राजधानी में पानी का स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है. जलस्तर गिरने के
साथ ही आने वाले समय में लोगों पानी की भीषण किल्लत का सामना करना पड़ता
है. इस जानकारी के बाद भी लोग पानी की बर्बादी धड़ल्ले से कर रहे हैं.
हालांकि अगर पानी के संचयन या रिसाइकिंल की व्यवस्था की जाए तो कहीं हद तक
बिगड़ी हुई स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है.
पानी का ये कैसा दुष्प्रयोग
सिटी में कार वॉश और टू व्हीलर की वॉशिंग की करीब एक हजार दुकानें है.
जिसमें से 80 प्रतिशत अवैध रुप से बोरिंग कर चलाई जा रही है. वॉशिंग के नाम
पर हर रोज लाखों लीटर पानी वेस्ट किया जा रहा है. वॉशिंग पिट में न तो
रिसाइक्लिंग की व्यवस्था है और न ही वहां पानी को संचयन किया जाता है.
प्रतिदिन 200 लीटर पानी प्रति व्यक्ति
लखनऊ सिटी की जनसंख्या लगभग पैंतालिस लाख है. जहां हर रोज प्रति
व्यक्ति पानी की खपत का मानक 200 लीटर है. हर वर्ष ग्राउंड वाटर लेवल घट
रहा है. 2011 में हुए एलयू के भूगर्भ विज्ञान डिपार्टमेंट के एक सर्वे के
अनुसार तीस लाख जनसंख्या वाले लखनऊ शहर में 60 हजार मिलियन लीटर पानी की
जरूरत प्रतिदिन होती है. See more - http://inextlive.jagran.com/dont-waste-water-88507
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