बीएसएनएल यानि भारत संचार निगम लिमिटेड की योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन
रखरखाव न हो पाने के कारण उन योजनाओं का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा
है. बीएसएनएल के मोबाइल इंटरनेट पैक अपनी क्षमता के मुताबिक सेवा मुहैया
नहीं करा पा रहे हैं. कॉल ड्रॉपिंग आए दिन की समस्या हो गई है, लेकिन
अधिकारियों की सेहत पर इस बात का कोई असर नहीं है. नेटवर्क को दुरुस्त करने
के लिए दावे तो बड़े- बड़े किए जाते हैं, लेकिन वे धरातल पर दिखाई नहीं
देते हैं. इसी के चलते उपभोक्ताओं का बीएसएनएल की सेवा से मोह भंग हो रहा
है.
नहीं मिले थ्रीजी सिगनल्स
बीएसएनएल उपभोक्ता इंटरनेट पैक थ्रीजी का डला रहे हैं, उन्हें मोबाइल
पर सेवा टू जी की मुहैया हो पा रही है. आज सोशल मीडिया के दौर में हर दूसरा
युवा नेट यूजर सब्सक्राइबर है. इसमें कॉलेज गोइंग स्टूडेंट से लेकर जागरूक
किसान तक शामिल है. ग्वालियर हाईवे के रहने वाले सुनील ने एंड्रॉयड फोन
खरीदा. वह शुरू से ही बीएसएनएल यूजर रहे हैं. उन्होंने नेटसर्फिंग के लिए
थ्रीजी नेट का पैक डलवाया. उसे आशा थी कि वह स्पीड के साथ इंटरनेट का
इस्तेमाल कर सकेगा. लेकिन, जैसे ही वह अपने घर पहुंचा, तो देखा कि
व्हाट्सएप पर प्राप्त हुई एक इमेज को डाउनलोड करने के लिए उसे घंटों का समय
लग गया. पहले उसने सोचा कि शायद फोन में कोई कमी हो, लेकिन सिगनल देखने पर
पता लगा कि नेटवर्क सेवा थ्रीजी के बजाय टूजी बमुश्किल से मिल पा रही थी.
Source: Agra News
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