर है."

आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और स्वयं अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का संकेत दिया है.

नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के संभावित मुक़ाबले पर कुमार विश्वास कहते हैं, "बिल्कुल उनको चुनाव लड़ना चाहिए. अरविंद और आम आदमी पार्टी ने मोदी से गैस के दामों, अंबानी-अडानी से रिश्तों और अन्य मुद्दों पर कुछ सवाल पूछे हैं. उन सवालों का जबाव लेने के लिए यदि केजरीवाल मोदी के ख़िलाफ़ लड़ते हैं तो मैं केजरीवाल का समर्थन करूँगा."

कुमार विश्वास कहते हैं कि मैं मोदी के ख़िलाफ़ अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव प्रचार भी करूंगा और लोगों से तटस्थता से वोट देने की अपील भी करूंगा.

बड़ी चुनौतीराहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.

देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के वारिस राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.

वे कहते हैं, "ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष है. मैं गाँव-गाँव घूम रहा हूँ. जहाँ रात हो जाती है वहीं सो जाता हूँ. पिछले दस साल में यदि किसी ने भी यह महसूस किया हो कि इस देश की हालत के पीछे राहुल गाँधी का व्यवहार ज़िम्मेदार है तो वे मेरा साथ देने के लिए अमेठी आएं. मेरा समर्थन करें."

क्या कुमार विश्वास पार्टी में अकेले पड़ गए हैं?
इस सवाल के जवाब में कुमार विश्वास कहते हैं, "पार्टी में मेरे रिश्ते सभी से अच्छे हैं. पार्टी को लगता है कि कुमार विश्वास एक महारथी आदमी है, अकेले लड़ सकता हैं. यहाँ चुनाव भी सात मई को है, मैं पहले आ गया हूँ. उन्हें जब सुविधा होगी वे आएंगे. लेकिन सब मुझसे पूछ रहे हैं कि कब आना है. मुझे उम्मीद है मैं राहुल गाँधी को हरा दूँगा?"

क्या कुमार विश्वास नाराज़ हैं?
इस सवाल पर कुमार कहते हैं, "मैं किसी से नाराज़ नहीं हूँ. जैसा अरविंद ने लिखा है, वैसे ही मैंने भी लिखा है कि संकट के काल में लोग आपको समझ में आते हैं. मैं समझता हूँ कि यह संकट का नहीं संघर्ष का काल है. मैंने पिछले 40-42 सालों में जिन लोगों से दोस्ती की है, संबंध बनाए हैं, मैं उन्हें आजमा रहा हूँ, उन्हें पुकार रहा हूँ, उन्हें खंगाल रहा हूँ. काफ़ी लोग मेरे समर्थन में आए हैं. लोकसभा क्षेत्र में भी मुझे बहुत अच्छा समर्थन प्राप्त हो रहा है."

Source: Online Hindi Newspaper

Wednesday, March 12, 2014

TMC Rally At Ramlila Maidan Delhi

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंची तो समर्थकों से ज़्यादा ख़ाली कुर्सियों से सामना हुआ.
मायूसी शायद इसलिए भी ज़्यादा हो कि रैली में ममता बनर्जी के साथ अन्ना हज़ारे के आने का ऐलान किया गया था, पर जनता के लिए शायद यह भी नाकाफ़ी था.

कुछ दो-तीन सौ लोग जमा थे और ममता स्टेज पर थीं. अन्ना के आने का इंतज़ार था, और इंतज़ार में बॉलीवुड के पुराने गाने गाए जा रहे थे.

दोपहर हो चली थी, और ख़राब तबियत की वजह से अन्ना के न आने की ख़बरें टीवी चैनलों पर चलने लगी थीं.

आख़िरकार 'कजरा मोहब्बत वाला...' गाना गाए जाने के बाद अचानक ऐलान किया गया कि अब ममता जनता से मुख़ातिब होंगी.

शायद अन्ना के न आने की ख़बर पुख्ता हो गई थी और जनता के मैदान से जाने का ख़तरा बढ़ रहा था.

ममता बनर्जी ने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि वह अन्ना हज़ारे के कहने पर दिल्ली में रैली करने के लिए आई हैं.

उन्होंने कहा, "यह हमारी रैली नहीं हैं, हम अन्ना जी के कहने पर बंगाल से काम छोड़कर आए हैं. पर आज बहुत धूप है, वर्किंग डे है. हम आप लोगों को इंतज़ार नहीं कराना चाहते, बस हम अपना संदेश देना चाहते थे, इसलिए यहां हैं."

अन्ना के न आने से निराशा

मैदान में जुटे लोगों के सरों पर 'मैं अन्ना हूं' की टोपियां चमक रही थीं. समर्थक तृणमूल कांग्रेस के थे या अन्ना हज़ारे के यह कहना मुश्किल था.

ममता बनर्जी और अन्ना के एक पोस्टर से अपना सर ढके, शिवशंकर भी अपने दोस्तों के साथ ममता का भाषण सुन रहे थे.

अन्ना की ग़ैरमौजूदगी पर बोले, "हम तो अन्ना हज़ारे को देखने आए थे, वह तो आए नहीं अब ममता को सुनकर क्या करें."

