रांची यूनिवर्सिटी में पीएचडी करना स्कॉलर्स के लिए आसान नहीं है.
रिसर्च के लिए रजिस्ट्रेशन कराने से पीएचडी की उपाधि लेने तक की प्रक्रिया
ऐसी है कि स्कॉलर्स के पसीने छूट जाते हैं. चढ़ावा दिए बगैर रिसर्च से
संबंधित फाइल आगे नहीं बढ़ती है. गाइड के आगे-पीछे चक्कर लगाना पड़ता है.
पीएचडी सेमिनार व वाइवा में नाश्ता-पानी का इंतजाम करना पड़ता है. जो इनमें
माहिर होता है, उसके रिसर्च की राह थोड़ी आसान हो जाती है, वर्ना यहां
पीएचडी करना टेढ़ी खीर है.
फाइल मूवमेंट में लेट-लतीफी
पीएचडी करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. यूनिवर्सिटी में
स्कॉलर्स की रजिस्ट्रेशन से संबंधित फाइल कई टेबुलों से गुजरती है. इसमें
महीनों लग जाते हैं. लेकिन, अगर आपकी पहुंच यूनिवर्सिटी ऑफिशियल्स तक हो तो
यह काम एक सप्ताह में हो जाता है. इतना ही नहीं, यूनिवर्सिटी का बार-बार
चक्कर भी लगाना नहीं पड़ेगा. एक स्कॉलर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया
कि टॉपिक के रजिस्ट्रेशन के लिए महीनों तक यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाया.
रिसर्च पूरा होने के बाद भी थीसिस सब्मिट करने व डिग्री के लिए बार-बार आना
पड़ा. आप रिसर्च करने के प्रति जितने गंभीर रहेंगे, उतना ही इसके अप्रूवल
के लिए भी कांशस रहना होगा, नहीं तो आपकी रिसर्च वर्क से संबंधित फाइल
यूनिवर्सिटी के किसी टेबुल पर धुल फांकती रहेगी. See more - http://inextlive.jagran.com/ph-d-is-tufftask-for-schloars-in-ranchi-university-88135
Source: Ranchi News
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