शास्त्रीय संगीत के जाने-माने नामों में पद्मविभूषण पंडित राजन मिश्र
एवं पद्मविभूषण साजन मिश्र की अपनी अलग पहचान हैं. दन दिनों ये दोनों स्पिक
मैके की ओर से पटना के अलग-अलग एजुकेशन इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स को
शास्त्रीय संगीत से रू-ब-रू करा रहे हैं. आई-नेक्स्ट से बात करते हुए राजन व
साजन मिश्र ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा-दीक्षा, इसके प्रचार-प्रसार, और
तनाव दूर करने में शास्त्रीय संगीत के रोल आदि पर अपने विचार रखे.
राजन मिश्रा:
अब पश्चिमी देशों में भी लोग शास्त्री संगीत सुनना काफी पसंद कर रहे हैं. इसके बाद भी इसका प्रसार नहीं हो पा रहा आखिर क्यों?
आज के समय में रॉक-पॉप के मैडोना हों या कोई और कलाकार विदेशों में
परफॉमेंस पर मीडिया में अच्छी जगह मिलती है. हिंदुस्तानी वोकल म्यूजिक का
विदेशों में ही नहीं भारत में ख्भ् हजार से ज्यादा दर्शक टिकट खरीद कर
देखते हैं, लेकिन इनको वैसा स्थान नहीं मिल पाता है जैसा की विदेशों में
मिलता है. पॉप और रॉक वालों के पास तगड़ी पीआर एजेंसी होती है. हालांकि
भारत के पारंपरिक संगीत के कलाकार स्वाभिमानी होते हैं. वे इन सब पर ध्यान
नहीं देते हैं.
भारत में शास्त्रीय संगीत के एजुकेशन की स्थिति है?
हमारे समय में सातवीं तक संगीत की शिक्षा अनिवार्य थी. आज इस पर सरकार
का कोई ध्यान नहीं है. स्टूडेंट्स की प्रतिभा का आकलन परसेंट पर होता है,
जबकि कम परसेंट वाले स्टूडेंट्स में भी अच्छी प्रतिभा है. संगीत की शिक्षा
पाकर लोग लंबे समय तक म्यूजिक इंडस्ट्री में टिक रहे हैं. सोनू निगम,
श्रेया आदि कलाकार एजुकेशन पाकर आए हैं. इसी कारण इंडस्ट्री में टिके हुए
हैं. वैसे, कई कलाकर तो ऐसे भी हैं जो एक एल्बम में दिखते हैं फिर कहां
गायब हो जाते पता भी नहीं चलता. See more - http://inextlive.jagran.com/pandit-rajan-mishra-and-sajan-mishra-are-in-patna-88087
Source: Patna News
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