पर राकेश को तो शायद इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा था, "क्या फर्क पड़ता है कौन बोल रहा है, आए हैं, खाना खाएंगे, चले जाएंगे."

उत्पल कर्माकर बंगाली हैं और कई साल से दिल्ली में रह रहे हैं. उनके सिर पर भी अन्ना वाली टोपी देख मैंने पूछा कि वह किसके समर्थक हैं?

उत्पल बोले, "गर्मी है तो अन्ना की टोपी पहन ली है, वैसे वह आते तो अच्छा रहता, दीदी को मदद मिलती, पर अब ऐसे ही सही."

ममता बनर्जी ने रामलीला मैदान में भाषण देने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में फिर रैली में कम समर्थकों के आने पर सफ़ाई दी और कहा कि वह बस या ट्रेन में भरकर लोगों को रैली में लाने के पक्ष में नहीं हैं.

ममता ने यह भी कहा कि अन्ना बुज़ुर्ग हैं और अगर उनकी सेहत ठीक नहीं है, तो उनका रैली में न आने का फ़ैसला सही था.

Source: Online Hindi Newspaper

Former RJD Minister Ram Kripal Yadav Joins BJP


राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व नेता और पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के क़रीबी रहे रामकृपाल यादव बुधवार को औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.
रामकृपाल ने कहा, "बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की इमारत को खड़ा करने में मैंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. आज मुझे यह एहसास हो रहा है कि वहाँ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है. सामाजिक न्याय की जगह पारिवारिक न्याय को महत्व मिल रहा है. पूरे बिहार में आम कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "मैं बताना चाहता हूँ कि मेरा ज़ेहन बिल्कुल सेक्युलर है और जब तक मैं जीवित रहूँगा मेरी आत्मा में सेक्युलरइज़्म रहेगा."

रामकृपाल ने आठ मार्च को राजद के सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया था.

नाराज़गी
मीडिया में आशंका जताई गई थी कि रामकृपाल बिहार के पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से टिकट न मिलने से ख़फ़ा थे. इस सीट से राजद ने लालू की बेटी मीसा भारती को टिकट दिया है.

मीसा भारती के नाम की घोषणा होने के अगले ही दिन रामकृपाल ने एक प्रेस वार्ता में बहुत ही भावुक अंदाज़ में पार्टी के पदों से इस्तीफ़ा देने की घोषणा की थी.

अभी कुछ दिन पहले ही रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति भाजपा गठबंधन में शामिल हुई थी.

वहीं इंडियन जस्टिस पार्टी के नेता उदित राज भाजपा में शामिल हुए थे. उन्होंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया था.

Source: Hindi News

RSS Using Its Full Strenth To Make Modi As A PM


जाने माने राजनीतिक विश्लेषक ज्योतिर्मय शर्मा ने कहा है कि नरेंद्र मोदी संघ प्रमुख मोहन भागवत के चहेते हैं और संघ की पूरी कोशिश होगी कि किसी तरह उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जाए.
उन्होंने कहा कि मोदी और संघ में किसी भी तरह के वैचारिक मतभेद की बात सोचना भी बेबुनियाद है.

बीबीसी संवाददाता इक़बाल अहमद ने उनसे इस बारे में लंबी बात की.

सवाल- भारतीय मीडिया में इस तरह की ख़बरें आ रही हैं कि संघ प्रमुख ने कहा है कि संघ का काम नमो-नमो करना नहीं है. ऐसी ख़बरें सूत्रों के सहारे चलती हैं, लेकिन आपका क्या ख़्याल है, मोहन भागवत ने ऐसा बयान दिया होगा?
जवाब- इस मुद्दे पर दो बातें अहम हैं. 1925 से लेकर मोहन भागवत के आने से पहले तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक भिन्न प्रकार का संगठन था. जहां उन्हें राजनीति से केवल परहेज़ ही नहीं था, बल्कि चिढ़ थी. गुरू गोलवलकर का मानना था कि समाज और संस्कार को पहले बदला जाए, राजनीति अपने आप बदल जाएगी.

भागवत के आने के बाद उनकी विचारधारा पूरी तरह से बदल जाती है. भागवत के आने के बाद आरएसएस में माना जाता है कि राजनीति अछूत नहीं है. राजनीति और भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से सत्ता हासिल करना ज़रूरी है.

नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत के चहेते हैं. उन्हें भागवत और स्वयंसेवक संघ ने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर चुना है.

यहां तो वैचारिक मतभेद का सवाल ही नहीं उठता है.

आरएसएस में व्यक्ति विशेष को उभारने और उसका नाम जपने की प्रथा नहीं है. पर्सनैलिटी कल्ट के बारे में आरएसएस वालों का मानना है कि यह संगठन के विरूद्ध जाता है. संगठन में हर आदमी की अपनी भूमिका होती है. अगर व्यक्ति विशेष पर ध्यान दिया जाए तो संगठन कमज़ोर पड़ता है.

