Sunday, January 18, 2015

राष्ट्र व धर्म रक्षा को एकजुटता जरूरी: शंकराचार्य निश्चलानंद

सनातन धर्म त्याग व तपस्या की आहुतियों से सिंचित है। इसमें संपूर्ण विश्व के कल्याण की बात कही गई है। इसके पीछे ऋषि-मुनियों की त्याग व तपस्या की शक्ति है। यही कारण है कि वर्षो से अनेक कुचक्र एवं हमलों को सहन करने के बावजूद हमारा धर्म कमजोर नहीं हुआ। 

राष्ट्र आज आंतरिक व बाह्य आक्रमण को झेल रहा है। ऐसे में सनातन धर्म व राष्ट्र पर आगे कोई खतरा न आए, इसके लिए एकजुट होकर सन्मार्ग पर चलना होगा। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने उक्त विचार व्यक्त किया। शंकराचार्य शुक्रवार को प्रयाग पहुंच गए। उन्होंने कहा कि गंगा की रक्षा के लिए हर प्राणी को यथासंभव प्रयास चाहिए।

 हम गंगा रक्षा की बात करेंगे, परंतु स्वयं उसमें कूड़ा डालेंगे तो वह कैसे पवित्र होंगी। हर व्यक्ति को अपने स्तर पर गंगा की निर्मलता में योगदान देने की भावना अपने अंदर जागृत करनी होगी। स्वामी रामकैलाश जी के अनुसार शंकराचार्य 25 जनवरी तक माघ मेला स्थित अपने शिविर में रहेंगे। शंकराचार्य का माघ मेला आगमन पर स्वागत किया गया। इस अवसर पर आचार्य रामशंकर, आचार्य विवेक, अवनीश त्रिपाठी, बृजेश आदि मौजूद थे।

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