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Thursday, March 13, 2014

Modi Will Be A Historic Politician Says Kumar Vishwas

काँग्रेस नेता राहुल गाँधी को उनके गढ़ अमेठी में ही जाकर चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा है कि नरेंद्र मोदी कुछ सवालों का जवाब दे दें तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में कुमार विश्वास ने कहा, "नरेंद्र मोदी इतिहास के ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहाँ यदि वे ईमानदारी से कुछ सवालों के जबाव दे पाते हैं तो वे इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कर जाएंगे. नहीं तो इस देश ने बहुत से पीएम इन वेटिंग देखे हैं."

पिछले दिनों ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास की टिप्पणियों से मीडिया के एक हिस्से में क़यास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद हैं.

माना जा रहा है कि जहाँ एक ओर अरविंद केजरीवाल हर मौक़े पर नरेंद्र मोदी को निशाना बना रहे हैं वहीं मोदी पर कुमार विश्वास अपेक्षाकृत नरम पड़ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि, "जब से नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधना शुरू किया है तब से कुछ रिश्तों की पहचान हो रही है. लेकिन अंततः जीत सच की होगी." मीडिया के एक हिस्से ने इसे अमेठी से चुनाव लड़ रहे कुमार विश्वास पर टिप्पणी माना.

इससे पहले कुमार ने ट्वीट किया था, "चढ़ती नदी में नाले गिरेंगें तो आस्थावान स्नान से भी डरेगा,आचमन तो भूल ही जाओ." कुमार ने एक और ट्वीट किया, "जिनके एक इशारे पर हम गुलशन से लोहा ले बैठे, ज़रा गंध माँगी तो बोले हवा अभी अनुकूल नहीं !"

इसके बाद मीडिया और यहाँ तक कि पार्टी के शुभचिंतकों में भी ‘आप’ के नेतृत्व के बीच रस्साकशी को लेकर सवाल पूछने का सिलसिला शुरू हो गया है.

ट्विटर पर की गई इन टिप्पणियों को कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के बीच तनाव के रूप में देखा जा रहा है. पूरे मामले पर कुमार विश्वास कहते हैं, "मैं मीडिया से बाहर हूँ और बहसों में हिस्सा नहीं ले रहा हूँ. ऐसे वक़्त में मेरी एक शायरी भरी ट्वीट के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. मैं इससे ज़्यादा क्या कहूँ?”

मोदी पर नरमबीबीसी हिंदी से बात करते हुए अलबत्ता कुमार विश्वास ने नरेंद्र मोदी के बारे में अपनी राय इन शब्दों में ज़ाहिर की, "सिर्फ़ लफ़्फ़ाजी और बड़े मंचों से बोलने से काम नहीं चलेगा. मोदी को सीधे सवालों के जबाव देने होंगे. यदि मोदी अंबानी-अडानी से अपने रिश्तों, वंशवाद की राजनीति, अपने पार्टी को अज्ञात स्त्रोतों से मिलने वाले चंदे, पासवान को पार्टी में शामिल करने के बारे में उठ रहे सवालों के जबाव दे पाते हैं

तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है. नहीं तो वो सिर्फ़ एक नाम बनकर रह जाएंगे?"
कुमार विश्वास पिछले तीन महीनों से आम आदमी पार्टी में कम सक्रिय हैं. वे अमेठी में राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए गाँव-गाँव, घर-घर जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं.

आसान सीट

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली आसान जगह है. यहाँ पार्टी ने अपना जनाधार भी बनाया है. दिल्ली से न लड़ने के सवाल पर कुमार कहते हैं, "अगर मैं भी सुरक्षित सीट देखूँ तो मैं नेता किस बात का हूँ. यहीं से पार्टी का नेतृत्व निखरेगा. हो सकता है कि मैं इन दिनों उतना सक्रिय या सुर्खियों में नहीं हूँ जितना योगेंद्र यादव या आशुतोष हैं लेकिन मैं ये मानता हूँ कि इतिहास मेरी लड़ाई को संजीदगी से याद रखेगा."

"मैं चाहता तो दिल्ली से चुनाव लड़ता और आसानी से सांसद बन जाता. मैं सोशल मीडिया पर देश का तीसरा सबसे चर्चित राजनीतिक व्यक्ति हूँ. चांदनी चौक या नोएडा मेरे लिए आसान सीट होती. लेकिन अमेठी की लड़ाई बड़े प्रतीक के लिए हैं. 'वतन की रेत मुझे एड़ियां रगड़ने दे, मुझे यक़ीन हैं पानी यहीं से निकलेगा. मैं तीन महीने से एड़ियां रगड़ रहा हूँ. अब पानी निकलने में सात मई की देर है."

आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और स्वयं अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का संकेत दिया है.

नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के संभावित मुक़ाबले पर कुमार विश्वास कहते हैं, "बिल्कुल उनको चुनाव लड़ना चाहिए. अरविंद और आम आदमी पार्टी ने मोदी से गैस के दामों, अंबानी-अडानी से रिश्तों और अन्य मुद्दों पर कुछ सवाल पूछे हैं. उन सवालों का जबाव लेने के लिए यदि केजरीवाल मोदी के ख़िलाफ़ लड़ते हैं तो मैं केजरीवाल का समर्थन करूँगा."

कुमार विश्वास कहते हैं कि मैं मोदी के ख़िलाफ़ अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव प्रचार भी करूंगा और लोगों से तटस्थता से वोट देने की अपील भी करूंगा.

बड़ी चुनौतीराहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.

देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के वारिस राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.

वे कहते हैं, "ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष है. मैं गाँव-गाँव घूम रहा हूँ. जहाँ रात हो जाती है वहीं सो जाता हूँ. पिछले दस साल में यदि किसी ने भी यह महसूस किया हो कि इस देश की हालत के पीछे राहुल गाँधी का व्यवहार ज़िम्मेदार है तो वे मेरा साथ देने के लिए अमेठी आएं. मेरा समर्थन करें."

क्या कुमार विश्वास पार्टी में अकेले पड़ गए हैं?
इस सवाल के जवाब में कुमार विश्वास कहते हैं, "पार्टी में मेरे रिश्ते सभी से अच्छे हैं. पार्टी को लगता है कि कुमार विश्वास एक महारथी आदमी है, अकेले लड़ सकता हैं. यहाँ चुनाव भी सात मई को है, मैं पहले आ गया हूँ. उन्हें जब सुविधा होगी वे आएंगे. लेकिन सब मुझसे पूछ रहे हैं कि कब आना है. मुझे उम्मीद है मैं राहुल गाँधी को हरा दूँगा?"

क्या कुमार विश्वास नाराज़ हैं?
इस सवाल पर कुमार कहते हैं, "मैं किसी से नाराज़ नहीं हूँ. जैसा अरविंद ने लिखा है, वैसे ही मैंने भी लिखा है कि संकट के काल में लोग आपको समझ में आते हैं. मैं समझता हूँ कि यह संकट का नहीं संघर्ष का काल है. मैंने पिछले 40-42 सालों में जिन लोगों से दोस्ती की है, संबंध बनाए हैं, मैं उन्हें आजमा रहा हूँ, उन्हें पुकार रहा हूँ, उन्हें खंगाल रहा हूँ. काफ़ी लोग मेरे समर्थन में आए हैं. लोकसभा क्षेत्र में भी मुझे बहुत अच्छा समर्थन प्राप्त हो रहा है."

Source: Online Hindi Newspaper

Wednesday, March 5, 2014

We Control The Muscle Power Now Time To Control Money Power Says EC

भारत के आगामी आम चुनाव नौ चरणों में कराए जाएंगे. पहले चरण का मतदान 7 अप्रैल को होगा.
बुधवार को दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने बताया कि 16वीं लोकसभा के चुनावों के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनाव भी होंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने बताया कि सभी वोटों की गिनती 16 मई होगी.

आयोग के अनुसार इस बार के आम चुनावों में 81 करोड़ से ज़्यादा मतदाता हैं. पिछले आम चुनावों के मुक़ाबले इस बार मतदाताओं की संख्या 10 करोड़ ज़्यादा है.

उन्होंने बताया कि भारत के पहले आम चुनावों में 17.6 करोड़ मतदाता थे.

संपत ने बताया कि आम चुनावों के लिए देश भर में नौ लाख तीस हजार मतदान केंद्र बनाए जाएंगे जबकि पिछले आम चुनावों में इनकी संख्या आख लाख तीस हजार थी. इस तरह मतदान केंद्रों की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

चुनाव आयुक्त एचएस ब्रहमा ने कहा कि बाहुबल को नियंत्रित कर लिया गया है, अब धनबल को काबू करना बड़ी चुनौती है.