एक सामान्य स्थिति में कांग्रेस तक कहती है कि कांग्रेस में शीर्ष नेता हैं, बड़े अच्छे नेता हैं, केवल वंशवाद की बात नहीं है.

सामान्य तौर पर हो सकता है कि भागवत ने कहा भी हो, लेकिन मुझे लगता नहीं है कि अब वो नमो जाप से पीछे हटेंगे या पीछे हटकर कहीं जाएंगे. भागवत की क़िस्मत, संघ की क़िस्मत और उनका भविष्य अब मोदी से बंधा है.

सवाल- ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव में संघ की भूमिका को किस तरह से आप देखते हैं?
जवाब- संघ कोशिश ज़रूर करेगा. संघ हर तरह से प्रयास करेगा. सुनने में आया है कि संघ से प्रेरित संगठन, जैसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, भारतीय किसान संघ को कहा गया है कि आप चुपचाप रहिए, फ़ोकस बीजेपी से हटने नहीं दीजिए.

आप कोई ऐसा कार्य मत करिए जिससे बीजेपी के चुनाव प्रचार और मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम खटाई में पड़ जाए. आरएसएस चुनाव में शरीक हो कर बीजेपी की मदद करने की हरसंभव कोशिश करेगा. इस बार कोई हिचकिचाहट नहीं है.

सवाल- इन हालात में हिंदुत्व का कितना असर होगा चुनाव प्रचार पर. क्या आरएसएस का ख़ास एजेंडा भी दिखेगा?

जवाब- आरएसएस का अभी एक ही एजेंडा है- नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना. हिंदुत्व ऐसा विषय है, जो वे चुनाव के बाद उठाएंगे. चुनाव से पहले नहीं उठाएंगे. मिडिल क्लास के लिए हिंदुत्व अब मुद्दा नहीं है. उसके लिए करप्शन, बिजली-पानी-सड़क मुद्दा है. महंगाई मुद्दा है. हिंदुत्व को मुद्दा बनाने में आरएसएस और बीजेपी को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

इस चुनाव में वे नरेंद्र मोदी के गुजरात के डेवलपमेंट मॉडल को लेकर ही आगे बढ़ेंगे.

सवाल- एक महीने से भी कम वक्त बचा है, चुनाव के शुरू होने में. ऐसे में क्या वे हिंदुत्व के मुद्दे को हवा देंगे?
जवाब- मोहन भागवत के आरएसएस में आने के बाद एक बात और हुई है. संघ की विचारधारा में अब केवल प्रैगमैटिज्म रह गया है.

हिंदुत्व वैसे तो कोई मुद्दा नहीं है लेकिन सेकुलर फ़ॉर्म में आज भी चुनावी मुद्दा है. भारत को सुपर पॉवर बनाना, स्ट्रांग बनाना, दुश्मनों को उनकी जगह बताना सेक्युलराइज़ड हिंदुत्व है.
ये हमें स्वाभाविक रूप से दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन यह मौजूद है. हिंदू राष्ट्र के विज़न के सेक्युलर डायमेंशन भी हैं.

सवाल- नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार में जिन मुद्दों को उठा रहे हैं, आप उसे किस रूप में देखते हैं?
जवाब- छह महीने से उनका घिसापिटा मॉडल है, डेवलपेमेंट का मॉडल है. प्रोगेस और गुजरात का मॉडल
है. लेकिन मीडिया वालों की भी इसमें कुछ ग़लती है. मोदी गुजरात के मॉडल की जब बात करते हैं तो मीडिया वाले सवाल नहीं उठाते हैं. उन्होंने यूपी में जाकर कहा यूपी में दूध नहीं है, हम अमूल की तरह श्वेत क्रांति लेकर आएंगे. किसी ने यह नहीं कहा कि श्वेत क्रांति नरेंद्र मोदी नहीं लेकर आए थे.

यह क्रांति तो 40-50 सालों से कूरियन साहब और एचएम पटेल की बदौलत है. ऐसी कई बात वह उठाते रहे हैं, मीडिया का दायित्व बनता है कि सवाल पूछे जाएं. लेकिन जिस तरह से उनका प्रचार जा रहा है ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि वह हिंदुत्व को मुद्दा बनाएंगे.

सवाल- अरविंद केजरीवाल अपने गुजरात दौरे के बाद नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं, ऐसे में क्या संघ और मोदी पर उनका असर पड़ेगा?
जवाब- ज़रूर पड़ेगा. ज़रूर पड़ेगा. क्योंकि केजरीवाल वो सब कुछ कह जाते हैं, जो आप और हम कहना चाहते हैं पर कह नहीं पाते हैं, शिष्टाचार के नाते कह नहीं पाते, डर के मारे नहीं कह पाते या मीडिया के लोग किसी बिज़नेस हाउस के साथ बंधे हैं तो नहीं कह पाते. एक झूठी हिचक है नरेंद्र मोदी के बारे में बहुत कुछ कहने की. और इस हिचक को अरविंद केजरीवाल ने दूर किया है. तो बहुत सारी चीज़ें हैं ऐसी जो हम कहना चाहते हैं पर नहीं कह पाते. संघ परिवार और बीजेपी चिंतित तो ज़रूर होंगे. भले ही अरविंद केजरीवाल उतनी सीटें न जीतें इस चुनाव में, पर जिसे अंग्रेज़ी में कहते हैं 'कॉलिंग द इम्पेरर नेकेड' वो रोल अरविंद केजरीवाल ने बख़ूबी निभाया है.

