Wednesday, February 12, 2014

Narendra Modi Chai Pe Charcha

पश्चिमी अहमदाबाद में कड़ी सुरक्षा के बीच एक पॉश क्लब के सामने इस्कॉन टी स्टॉल से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी बहुप्रचारित 'चाय पे चर्चा' मुहिम शुरू की.
इस कार्यक्रम का उपग्रह, डीटीएच, मोबाइल और इंटरनेट तकनीकों के ज़रिए सीधा प्रसारण किया गया.

वर्ष 2007 में मोदी मास्क, 2012 में थ्रीडी तकनीक के बाद अब मोदी ने अपनी चुनावी मुहिम में 'चाय पे चर्चा' को शामिल किया है, जिससे वह अपनी लोकप्रियता में और उबाल लाना चाहते हैं.

बनारस से त्रिवेंद्रम और पटना से उदयपुर तक तक लगभग तीन सौ शहरों में एक हज़ार चाय स्टॉल्स पर लोग  मोदी को देखने के लिए जमा हुए. मोदी ने 30 जगहों पर मौजूद लोगों से बात की.

लेकिन इस दौरान तकनीकी अड़चनें और लोगों की कम संख्या इस मुहिम के आड़े आई. हालांकि मोदी का खेमा इस मुहिम को आने वाले चुनाव के मद्देनज़र 'गेम चेंजर' के तौर पर देख रहा है.

वैसे इसे मोदी का मुकद्दर कहें या फिर सब कुछ पहले से ही तय एजेंडा, मोदी को इस दौरान किसी मुश्किल सवाल का सामना नहीं करना पड़ा.

लगता है कि अहमदाबाद में मुसलमान समुदाय को इस 'चाय पे चर्चा' के लिए निमंत्रण नहीं दिया गया क्योंकि वहाँ मुसलमान लगभग नहीं दिखे.

सियासत की चाय

नरेंद्र मोदी हमेशा इस बात का प्रचार करना नहीं भूलते हैं कि वह बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और उनका दावा है कि उन्होंने कभी रेलवे प्लेटफॉर्म पर चाय भी बेची थी.

लेकिन जब उनके विरोधी 'चायवाला' कहकर उन पर ताने कसने लगे तो उन्होंने 'चाय पे चर्चा' नाम की इस मुहिम को शुरू करने की सोची.

बुधवार को अहमदाबाद में हुए कार्यक्रम का आयोजन एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटिज़न फ़ॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस’ ने किया और इसे देश भर के 300 शहरों में एक हज़ार टी स्टॉल्स तक रिले किया गया.

इन स्टॉल्स पर एक बड़ी टीवी स्क्रीन और प्रोजेक्टर लगे थे जिन्हें अहमदाबाद केंद्र से जोड़ा गया था. उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 172 स्टॉल्स अहमदाबाद केंद्र से जुड़े थे, जिसके बाद कर्नाटक और बिहार का नंबर आता है.

गुजरात के 69 स्टॉल्स इस आयोजन से जुड़े थे लेकिन उनमें एक भी ऐसा नहीं था जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील, मुस्लिम या दंगा प्रभावित इलाके में हो.

अहमदाबाद के कुल सात स्टॉल्स इस आयोजन का हिस्सा थे और ये सभी हिंदू बहुल इलाक़ों में थे. जब पूछा गया कि स्टॉल्स की जगहों को किसने चुना था, तो इस पर कुछ भी कहने से भाजपा नेताओं ने इनकार कर दिया.

अहमदाबाद में बैठक कर मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए देशभर के स्टॉल्स पर मौजूद लोगों के सवालों के जवाब दिए.

हालांकि सभी सवाल ऐसे थे जिनके जवाब देने में मोदी को किसी तरह की असहजता नहीं होती.

तीस जगहों से लोगों ने ग्रीन एनर्जी, शिक्षा, खाद्य उपलब्धता और कई अन्य मुद्दों पर मोदी से सवाल किए. 90 मिनट तक चले इस कार्यक्रम में मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की और टैक्स व्यवस्था से लेकर भारतीय राजनीतिक तक कई मुद्दों पर अपने विचार रखे.

प्रचार के नए नए तरीक़े

नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार के नए-नए तरीकों के लिए जाना जाता है. उनकी टीम में शामिल बहुत से लोगों का मानना है कि ये नए-नए तरीकों और आधुनिक तकनीक का ही कमाल है कि आज मोदी देश भर में ‘हीरो’ बन गए हैं.

गुजरात में 2007 के विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद स्थित एक कंपनी मूविंग पिक्सल ने मोदी मास्क डिजाइन किए थे, इसके जरिए वह उन गांव-कस्बों में भी पहुंच गए जहां जाना उनके लिए पहुंचना संभव नहीं हो पाया.

इसके पांच साल बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में मोदी ने चुनाव प्रचार में थ्रीडी तकनीक का इस्तेमाल किया. गुजरात के विभिन्न जिलों में अलग-अलग जगहों पर लोग जमा हुए जहां उन्हें मोदी के थ्रीडी अवतार की झलक मिली.

यहां तक कि मोदी ने अपना ख़ुद का इंटरनेट टीवी भी लॉन्च किया जिसे चुनाव आयोग की आपत्ति के बाद आख़िरकार बंद कर दिया गया.

अब आम चुनाव को देखते हुए उन्होंने 'चाय पे चर्चा' कार्यक्रम शुरू किया ताकि अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें. मोदी के जिन राजनीतिक विरोधियों की इस कार्यक्रम पर ख़ास तौर से नज़र रहेगी उनमें कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर भी शामिल हैं.

बहुत से लोगों का मानना है कि अय्यर के कारण ही इस मुहिम की ज़मीन तैयार हुई.

दरअसल उन्होंने दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में पिछले महीने कहा था, “मेरा आपसे वादा है कि 21वीं सदी में नरेंद्र मोदी कभी इस देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं.. लेकिन अगर वह यहां आकर चाय बांटना चाहते हैं तो हम उनके लिए कोई जगह तलाश कर देंगे.”

Source: Online Hindi Newspaper

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