समाजवादी पार्टी के
प्रमुख मुलायम सिंह यादव को नरेंद्र मोदी का यह कहना कि 'गुजरात बनाने का
मतलब नेताजी 24 घंटे बिजली' शायद ज़्यादा चोट कर गया.
लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शायद जोश में भूल गए कि सूबे में बिजली की स्थिति काफ़ी बुरी है. हालात ऐसे हैं कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक गाँव चिबोखेरा में बिजली मई 2013 में पहुंची, यानी आज़ादी के 64 साल बाद.
यह तो कहानी है लखनऊ के निकट के एक गाँव की, जबकि केंद्रीय विद्युत् प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अभी 10,856 ऐसे गांव हैं जहां बिजली पहुंची ही नहीं है.
एक साल के भीतर इन सभी गांवों में बिजली पहुंच पाएगी, यह नामुमकिन सा लगता है. लेकिन जिन उपभोक्ताओं को फ़िलहाल बिजली मिल रही है, क्या उन्हें भी 24 घंटे बिजली मुहैया कराने की कोशिश सफल हो पाएगी?
बिजली की बदहाली
-केंद्रीय विद्युत् प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अभी 10,856 ऐसे गांव हैं जहां बिजली पहुंची ही नहीं है.
राज्य में अगस्त 2013 में 9660 लाख यूनिट बिजली की कमी रही.
प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन संयंत्र अपनी क्षमता से लगभग 40 प्रतिशत कम बिजली पैदा करते हैं.
सभी संयंत्रों की एक-दो इकाइयां तकनीकी कारणों से या कोयला अथवा गैस न मिल पाने के चलते हफ़्तों बंद रहती हैं.
बिजली की भूख
प्राधिकरण ने 2013 की अपनी एक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को बिजली का सबसे भूखा प्रदेश क़रार दिया था. उस रिपोर्ट के मुताबिक़ अगस्त 2013 में उत्तर प्रदेश को कुल 82450 लाख यूनिट बिजली की आवश्यकता थी और उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड केवल 72790 लाख यूनिट बिजली सप्लाई कर पाया. यानी 9660 लाख यूनिट बिजली की कमी रही.
दूसरे राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में बिजली की कमी सबसे अधिक है. प्राधिकरण के अनुसार जिस दौरान उत्तर प्रदेश में 9660 लाख यूनिट बिजली की कमी थी, उसी दौरान दिल्ली में 40 लाख यूनिट बिजली की कमी रही जबकि उत्तराखंड में 290 लाख यूनिट और हरियाणा में 540 लाख यूनिट की कमी थी.
उत्तर प्रदेश में गर्मी और उमस भरे मौसम में बिजली की मांग 12,000 मेगावाट या उससे ऊपर पहुँच जाती है. इस मांग को प्रदेश के सभी ऊर्जा उत्पादन केंद्र पूरा नहीं कर पाते हैं. बाहर से ख़रीदने के बाद भी उतनी बिजली नहीं मिल पाती है कि मांग पूरी की जा सके.
उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक कामरान रिज़वी को पूरी उम्मीद है कि 2014 के अंत तक 1000 मेगावाट की क्षमता वाले आनपारा-डी प्लांट के शुरू हो जाने के बाद यह कमी पूरी की जा सकेगी.
लेकिन शायद इस इकाई के शुरू होने के बावजूद राज्य में बिजली की आपूर्ति 'पीक सीज़न' में होने वाली मांग से कम पड़ सकती है.
कम उत्पादन
इसका मुख्य कारण क्षमता से कम उत्पादन है. उत्तर प्रदेश एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन के सूत्रों के अनुसार प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन संयंत्र अपनी क्षमता से लगभग 40 प्रतिशत कम बिजली पैदा करते हैं.
इसके अलावा लगभग सभी संयंत्रों की एक-दो इकाइयां तकनीकी कारणों से या कोयले अथवा गैस न मिल पाने के चलते हफ़्तों बंद रहती हैं.
ऐसी स्थिति में मुलायम सिंह यादव को अपना वादा पूरा कर पाने में मुश्किलें आ सकती हैं. हाँ यह ज़रूर है कि तब तक लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुके होंगे.
मौजूदा स्थिति
चूंकि मुलायम और नरेंद्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिहाज़ से बात कर रहे थे इसलिए ज़रूरी है कि उस क्षेत्र में बिजली सप्लाई की मौजूदा स्थिति पर एक नज़र डाली जाए.
पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में सर्दियों के दौरान भी बिजली की कटौती जारी है, जबकि इन दिनों मांग कम रहती है.
26 जनवरी से 26 फ़रवरी तक बिजली सप्लाई/कटौती का ब्यौरा:
(1) ग्रामीण एवं तहसील:
बिजली की आपूर्ति 14 घंटे
कटौती का समय दोपहर तीन बजे से रात्रि नौ बजे और रात्रि 11 बजे से सुबह 7 बजे तक
जिले गोरखपुर, बलिया, ग़ाज़ीपुर, महाराजगंज, बस्ती, देवरिया, जौनपुर, मिर्ज़ापुर, वाराणसी, सोनभद्र, कुशीनगर, मऊ,
सिद्धार्थनगर, चंदौली, संत कबीरनगर, भदोही, आज़मगढ़.
(2) शहरी इलाक़े:
21 घंटे सप्लाई इलाहाबाद
20 घंटे सप्लाई वाराणसी
17 घंटे सप्लाई आज़मगढ़, बस्ती, गोरखपुर और मिर्ज़ापुर
15 घंटे सप्लाई देवरिया, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, ख़लीलाबाद, रामनगर, गोपीगंज, चंदौली, भदोही, मऊ, जौनपुर, बलिया, ग़ाज़ीपुर, विंध्याचल, मुबारकपुर, फ़तेहपुर और प्रतापगढ़
लेकिन उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक ए पी मिश्रा को पूरा भरोसा है कि दिसंबर 2014 से राज्य में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति शुरू हो जाएगी. उन्होंने बीबीसी को बताया, "हम कटिबद्ध हैं. हमारा रोड मैप तैयार है. आनपारा-डी के अलावा भी कुछ संयंत्र हैं जहां उत्पादन शुरू हो जाएगा."
Source: Hindi News
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