Source: Hindi News

Tuesday, March 11, 2014

We Dont Have Any Grudges With BJP Says Shivsena

शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मतभेद की ख़बरों का खंडन किया है.
पार्टी के मुख पत्र 'सामना' में कहा गया है कि भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन पहले की ही तरह मज़बूत है.

पार्टी ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार और गुजरात के मुख्यमंत्री  नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करते हुए कहा है कि आज उन्हें पूरे देश में समर्थन मिल रहा है.

मुखपत्र में कहा गया है, "यहां तक कि कल तक जो लोग उनकी आलोचना करते थे, वे भी आज मोदी-मोदी का मंत्र जप रहे हैं. समय बदलने का इससे बड़ा कोई सबूत नहीं है."

चुनाव पर नज़र
"भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन पहले की ही तरह मज़बूत बना हुआ है"
-शिव सेना के मुखपत्र सामना का संपादकीय

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे को निशाना बनाते हुए पार्टी ने कहा है कि 'कुछ लोगों की गठबंधन तोड़ने और हिंदू वोटों को बांटने की कोशिशें बेकार हो गई हैं. कुछ समय के लिए मतभेद तो रहता है. लेकिन गठबंधन बचा हुआ है'.

भाजपा से मतभेद की ख़बरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना नेता राहुल नावरेकर ने कहा, ''हम चुनाव पर ध्यान लगा रहे हैं और इसके पहले क्या हुआ यह अतीत की बात है.''

इस बीच ऐसी ख़बरें हैं कि उद्धव ठाकरे मंगलवार दोपहर पार्टी पदाधिकारियों और मुंबई से शिवसेना के उम्मीदवारों की एक बैठक लें. इसमें वह गठबंधन में दरार संबंधी ख़बरों पर चर्चा कर सकते हैं.

भाजपा के महाराष्ट्र प्रभारी राजीव प्रताप रूड़ी के भी मंगलवार को उद्धव ठाकरे से मिलने की संभावना है.

भाजपा नेता नितिन गडकरी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ( एमएनएस) के प्रमुख राज  ठाकरे के बीच पिछले हफ़्ते हुई बैठक के बाद भाजपा-शिवसेना गठबंधन में तनाव की ख़बरें मीडिया में आई थीं.

गठबंधन पर असर

भाजपा नेता नितिन गडकरी ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से मुलाक़ात की थी

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना ने कहा था कि एमएनएस के साथ भाजपा की किसी भी तरह की बातचीत से भाजपा-शिवसेना का गठबंधन प्रभावित हो सकता है.

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, ''अगर हमारे सहयोगी राकांपा या कांग्रेस की तारीफ़ करेंगे तो इससे हमारे हित प्रभावित होंगे. अगर भाजपा नेता राज या राकांपा से बात करते हैं तो यह हमारे गठबंधन को प्रभावित करेगा.''

गडकरी से मिलने के बाद राज ठाकरे ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी और कहा था कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का समर्थन करेगी.

भाजपा ने उनका आभार जताते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में उनका शिवसेना के साथ मज़बूत गठबंधन है. गडकरी ने उनसे एनडीए के अन्य उम्मीदवारों की मदद करने की अपील की थी.

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के बाद महाराष्ट्र में सबसे अधिक 48 सीटें हैं. वहां पर सत्तारूढ़ कांग्रेस का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ और भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन है.

Source: Hindi News Headlines

Monday, March 10, 2014

Smuggling Of Pak Printed Fake Currency Notes To India Increases Ahead Of Polls

एक तरफ देश में आम चुनाव की लहर दौड़ रही है तो दूसरी तरफ नकली भारतीय नोट की तस्करी भी बढ़ रही है. विदेशों से जाली भारतीय नोटों की तस्करी में इजाफा हो रहा है, जिसके मद्देनजर वित्तीय खुफिया एजेंसियों ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है.
तस्‍करी में बढ़ोतरी की आशंकाआगामी लोकसभा चुनाव के चलते जाली नोटों की तस्करी में और बढ़ोतरी होने की आशंका है. सूत्रों ने बताया कि राजस्व खुफिया विभाग की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि पाकिस्तान में छापी गई जाली भारतीय मुद्रा की तस्करी के लिए पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के रास्तों का इस्तेमाल बढ़ रहा है.

भारत से बाहर पांच मामले दर्जराजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों ने अप्रैल 2013 से जनवरी 2014 के दौरान भारत से बाहर ऐसे पांच मामले दर्ज किए हैं और करीब 15 लाख रुपये की जाली भारतीय मुद्रा बरामद की है. सूत्रों ने बताया कि डीआरआई और दूसरे देशों के अधिकारियों के संयुक्त अभियान के दौरान आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से तीन पाकिस्तानी नागरिक हैं.

