Tuesday, February 4, 2014

Central Opposes Mercy For Rajiv Assassins

राजीव गाँधी की हत्या के दोषियों ने इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है कि राष्ट्रपति के पास लंबित उनकी दया याचिका पर 11 साल से कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है, इसलिए उनकी मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया जाए.

केंद्र सरकार ने इस याचिका का ये कहते हुए विरोध किया है कि दया याचिका लंबित रहने के दौरान इन दोषियों को किसी तरह की प्रताड़ना या अमानवीय बर्ताव का सामना नहीं करना पड़ा

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका मुरुगन, सांथन और पेरारिवलन ने दायर की है. इन लोगों ने अपनी दया याचिकाओं पर फ़ैसला न होने को संविधान की धारा-21 के तहत मिले जीने के अधिकार का उल्लंघन बताया है.

स्पष्टीकरण
अटॉर्नी जनरल जी वाहनवती ने कहा कि 11 साल की देरी के दौरान एनडीए की सरकार ने चार साल तक इस मसले में कोई फ़ैसला नहीं किया और फ़ाइल राष्ट्रपति को नहीं भेजी.

केंद्र ने कहा कि यूपीए सरकार ने दया याचिका राष्ट्रपति को 2005 में भेजी थी मगर नए गृह मंत्री ने 2011 में फ़ाइल वापस ले ली. कुछ ही समय में गृह मंत्री ने नई सिफ़ारिशें राष्ट्रपति को भेज दीं.

राजीव गांधी की हत्या के आरोप में फांसी की सज़ा पाने वालों ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 21 जनवरी के उस फैसले के बाद दायर की जिसमें सर्वोच्च अदालत ने दया याचिकाओं पर फैसला लेने में देरी के आधार पर 15 दोषियों की मौत की सज़ा को उम्र क़ैद में बदलने का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से चंदन तस्कर वीरप्पन के चार साथियों को राहत मिली थी. अदालत का कहना था कि याचिकाओं के निपटारे में हुई लंबी देरी उन्हें राहत दिए जाने का पर्याप्त आधार है.

Source: Hindi News

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