कब कब होंगे चुनाव
7 अप्रैल    दो राज्य,    6 निर्वाचन क्षेत्र  
9 अप्रैल    पांच राज्य,    7 निर्वाचन क्षेत्र  
10 अप्रैल    14 राज्य,    92 निर्वाचन क्षेत्र  
12 अप्रैल     3 राज्य,    5 निर्वाचन क्षेत्र  
17 अप्रैल    13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश,    122 निर्वाचन क्षेत्र  
24 अप्रैल    12 राज्य,    117 निर्वाचन क्षेत्र  
30 अप्रैल    9 राज्य,    89 निर्वाचन क्षेत्र  
7 मई    7 राज्य,    64 निर्वाचन क्षेत्र  
12 मई    3 राज्य,    41 निर्वाचन क्षेत्र  


चुनाव आयुक्त ने बताया कि लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार चुनाव प्रचार पर 70 लाख ख़र्च कर सकता है जबकि पहले ये सीमा 40 लाख तक थी.

मीडिया मॉनिटरिंग

चुनाव आयुक्त से प्रेस कांफ्रेस में चुनावी ख़र्च में काले धन के इस्तेमाल को लेकर बार बार सवाल पूछे गए जिन पर उन्होंने कड़ी नजर रखने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि इसके लिए उड़ान दस्ते तैयार किए जाएंगे. संपत के अनुसार चुनाव के दौरान चेक पोस्ट पर ख़ास तौर से नज़र रखी जाएगी. इसके अलावा उन्होंने मीडिया मॉनिटरिंग भी की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि पेड न्यूज के मामलों से भी निपटा जाएगा. देश के नक्सल प्रभावित इलाक़ों के बारे में पूछे गए सवालों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ऐसे सभी इलाकों में एक ही दिन मतदान कराया जाएगा.

चुनाव की देख रेख के लिए 1.1 करोड़ सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि मतदाता सूचियों में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, वो नौ 9 मार्च को अपने नाम उसमें जुड़वा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि आम चुनावों में पहली बार नोटा का इस्तेमाल होगा. किसी भी उम्मीदवार को पसंद न करने का विकल्प देने वाले वोटिंग मशीन के इस बटन का इस्तेमाल हालिया विधानसभा चुनावों में पहली बार किया गया था.

चुनाव आचार संहिता लागू
उन्होंने बताया कि बुधवार को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है.

उन्होंने कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे, इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं.

भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में 543 सीटे हैं और सरकार के गठन के लिए किसी दल या गठबंधन को कम से कम 272 सांसदों का समर्थन होना चाहिए.

सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के अलावा कई अन्य क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी किस्मत आज़माएंगी.

हाल ही में समाजवादी पार्टी, जनता दल (यू), सीपीआईएम जैसे 11 प्रांतीय दलों ने एक तीसरे मोर्चे का गठन किया है.

दिसंबर 2013 में दिल्ली में बढ़िया प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) भी लोकसभा चुनावों में कूद चुकी है और उसने 20 से ज़्यादा उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है.

भारतीय जनता पार्टी पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा कर चुकी है और पिछले साल से अब तक मोदी कई शहरों में चुनावी रैलियां कर चुके हैं.

कांग्रेस ने हालांकि अब तक इस पद के लिए किसी को भी नामांकित नहीं किया है लेकिन पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ में हैं और वे भी लगातार रैलियां संबोधित कर रहे हैं.

Source: Online Hindi Newspaper

General Elections 2014 Seatwise Detail Of Loksabha Poll Dates For MP And Chhattisgarh

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की 42 लोकसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होगा. इन दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने वाले बीजेपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह पर लोकसभा में भी वैसी ही सफलता दोहराने की चुनौती होगी.

मध्य प्रदेश
10 अप्रेल
सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मांडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद

17 अप्रेल
मोरैना, भिंड, ग्वा,लियर, गुना, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, भोपाल, राजगढ़

24 अप्रेल
विदिशा, देवास, उज्जै न, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन, खंडवा, बेतूल

छत्तीासगढ़
10 अप्रेल
बस्तीर

17 अप्रेल
राजनंदगांव, महासमंद, कांकेर

24 अप्रेल
सरगुजा, राजगढ़, जांजगीर चंपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर

Source: Hindi News

Thursday, February 20, 2014

Rajiv Gandhi Assasination Convicts Jayalalithaa Played A Masterstroke

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इन दोषियों की मौत की सज़ा को उम्रक़ैद में बदलने का फ़ैसला सुनाया था. कोर्ट ने इन लोगों की दया याचिकाओं के निपटारे में हुई देरी का हवाला देते हुए अपना फ़ैसला दिया था.

