देश के लगभग सभी राज्यों में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। तुलसी दास जी ने रामचरितमानस में भगवान श्री राम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान श्री राम ने भी पतंग उड़ायी थी। इसलिए इस परंपरा का संबंध त्रेतायुग में भगवान श्री राम से जुड़ा हुआ है।
श्रीरामचितमानस में लिखा है कि, 'राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुंची जाई।।' तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार मकर संक्रांति ही वह पावन दिन था जब भगवान श्री राम और हनुमान जी की मित्रता हुई। मकर संक्राति के दिन राम ने जब पतंग उड़ाई तो वह पतंग इन्द्रलोक में पहुंच गई।
पतंग को देखकर इन्द्र के पुत्र जयंती की पत्नी सोचने लगी कि, जिसकी पतंग इतनी सुन्दर है वह स्वयं कितना सुंदर होगा। भगवान राम को देखने की इच्छा के कारण जयंती की पत्नी ने पतंग की डोर तोड़कर पतंग अपने पास रख ली।
श्रीरामचितमानस में लिखा है कि, 'राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुंची जाई।।' तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार मकर संक्रांति ही वह पावन दिन था जब भगवान श्री राम और हनुमान जी की मित्रता हुई। मकर संक्राति के दिन राम ने जब पतंग उड़ाई तो वह पतंग इन्द्रलोक में पहुंच गई।
पतंग को देखकर इन्द्र के पुत्र जयंती की पत्नी सोचने लगी कि, जिसकी पतंग इतनी सुन्दर है वह स्वयं कितना सुंदर होगा। भगवान राम को देखने की इच्छा के कारण जयंती की पत्नी ने पतंग की डोर तोड़कर पतंग अपने पास रख ली।
Source: Horoscope 2015
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