पांच पाकिस्‍तानी सहित पांच लोग अरेस्‍टवर्ष 2012-13 के दौरान एफआईसीएन की तस्करी के आठ मामले दर्ज किए गए थे. इस दौरान पांच पाकिस्तानियों सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन मामलों में 6.35 लाख रुपये की जाली मुद्रा बराबद हुई. सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, भारत में एफआईसीएन की तस्करी वियतनाम व मलेशिया के रास्ते भी हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि इन जाली नोटों को आसानी से पहचान पाना संभव नहीं होता है.

गरीब लोगों का होता है इस्‍तेमालएक सूत्र का कहना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस तरह की खबरें हैं कि विदेशों से भारत में एफआईसीएन की तस्करी में इजाफा होगा. सूत्रों का कहना है कि एफआईसीएन की तस्करी के लिए तस्कर गरीब लोगों का इस्तेमाल करते हैं. उन्हें भारत में जाली मुद्रा पहुंचाने के लिए अच्छा खासा पैसा दिया जाता है. उन्होंने बताया कि डीआरआई के अधिकारियों ने अप्रैल, 2013 से जनवरी, 2014 के दौरान 11 मामले दर्ज किए हैं. इन मामलों में 96 लाख रुपये की जाली मुद्रा पकड़ी गई. एक नाबालिग सहित इन मामलों में कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

Source: Latest News in Hindi

Wednesday, March 5, 2014

We Control The Muscle Power Now Time To Control Money Power Says EC

भारत के आगामी आम चुनाव नौ चरणों में कराए जाएंगे. पहले चरण का मतदान 7 अप्रैल को होगा.
बुधवार को दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने बताया कि 16वीं लोकसभा के चुनावों के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनाव भी होंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने बताया कि सभी वोटों की गिनती 16 मई होगी.

आयोग के अनुसार इस बार के आम चुनावों में 81 करोड़ से ज़्यादा मतदाता हैं. पिछले आम चुनावों के मुक़ाबले इस बार मतदाताओं की संख्या 10 करोड़ ज़्यादा है.

उन्होंने बताया कि भारत के पहले आम चुनावों में 17.6 करोड़ मतदाता थे.

संपत ने बताया कि आम चुनावों के लिए देश भर में नौ लाख तीस हजार मतदान केंद्र बनाए जाएंगे जबकि पिछले आम चुनावों में इनकी संख्या आख लाख तीस हजार थी. इस तरह मतदान केंद्रों की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

चुनाव आयुक्त एचएस ब्रहमा ने कहा कि बाहुबल को नियंत्रित कर लिया गया है, अब धनबल को काबू करना बड़ी चुनौती है.

कब कब होंगे चुनाव
7 अप्रैल    दो राज्य,    6 निर्वाचन क्षेत्र  
9 अप्रैल    पांच राज्य,    7 निर्वाचन क्षेत्र  
10 अप्रैल    14 राज्य,    92 निर्वाचन क्षेत्र  
12 अप्रैल     3 राज्य,    5 निर्वाचन क्षेत्र  
17 अप्रैल    13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश,    122 निर्वाचन क्षेत्र  
24 अप्रैल    12 राज्य,    117 निर्वाचन क्षेत्र  
30 अप्रैल    9 राज्य,    89 निर्वाचन क्षेत्र  
7 मई    7 राज्य,    64 निर्वाचन क्षेत्र  
12 मई    3 राज्य,    41 निर्वाचन क्षेत्र  


चुनाव आयुक्त ने बताया कि लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार चुनाव प्रचार पर 70 लाख ख़र्च कर सकता है जबकि पहले ये सीमा 40 लाख तक थी.

मीडिया मॉनिटरिंग

चुनाव आयुक्त से प्रेस कांफ्रेस में चुनावी ख़र्च में काले धन के इस्तेमाल को लेकर बार बार सवाल पूछे गए जिन पर उन्होंने कड़ी नजर रखने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि इसके लिए उड़ान दस्ते तैयार किए जाएंगे. संपत के अनुसार चुनाव के दौरान चेक पोस्ट पर ख़ास तौर से नज़र रखी जाएगी. इसके अलावा उन्होंने मीडिया मॉनिटरिंग भी की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि पेड न्यूज के मामलों से भी निपटा जाएगा. देश के नक्सल प्रभावित इलाक़ों के बारे में पूछे गए सवालों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ऐसे सभी इलाकों में एक ही दिन मतदान कराया जाएगा.

चुनाव की देख रेख के लिए 1.1 करोड़ सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि मतदाता सूचियों में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, वो नौ 9 मार्च को अपने नाम उसमें जुड़वा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि आम चुनावों में पहली बार नोटा का इस्तेमाल होगा. किसी भी उम्मीदवार को पसंद न करने का विकल्प देने वाले वोटिंग मशीन के इस बटन का इस्तेमाल हालिया विधानसभा चुनावों में पहली बार किया गया था.

चुनाव आचार संहिता लागू
उन्होंने बताया कि बुधवार को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है.

उन्होंने कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे, इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं.

भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में 543 सीटे हैं और सरकार के गठन के लिए किसी दल या गठबंधन को कम से कम 272 सांसदों का समर्थन होना चाहिए.

सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के अलावा कई अन्य क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी किस्मत आज़माएंगी.

हाल ही में समाजवादी पार्टी, जनता दल (यू), सीपीआईएम जैसे 11 प्रांतीय दलों ने एक तीसरे मोर्चे का गठन किया है.

दिसंबर 2013 में दिल्ली में बढ़िया प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) भी लोकसभा चुनावों में कूद चुकी है और उसने 20 से ज़्यादा उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है.

भारतीय जनता पार्टी पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा कर चुकी है और पिछले साल से अब तक मोदी कई शहरों में चुनावी रैलियां कर चुके हैं.

कांग्रेस ने हालांकि अब तक इस पद के लिए किसी को भी नामांकित नहीं किया है लेकिन पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ में हैं और वे भी लगातार रैलियां संबोधित कर रहे हैं.

Source: Online Hindi Newspaper

General Elections 2014 Seatwise Detail Of Loksabha Poll Dates For MP And Chhattisgarh

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की 42 लोकसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होगा. इन दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने वाले बीजेपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह पर लोकसभा में भी वैसी ही सफलता दोहराने की चुनौती होगी.

मध्य प्रदेश
10 अप्रेल
सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मांडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद

17 अप्रेल
मोरैना, भिंड, ग्वा,लियर, गुना, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, भोपाल, राजगढ़

24 अप्रेल
विदिशा, देवास, उज्जै न, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन, खंडवा, बेतूल

छत्तीासगढ़
10 अप्रेल
बस्तीर

17 अप्रेल
राजनंदगांव, महासमंद, कांकेर

24 अप्रेल
सरगुजा, राजगढ़, जांजगीर चंपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर

Source: Hindi News

Thursday, February 27, 2014

Atal Bihari Vajpayees Niece Joins Congress

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला कांग्रेस में शामिल हो गईं. गुरुवार को उन्होंने कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में पार्टी में शामिल होने की घोषणा की.
करुणा शुक्ला ने भारतीय जनता पार्टी पर जम कर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भाजपा के 'अटल युग' का समापन हो चुका है. उन्होंने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसने अपना पति धर्म नहीं निभाया हो, वह राष्ट्र धर्म क्या निभाएगा.

करुणा शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस मेरा घर है. उन्होंने कहा कि कोई कितनी भी हवा बहा ले, मौसम बदलते देर नहीं लगती. करुणा शुक्ला ने कहा कि 2004, 2009 में जो कुछ हुआ, वही 2014 में भी दोहराया जाएगा.

करुणा शुक्ला भाजपा की विधायक और सांसद रह चुकी हैं. इसके अलावा वे भाजपा की महिला इकाई की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

कभी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहीं करुणा शुक्ला ने पिछले साल पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

पार्टी में अनदेखी

"छत्तीसगढ़ में भाजपा दो-तीन सत्ताधारी नेताओं की जागीर बन कर रह गई है जिनमें राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह प्रमुख हैं."
-करुणा शुक्ला, भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी

इस्तीफा देने के बाद करुणा शुक्ला ने पार्टी में हुई अवहेलना को इसका कारण बताया था और कहा था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा दो-तीन सत्ताधारी नेताओं की जागीर बन कर रह गई है जिनमें राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह प्रमुख हैं.

पार्टी में वापस आने की संभावनाओं को नकारते हुए करुणा शुक्ला ने कहा था कि वे मर जाएंगी, लेकिन भाजपा में नहीं लौटेंगी.

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं.

अटल बिहारी पहली वर्ष 1996 में मात्र 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे. उसके बाद वो वर्ष 1998 से 1999 के बीच 13 महीनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे. साल 1999 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए साल 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे.

वाजेपयी फ़िलहाल सेहत ठीक न होने के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हैं.

Source: Local News

5 JDU MP Suspended In Bihar

बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड ने अपने पाँच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ निष्कासित सांसदों में पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के अलावा पूर्णमासी राम, मंगनी लाल मंडल, सुशील सिंह और जय नारायण निषाद शामिल हैं.

इन सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया गया है.

निष्कासित सांसदों में चार सांसद लोक सभा सांसद हैं और एक सासंद शिवानंद तिवारी राज्य सभा में हैं.

इससे पहले शिवानंद तिवारी ने जद-यू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में टूट कराने के लिए जिम्मेदार ठहराया था.

निष्कासित चारों नेता बिहार से सांसद हैं. पूर्णमासी राम गोपालगंज से, मंगनी लाल मंडल झांझरपुर से, सुशील कुमार सिंह औरंगाबाद से और जय नारायण निषाद मुज़फ़्फ़रपुर से लोक सभा सांसद हैं.