इसके बाद तो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और राज्य में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की मुखिया जे जयललिता ने इस  मामले को आगे बढ़ाने में कोई देर नहीं की.

आम चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं और जयललिता उम्मीद कर रही होंगी कि इस क़दम से वह तमिल मतदाताओं का दिल जीतने में सफल रहेंगी जो श्रीलंका के तमिलों से सहानुभूति रखते हैं और कोलंबो के मानवाधिकार रिकॉर्ड के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते रहे हैं.

मई 1991 में हुई राजीव गांधी की हत्या को 1987 में श्रीलंका में भारतीय शांति सैनिकों को भेजने के उनके फ़ैसले के प्रतिशोध के रूप में देखा गया था.

यहां तक कि  कांग्रेस पार्टी के नेता भी सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फ़ैसले के बाद मौक़े की नज़ाकत को देखते हुए इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

स्वार्थी राजनीति"मैं शीर्ष अदालत के फ़ैसले से दुखी नहीं हूं. राजीव गांधी का नुक़सान हमारे लिए अपूरणीय है लेकिन अदालत के फ़ैसले के बाद हमें इस सच्चाई के साथ जीना होगा. मैं इसे स्वार्थ की राजनीति के रूप में नहीं देखता हूं"
-पी चिदंबरम, केंद्रीय वित्त मंत्री

समाचार चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "मैं शीर्ष अदालत के फ़ैसले से दुखी नहीं हूं. राजीव गांधी का नुक़सान हमारे लिए अपूरणीय है लेकिन अदालत के फ़ैसले के बाद हमें इस सच्चाई के साथ जीना होगा. मैं इसे स्वार्थ की राजनीति के रूप में नहीं देखता हूं." तमिलनाडु के सांसद होने के नाते वह स्थानीय भावनाओं के ख़िलाफ़ जाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं.

पिछले साल नवंबर में भारतीय प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह को श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के मद्देनज़र तमिल नेताओं के दबाव के आगे झुकना पड़ा था और उन्होंने कोलंबो में राष्ट्रमंडल शिखर बैठक का बहिष्कार किया था.

उससे पहले मार्च में जयललिता सरकार ने श्रीलंका मानवाधिकार रिकॉर्ड के विरोध में राजधानी चेन्नई में श्रीलंकाई खिलाड़ियों वाले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खेलों की मेजबानी नहीं करने का फ़ैसला किया था. (एक समाचार पत्र ने इसे "उग्र राष्ट्रीयता की इंतहां" का एक उदाहरण बताया था.)

और सितंबर 2012 में, जयललिता की सरकार ने एक दोस्ताना मैच खेलने आई श्रीलंका की एक स्कूली फुटबॉल टीम को चेन्नई से वापस भेज दिया था. उन्होंने कहा था कि इस टीम को भारत में खेलने की अनुमति देकर केन्द्र सरकार ने "तमिलनाडु के लोगों को अपमानित किया है".

इतना ही नहीं, तमिलनाडु में प्रशिक्षण ले रहे श्रीलंकाई सेना के दो जवानों को साल 2012 में देश छोड़ने के आदेश दिए गए थे.

आक्रोशसोशल मीडिया पर दोषियों की रिहाई संबंधी जयललिता के फैसले पर लोगों में आक्रोश है.

तमिलनाडु का मुख्य विपक्षी दल और केन्द्र में सत्तारूढ़ यूपीए सरकार का घटक द्रमुक भारत सरकार के श्रीलंकाई तमिलों के ख़िलाफ़ कथित अत्याचार के मामले में विफल रहने के मुद्दे पर पिछले साल गठबंधन से हट गया था.

इतना काफ़ी है यह बताने के लिए कि दोषियों को रिहा करने के जयललिता के फ़ैसले पर लोगों में ज़्यादा आक्रोश क्यों नहीं है.

