Thursday, January 15, 2015

सरयू में लगी डुबकी, सूर्य देव को अध्र्य, गोदान के साथ भोले बाबा का अभिषेक

मकर संक्रांति अयोध्या में परंपरागत उल्लास से मनाई गई। भोर में लोगों ने सरयू में डुबकी लगाई, सूर्य देव को अध्र्य दिया, तिलक-पूजन एवं गोदान के साथ भोले बाबा का अभिषेक किया एवं मौका पाकर हनुमानगढ़ी, कनकभवन आदि मंदिरों में आस्था अर्पित की।

ठिठुरन के बावजूद भोर से ही पुण्य सलिला में डुबकी लगाने वालों का तांता लगा। स्नान घाट ही नहीं सरयू की ओर जाते अनेक मार्ग भी स्नानार्थियों से पटे दिखे। ओस भरी सुबह की गलन में लोग सिकुड़े तो थे पर मकर संक्रांति पर पुण्य लाभ कमाने का संकल्प भारी पड़ा। युवा ही नहीं बच्चे और बुजुर्ग भी सरयू में डुबकी लगाने का साहस दिखाने में पीछे नहीं रहे। महिलाएं भी कम नहीं रहीं।

रा्र्रीय राजमार्ग से उतरकर कोई सौ-दो सौ मीटर के फासले पर स्थित सरयू तट तक पहुंचना प्रकृति, परंपरा एवं पुरातनता की गोद जैसा रहा। माघ के महीने में पक्के घाट को छोड़कर अपने दायरे में सिमटी पुण्य सलिला किनारे की मिट्टी और बालू के साथ अपनी शाश्वत उपस्थिति का एहसास करा रही थी। सरयू में डुबकी लगाने के लिए प्राय: आ पहुंचने वाले चिकित्सक जगदीशप्रसाद जायसवाल याद दिलाते हैं कि यह वही सरयू है, जिसमें भगवान राम ने जल समाधि ली थी और जिसे युगों पूर्व गुरु वशिष्ठ मानसरोवर से अयोध्या लेकर आए। डुबकी लगाने वालों की हलचल, कंपकंपाहट के बीच पारंपरिक मंत्रों-प्रार्थनाओं का वाचन, पूजन कराते पंडे और गाय की पूंछ पकड़कर भव सागर से पार उतरने का ताना-बाना बुनते श्रद्धालु और भिक्षुओं को दान में मिल रहे चावल, तिल, उर्दू आदि की ढेर पौराणिकता का ङ्क्षबब प्रगाढ़ करने वाली रही। 

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