Sunday, January 18, 2015

यमुना में पूजन सामग्री के विसर्जन पर जुर्माने से संत दुखी

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यमुना में पूजा सामग्री या कूड़ा फेंकने वालों पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है। फिलहाल दिल्ली के लिए लागू इस आदेश पर माघ मेला में आए संतों ने दुख व्यक्त किया। अधिकांश संतों ने इस आदेश को अनावश्यक करार दिया है।

 उनका कहना था कि यह प्रदूषण मूल कारणों से ध्यान बटाने की कोशिश है। डूंग जी भूरा मंठ, हापुड़ के पीठाधीश्वर 94 वर्षीय वयोवृद्ध दंडी स्वामी हरीश्वरानंद तीर्थ का कहना था कि गंगा व यमुना को पूजन सामग्री दूषित नहीं कर रही। उसमें गिर रहे नाले उन्हें दूषित कर रहे हैं। 

जब यह नाले नहीं थे तो नदियां साफ थीं। शास्त्रों के अनुसार पूजन सामग्री तो तुलसी के पौधे या किसी पेड़ के नीचे भी फेंकी जा सकती है। जमीन में गाड़ी भी जा सकती है। नदियों में विसर्जित करने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए इस पर रोक लगाना ठीक नहीं है। पूजन सामग्री से प्रदूषण नहीं फैलता। 90 वर्षीय वयोवृद्ध रंगरामानुजाचार्य भी कुछ ऐसी ही राय व्यक्त करते हैं। 

उनके अनुसार शास्त्रों में आत्मा को फूल कहा गया है। इसलिए पूजा में फूल का इस्तेमाल किया जाता है। परंपरागत रूप से फूल व अन्य पूजन सामग्री नदियों में विसर्जित की जाती रही है। वैसे पूजन सामग्री को निर्जन वन में, किसी वृक्ष के नीचे, तुलसी के पौधे के नीचे आदि स्थानों पर फेंका जा सकता है। 

No comments:

Post a Comment