संगम तट पर आस्था की धारा बह रही है। रेती पर बसे छोटे, मझोले व बड़े
तंबुओं और पंडालों में कीर्तन, प्रवचन, भजन तथा धार्मिक आयोजन संपन्न हो
रहे हैं। संपूर्ण वातावरण में श्रद्धा, भक्ति तथा कल्याणकारी भाव का प्रवाह
हो रहा है। मेला क्षेत्र में प्रवेश करते ही लाउडस्पीकरों से प्रसारित हो
रहे भक्ति गीतों की मिश्री कानों में घुलने लगती है।
मेला क्षेत्र में संतों के पंडालों से भी 'सरस्वतीÓ बह रही है जहां
कल्पवास को आए तमाम श्रद्धालु संतों की वाणी का आत्मसात कर रहे हैं। प्रवचन
के माध्यम से संत-महात्मा भक्तों को धर्म व सेवा भाव का पाठ पढ़ा रहे हैं।
ऐसा ही दृश्य गंगा पार झूंसी के तरफ लगे नारायणी आश्रम में भी दिखा।
हरिद्वार से आए संत निरंजन जी मंगलवार को भक्तों से भर बड़े पांडाल में
श्रीराम की कथा सुना रहे थे। भजन सुनाते स्वयं भी झूम रहे थे और
श्रद्धालुओं को भी झुमा रहे थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के विशाल
पांडाल में गोधूली बेला में तमाम श्रद्धालु भक्ति और ज्ञान शिक्षा का रसपान
कर रहे थे।
प्रवचन चल रहा था। प्रवचन के दौरान ही उन्होंने एक से बढ़कर एक मधुर भजन
सुनाए जिस पर उपस्थित जन झूमने को मजबूर हो गए। 'मन भज ले हरि का प्यारा
नाम है..Ó भजन पर तो महिलाएं नाचने भी लगी थीं।
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