सोशल मीडिया पर कुछ यूज़रों ने इस पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा है कि चुनाव जीतने के लिए नेता किस हद तक जा सकते हैं. वे कहते हैं कि नेताओं ने यह भी भुला दिया कि मई 1991 की उस रात राजीव गांधी के साथ एक दर्ज़न से ज़्यादा लोग भी मारे गए थे.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अफ़ज़ल गुरू की पत्नी की भी बात कर रहे हैं. अफ़ज़ल की पत्नी ने सवाल उठाया है कि उनके पति के मामले में भी राजीव गांधी के हत्यारों की तरह विचार क्यों नहीं किया गया?  अफ़ज़ल को संसद पर साल 2001 के हुए हमले का दोषी क़रार देते हुए 2013 में फांसी की सज़ा दी गई थी.

Source: Hindi News

SC Orders Stay On The Release Of Rajiv Gandhi Murder Convicts

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि तमिलनाडु सरकार ने इस मामले में जो प्रक्रिया अपनाई थी उसमें कई गड़बड़ियां हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है और इस मामले में अगली सुनवाई छह मार्च को होगी.

तमिलनाडु सरकार के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल उन तीन लोगों की रिहाई पर रोक लगाई है जिनकी फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रक़ैद में तब्दील कर दिया था.

बाक़ी चार अभियुक्तों के बारे में राकेश द्विवेदी ने कहा कि राज्य सरकार उनके बारे में फ़ैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.

केंद्र सरकार के वकील अशोक भान ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तमिलनाडु सरकार सभी सात लोगों को रिहा नहीं करेगी जब तक इस बारे में सुप्रीम कोर्ट कोई अंतिम फ़ैसला नहीं करता है.

इस तरह की सिफ़ारिश करने वाले तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले को चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

गुरूवार सुबह केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाने के संबंध में अर्ज़ी दाख़िल की. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अर्ज़ी स्वीकार करते हुए उस पर फ़ौरन सुनवाई करने का फ़ैसला किया था.

ट्वीट

प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले की निंदा की है. पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर और पार्टी के एक पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा है कि राजीव गांधी की हत्या में शामिल लोगों के साथ किसी तरह की सहानुभूति नहीं दिखाई जानी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने कहा है कि राजीव गांधी की हत्या मामले में उठे कुछ बुनियादी क़ानूनी पहलुओं पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर किया है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने  तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले की भी आलोचना की है.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया है कि राजीव गांधी के क़ातिलों की रिहाई के लिए तमिलनाडु सरकार की कार्रवाई क़ानूनी तौर पर वैध नहीं है और इस पर अमल नहीं किया जाना चाहिए.

मनमोहन ने ये भी कहा कि राजीव गांधी की हत्या भारत की आत्मा पर हमला था.

प्रधानमंत्री ने कहा, ''भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे महान नेता और दूसरे बेगुनाह भारतीय के क़ातिलों की रिहाई, न्याय के सभी सिद्धांतों के प्रतिकूल होंगे.''

केंद्रीय क़ानून मंत्री  कपिल सिब्बल ने भी तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले की कड़ी आलोचना की है. गुरूवार सुबह संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए सिब्बल ने प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बग़ैर उस पर भी निशाना साधा.

सिब्बल ने कहा कि दुख की बात है कि कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं जिनकी इस मामले में चुप्पी रही है.

सिब्बल ने गुजरात में हुए फ़र्ज़ी मुठभेड़ की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, ''कहीं तो आतंकवाद के नाम पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ होते हैं और दूसरी जगह आतंकवादी को रिहा किया जाता है. मैं समझता हूं कि सोच में कुछ खोट ज़रूर है.''

मामला

ग़ौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में राजीव गांधी की हत्या के मामले में तीन लोगों को दी गई फांसी की सज़ा को उम्रक़ैद में तब्दील कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सज़ायाफ़्ता लोगों की दया याचिका की सुनवाई में हुई देरी को वजह बताकर सज़ा में राहत देने का  फ़ैसला किया था.

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ठीक एक दिन बाद बुधवार को जयललिता मंत्रिमंडल ने एक आपात बैठक में फ़ैसला किया कि राजीव गांधी की हत्या के जुर्म में जेल में बंद सात क़ैदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार से सिफ़ारिश करेगी.

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार को केवल तीन दिन का समय दिया है, जिसमें केंद्र सरकार यह फ़ैसला कर ले कि इस मामले में उसे क्या करना है.

तभी से ही राजीव गांधी की हत्या के अभियुक्तों की रिहाई की सिफ़ारिश के तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले पर कई  सवाल भी उठने लगे हैं.

Source: Hindi News