चीन में गिरावट का भय:
चीन के बाजारों में तेज गिरावट का आने की वजह से कल विश्वव्यापी असर देखने को मिला हे। जिसमें कल भारतीय और अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट का तूफान आ गया। चीन में भारी मंदी की आशंका पिछले सप्ताह ही हो गई थी। जिसमें यह साफ हो गया था कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस समय काफी संघर्ष कर रही है। शंघाई शेयर बाजार वैश्विक बाजारों में इस साल करीब 30 फीसदी से ज्यादा गिर गया है। इनके साथ ही ब्राजील, रूस और जापान जैसी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भी इन दिनों संघर्ष से जूझ रही हैं। हालांकि इनमें चीन थोड़ संभल गया है क्योंकि चीन का आयात निर्यात का लिंक काफी ज्यादा है। चीन अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और यहां तक कि भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
मुद्रा युद्ध की आशंका:
चीन के केंद्रीय बैंक ने दो सप्ताह पहले ही विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यस्था वाले देश की मुद्रा, युआन का अवमूल्यन कर दिया था। इसकी गिरावट का ऐलान कर दिया था। जिससे यह डर दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों में पैदा हो गया था। दक्षिण अफ्रीका की रैंड मलेशियाई रिंगित 17 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। जबकि तुर्की लीरा 14 साल के निचले स्तर पर संघर्ष कर रही। सबसे खास बात तो यह है कि पिछले दो हफ्तों में डॉलर के मुकाबले रुपया भी और कमजोर होकर 66.47 के स्तर पर गिर गया, जो कि 2 साल का सबसे निचला स्तर है। हालांकि भारतीय रुपया, थोड़ा बेहतर बंद कर किया गया। वहीं चीन की अर्थव्यवस्था को भीआगे लड़खड़ाने की स्िथत से जूझना पड़ सकता है। http://inextlive.jagran.com/five-caused-the-biggest-sensex-crash-in-history-201508250020
चीन के बाजारों में तेज गिरावट का आने की वजह से कल विश्वव्यापी असर देखने को मिला हे। जिसमें कल भारतीय और अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट का तूफान आ गया। चीन में भारी मंदी की आशंका पिछले सप्ताह ही हो गई थी। जिसमें यह साफ हो गया था कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस समय काफी संघर्ष कर रही है। शंघाई शेयर बाजार वैश्विक बाजारों में इस साल करीब 30 फीसदी से ज्यादा गिर गया है। इनके साथ ही ब्राजील, रूस और जापान जैसी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भी इन दिनों संघर्ष से जूझ रही हैं। हालांकि इनमें चीन थोड़ संभल गया है क्योंकि चीन का आयात निर्यात का लिंक काफी ज्यादा है। चीन अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और यहां तक कि भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
मुद्रा युद्ध की आशंका:
चीन के केंद्रीय बैंक ने दो सप्ताह पहले ही विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यस्था वाले देश की मुद्रा, युआन का अवमूल्यन कर दिया था। इसकी गिरावट का ऐलान कर दिया था। जिससे यह डर दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों में पैदा हो गया था। दक्षिण अफ्रीका की रैंड मलेशियाई रिंगित 17 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। जबकि तुर्की लीरा 14 साल के निचले स्तर पर संघर्ष कर रही। सबसे खास बात तो यह है कि पिछले दो हफ्तों में डॉलर के मुकाबले रुपया भी और कमजोर होकर 66.47 के स्तर पर गिर गया, जो कि 2 साल का सबसे निचला स्तर है। हालांकि भारतीय रुपया, थोड़ा बेहतर बंद कर किया गया। वहीं चीन की अर्थव्यवस्था को भीआगे लड़खड़ाने की स्िथत से जूझना पड़ सकता है। http://inextlive.jagran.com/five-caused-the-biggest-sensex-crash-in-history-201508250020
Source: Interesting News