अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में मंदी ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए भले ही
चिंता की बात हो, लेकिन क्रूड और खाद्य तेल जैसी जिंसों की कीमतों में
गिरावट फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मुफीद है। जिंसों की कीमतों में
कमी आने से उपभोक्ताओं, उद्योगों और सरकार सभी को लाभ होगा। कच्चे तेल
(क्रूड) की कीमतें साढ़े छह साल के निम्नतम स्तर पर आ गई हैं। भारतीय
बास्केट के कच्चे तेल के दाम 21 अगस्त को समाप्त पखवाड़े में 45.21 डॉलर
प्रति बैरल पर आ गए। जबकि सोमवार को ब्रेंट क्रूड छह फीसद गिरकर 43 डॉलर
प्रति बैरल से नीचे आ गया। इसी तरह अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड के दाम 39 डॉलर
प्रति बैरल से नीचे पहुंच गए हैं। क्रूड कीमत घटने से देश का निर्यात बिल
कम होगा। इससे सरकार को चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिलेगी। वहीं
घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम भी घटेंगे, जिसका फायदा आम लोगों
को होगा। साथ ही खुदरा महंगाई भी कम होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे
भारत को एक लाख करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है। भारत में मौजूदा खपत स्तर
के हिसाब से कच्चे तेल की कीमत में प्रति एक डॉलर की गिरावट से देश पर आयात
का भार 6,700 करोड़ रुपये कम हो सकता है। साथ ही सब्सिडी बोझ में भी 600
करोड़ रुपये की कटौती संभव है।
सस्ता खाद्य तेल भी पहुंचायेगा फायदा
घरेलू और ग्लोबल बाजार में मांग कमजोर रहने के कारण खाद्य तेल के दाम में भी गिरावट आई। राजधानी में पामोलिन ऑयल 50 रुपये घटकर 5,250 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। भारत अपनी मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेल आयात करता है। इसलिए इससे आयातित खाद्य तेल सस्ता हो जाएगा। इससे महंगाई भी कम होगी। http://inextlive.jagran.com/commodity-markets-suitable-for-india-in-this-slump-201508250005
सस्ता खाद्य तेल भी पहुंचायेगा फायदा
घरेलू और ग्लोबल बाजार में मांग कमजोर रहने के कारण खाद्य तेल के दाम में भी गिरावट आई। राजधानी में पामोलिन ऑयल 50 रुपये घटकर 5,250 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। भारत अपनी मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेल आयात करता है। इसलिए इससे आयातित खाद्य तेल सस्ता हो जाएगा। इससे महंगाई भी कम होगी। http://inextlive.jagran.com/commodity-markets-suitable-for-india-in-this-slump-201508250005
Source: Business News
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