Source: Hindi News

It Will Take Time To Fill Potholes Says Namo

भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो काफ़ी समय देश की व्यवस्था में हुए उन गड्ढ़ों को भरने में ही लग जाएगा, जो पिछले 60 सालों में आई सरकारों ने बनाए हैं. इसके बाद ही देश के विकास का काम शुरू हो पाएगा.
मोदी गुरुवार को नई दिल्ली में कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

इस अवसर पर संगठन ने एक मांग पत्र मोदी के सामने रखा. इस पर मोदी ने कहा कि आपकी सभी मांगे व्यावहारिक हैं और इनको पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में जगह दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि व्यापारियों में  भाजपा की लोकप्रियता इतनी है कि उसे व्यापारियों की ही पार्टी माना जाता है.

मोदी ने कहा कि आज देश के हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री से लेकर चपरासी तक का कायाकल्प करने की ज़रूरत है. यह कायाकल्प इस तरह का होना चाहिए कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश एक बार फिर जवान नज़र आए.

क़ानूनों का मकड़जाल

"देश के हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री से लेकर चपरासी तक का कायाकल्प करने की जरूरत है. यह कायाकल्प इस तरह का होना चाहिए कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश एक बार फिर जवान नज़र आए"
-नरेंद्र मोदी, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

उन्होंने कहा कि पिछले 60 साल से देश क़ानूनों के मकड़जाल में फंसा हुआ है. बेकार के क़ानूनों से मुक्ति पाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि देश में सरल, सहज और आम आदमी को फ़ायदा पहुँचाने वाले क़ानून होने चाहिए.

राज्यों का जिक्र करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश को दिल्ली से चलाने का फ़ैशन अब बंद होना चाहिए और राज्यों पर भरोसा कर उन्हें और अधिकार देने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा कि दुनिया में छाने और  संबंध बनाने का ज़रिया व्यापार ही है. संबंध इसी से जुड़ते हैं. इसलिए भारत के विदेश मंत्रालय को अब व्यापार और वाणिज्य कूटनीति पर ध्यान देना चाहिए.

देशभर से जुटे व्यापारियों को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार दुनिया में छाई आर्थिक मंदी की बात करती है लेकिन इससे डरने की ज़रूरत नहीं, ज़रूरत है इसका सामना करने की. इसके लिए सरकार को व्यापारियों को सुविधाओं से लैस करना चाहिए.

इस अवसर पर भाजपा नेता ने व्यापारियों को सलाह दी कि मिलावटख़ोरों को अपने बीच से दूर करें.

Source: Hindi News

Tuesday, February 25, 2014

Every MLA Is United With The Party Says Lalu

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी के सभी विधायक उनके साथ हैं और जल्दी ही वह इस बात को साबित कर देंगे.
लालू ने पटना में राजद की बैठक में जाने से पहले संवाददाताओं से कहा, "यह नीतीश कुमार की भारी साजिश है. वह भाजपा से भी मिले हुए हैं. दोनों दल मिलकर हमारी पार्टी को तोड़ना चाहते हैं लेकिन हमारे सभी विधायक पार्टी के साथ हैं और कुछ देर में वे आपके सामने होंगे."

बिहार राजनीतिक तौर पर एक बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है और लोकसभा चुनाव से ऐन पहले इस राज्य का राजनीतिक तापमान अचानक काफ़ी बढ़ गया है.

राजद में जहाँ टूट की ख़बरें आ रही हैं, वहीं रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के भारतीय जनता पार्टी के साथ पींगें बढ़ाने के संकेत हैं.

सोमवार को राजद के कुछ विधायकों ने दावा किया कि उन्होंने पार्टी से अलग अपना गुट बना लिया है और विधानसभा में उन्हें मान्यता भी मिल गई है.

बीबीसी से बातचीत में बाग़ी विधायकों में से एक जावेद इक़बाल अंसारी ने दावा किया कि उनके साथ राजद के 22 में से 13 विधायक हैं. इनमें विधानसभा में पार्टी के उपनेता सम्राट चौधरी भी हैं.

हालांकि कुछ ही देर बाद विधानसभा में पार्टी विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अंसारी के इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए.

सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यू) के इशारे पर पार्टी तोड़ने की कोशिश की जा रही है.

बागी विधायकों की सूची
"यह नीतीश कुमार की भारी साजिश है. वह भाजपा से भी मिले हुए हैं. दोनों दल मिलकर हमारी पार्टी को तोड़ना चाहते हैं लेकिन हमारे सभी विधायक पार्टी के साथ हैं"
-लालू प्रसाद, राजद नेता

संवाददाता सम्मेलन में  राजद के वे छह विधायक भी मौजूद थे जिनके नाम 13 बागी विधायकों की सूची में थे.

इन विधायकों ने दावा किया कि उनके हस्ताक्षर सही नहीं हैं और वे अब भी पार्टी के साथ हैं.

पटना के स्थानीय पत्रकार अजय कुमार ने बताया कि इन विधायकों में से कुछ ने सोमवार रात पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से मुलाकात की.

इस बीच भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने  नीतीश सरकार पर जोड़-तोड़ का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा, "भाजपा जब अलग हो गई तो विधायकों की संख्या घट गई है इसलिए जेडीयू को अपने पर भरोसा कम है. सरकार जोड़-तोड़ में लगी हुई है लेकिन बिहार की जनता उनके साथ नहीं है. हां, ये सही है कि सत्ता उनके पास है और वे सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं."

