Thursday, January 1, 2015

weeping laugh and learn something from them

वह स्कूल के मेधावी छात्र माने जाते थे। एक बार स्कूल में कहानी प्रतियोगिता आयोजित की गई। कहानी लिखने के लिए महीने भर का समय दिया गया। उस छात्र को ही नहीं बल्कि उसके अध्यापकों को भी पूरा भरोसा था कि पुरस्कार उसी को मिलेगा।

लेकिन उस छात्र को केवल एक कहानी लिखने के लिए महीने भर का समय देना भारी मूर्खता प्रतीत हुई। जब दो दिन रह गए तो उसने आनन-फानन में एक कहानी लिखी और दे दी। जिस दिन पुरस्कार की घोषणा होनी थी। उस दिन वह छात्र बड़े उल्लास के साथ स्कूल पहुंचा।

परिणाम घोषित हुआ। प्रथम पुरस्कार उसे नहीं किसी और को मिला। मायूस होकर वह छात्र अपने घर गया और रोने लगा। उसकी बड़ी बहन ने जब देखा तो वह समझ गई कि अब रोने से कुछ नहीं होगा।

इसके बाद उसने अपने भाई से कहा कि अब रोने से कोई फायदा नहीं अगर सचमुच तुझे पराजय का दुःख है तो इसे आगे बढ़ने की पहली सीढ़ी मान ले। भविष्य में इस भूल को मत दोहराना । बड़ी बहन की इस सीख ने उसकी आंखें खोल दीं।

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