झारखंड में साल 2012
में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की कथित खरीद–फरोख्त मामले में
अभियुक्त झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सोरेन ने सीबीआई के विशेष
न्यायाधीश आरके चौधरी की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है.
सीबीआई कोर्ट के वरिष्ठ लोक अभियोजक एसके यादव ने बताया है कि अभियुक्त के आत्मसमर्पण के बाद अदालत ने उन्हें एक मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है.
अदालत के इस आदेश के बाद उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा ले जाया गया है.
हाईकोर्ट का आदेश
सीता सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की पुत्रवधू हैं.
साल 2009 में दुमका जिले के जामा विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता था.
20 फरवरी को हाईकोर्ट ने झामुमो विधायक की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए सीता सोरेन को एक हफ्ते में आत्मसमर्पण करने को कहा था.
हाईकोर्ट से निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने के निर्देश के आलोक में सोमवार से ही कयास लगाए जा रहे थे कि सीता सोरेन कभी भी आत्मसमर्पण कर सकती हैं.
"कोर्ट को जानकारी दी गई है कि सीता सोरेन अस्वस्थ हैं. उन्हें थॉयराइड है. लिहाजा उनका विशेष तौर पर ख्याल रखा जाना चाहिए."
उससे पहले 19 फरवरी को विधायक के सरकारी आवास की संपत्ति कुर्क की गई थी.
छह अभियुक्त
सुबह करीब 11 बजे सीता सोरेन अपने वकील विश्वजीत मुखर्जी के साथ विशेष अदालत पहुंची.
वकील विश्वजीत मुखर्जी ने बीबीसी को बताया कि कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई है कि विधायक अस्वस्थ हैं. उन्हें थॉयराइड है. लिहाजा उनका विशेष तौर पर ख्याल रखा जाना चाहिए.
मुखर्जी ने बताया कि अदालत ने इस मामले में जेल से उचित कदम उठाने को कहा है.
विधायकों की खरीद- फरोख्त के इस मामले में सीता सोरेन समेत कुल छह अभियुक्त हैं.
इन छह अभियुक्तों में सीता सोरेन के पिता बीएन मांझी, निजी सचिव राजेंद्र मंडल के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल, पवन धूत और एक अन्य व्यक्ति सुनील माहेश्वरी शामिल हैं.
आरके अग्रवाल जेल में हैं जबकि पवन धूत और सुनील माहेश्वरी जमानत पर हैं.
गौरतलब है कि पांच अप्रैल 2012 को हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे.
Source: Local News
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