बहुमत का सवाल

दरअसल  भाजपा के गठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश सरकार अल्पमत में है. माना जा रहा है कि 13 विधायकों के समर्थन से सरकार सदन में बहुमत में आ सकती है और यही वजह है कि राजद के कथित बागी विधायकों के गुट को तुरंत मान्यता दे दी गई.

इस बीच लोजपा भाजपा के साथ पींगें बढ़ा रही है. हालांकि दोनों ही पार्टियों ने इस पर अभी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की है.

पासवान भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं और साल 2002 में गुजरात दंगों का हवाला देते हुए उन्होंने इस गठबंधन से किनारा किया था.

माना जा रहा है कि बिहार में भाजपा के कुछ स्थानीय नेता पासवान के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं है. वैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि उन्हें गठबंधन की किसी चर्चा की जानकारी नहीं है.

उधर पासवान के पुत्र और चिराग पासवान ने कहा "जब न्यायालय ने मोदी को दंगों के मामले में क्लीन चिट दे दी है तो अब यह कोई मुद्दा नहीं रह गया है."

Source: Hindi News Headlines

Monday, February 24, 2014

PM 2014 Narendra Modi Vs Rahul Gandhi Vs Arvind Kejriwal

रविवार को उत्तर भारत के तीन राज्यों में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जनसभाओं को संबोधित किया.
पंजाब के लुधियाना के जगराओं में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आम सभा को संबोधित किया.

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में एबीसीडी कांग्रेस की पहचान बन गई है. जैसे, ए फॉर आदर्श घोटाला, बी फॉर बोफोर्स घोटाला और सी फॉर कोयला घोटाला.

मोदी ने कहा, 'जब राजीव गांधी देश में राज कर रहे थे तो पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक उनका राज था. तब राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव तक पहुंचते पहुंचते 15 पैसे हो जाता है. मैं पूछना चाहता हूं कि वो कौन सा पंजा था जो रुपए को घिस कर 15 पैसे में बदल देता है.''

उन्होंने कहा कि दिल्ली की ज़िम्मेदारी मिली तो वो चौकीदार की तरह बैठेंगे और देश की तिजोरी पर पंजा नहीं पड़ने देंगे.

'खून की राजनीति'

वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष खून की राजनीति करता है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जब आपदा आई तब पूरा उत्तराखंड साथ खड़ा हो गया.

राहुल ने कहा, "पूरा हिंदुस्तान एक है सिर्फ़ चुने हुए लोग देश को बांटने में लगे हुए हैं और एक को दूसरे से लड़ाने में लगे हुए हैं."

राहुल ने कहा कि उनके कहने पर रसोई गैस के सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या नौ से बढ़ाकर 12 की गई. राहुल ने पूर्व सैनिकों की 'एक रैंक, एक पेंशन' की मांग को पूरा करने का भी ज़िक्र किया.

उत्तराखंड में पूर्व सैनिक बड़ी तादाद में हैं.

'किसानों को हक़ दिलाएंगे'


आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के रोहतक में सभा को संबोधित करते हुए भाजपा नेता नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला.

केजरीवाल ने कहा, "मैंने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी से पूछा कि आप जो हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करते हैं ये किसके हैं और आप इनका किराया देते हैं या मुफ़्त में इस्तेमाल में करते हैं."

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सत्ता में आई तो किसानों को उनका हक़ दिलाएगी.

केजरीवाल ने कहा, "ये कहते हैं हमें सरकार चलानी नहीं आती. मैं चैलेंज करता हूं जितने काम हमने करके दिखाए हैं किसी और ने कर के दिखाए हों तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा."

Source: Online Hindi Newspaper

Friday, February 21, 2014

AAP Knocks Supreme Court Door Against The President Rule In Delhi

नहीं चाहती कांग्रेस और बीजेपी कि दिल्ली में दोबारा हों विधानसभा चुनाव.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का गेट नॉक किया है. आप ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अपनी याचिका में दिल्ली में लागू हुए राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक बताया है. वहीं आप के नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन केंद्र ने लागू कराया है और बीजेपी ने भी इसको अपोज नहीं किया. प्रशांत भूषण ने ये भी कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही नहीं चाहती कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव दोबारा हों. या फिर लोकसभा- विधानसभा चुनाव साथ हों.

उपराज्यपाल ने सही नहीं किया

आप ने नजीब जंग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने हमारी सिफारिश के बाद भी कदम नहीं उठाया. आप ने कहा कि हमने उपराज्यपाल नजीब जंग से विधानसभा भंग करने और दोबारा चुनाव कराने की सिफारिश की थी. आप ने बताया कि उस समय आम आदमी पार्टी बहुमत में थी और नजीब जंग को हमारी बात को समझनी और माननी चाहिए थी. लेकिन नजीबजंग ने गृह मंत्रालय से विधानसभा निलंबित रखने और राष्ट्रपति शासन लागू रखने की सिफारिश की, जो कि कतई सही नहीं था.