Kanpur : दिन पर दिन पेट्रोल की बढ़ती कीमतें और देश में हैवी ट्रैफिक जाम में खड़े-खड़े ही फुंकने वाले लाखों रुपये कीमत के फ्यूल ने पब्लिक और गवर्नमेंट दोनों को ही इसके प्रति गंभीर कर दिया है. ये समस्या वाकई में इतनी बड़ी है कि देश की नन्हीं प्रतिभाएं भी इसके बेस्ट और इकोनॉमिक अल्टरनेटिव की खोज करने में जुट गई हैं. अपनी इसी खोज पर लगे हुए शहर की तंग गलियों में रहने वाले एक लिटिल मास्टर ने एक ऐसी कार का मॉडल तैयार कर लिया है जो फ्यूल से नहीं बल्कि पानी से चलती है. इस कार के बारे में और जानने के लिए पढि़ए आई नेक्स्ट की ये स्पेशल रिपोर्ट..
रोड पर दिखेंगी पानी से चलती कार
सिटी के पटकापुर की तंग गलियों में रहने वाले 8 वीं क्लास के स्टूडेंट ने एक ऐसी कार का मॉडल तैयार किया है जो पानी से चल रही है. यही नहीं उसने इस मॉडल से भविष्य में बड़ी कारें चलाने की भी डिजाइन तैयार की है. शिखर इस कार के मॉडल पर रिसर्च कर रहे हैं.
चार माह में तैयार किया मॉडल
कॉलेजेज में लैब टूल्स सप्लाई करने वाले पटकापुर निवासी नवीन श्रीवास्तव के पंद्रह वर्षीय पुत्र शिखर श्रीवास्तव ने ये कार बनाई है. मेथाडिस्ट में क्लास 8 का स्टूडेंट शिखर को बचपन से ही एक्सपेरीमेंट करने का शौक रहा है. शिखर ने चार महीने की मेहनत के बाद इस कार को तैयार किया है. वैसे पानी से कार चलाने की ये योजना शिखर ने एक साल पहले बनाई थी. अपने स्कूल टीचर की मदद लेकर वो पिछले चार महीनों से इस कार को तैयार करने में जुटा रहा.
ऐसे चलती है कार..
शिखर बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक खास अलॉय बनाया है. जो दो स्टॉपर के जरिए पानी की दो मोटी परखनलियों से अटैच किया जाता है. जब अलॉय को सेल से या सोलर बैटरी से इलेक्ट्रिक दी जाती है तो वह अलॉय पानी से ऑक्सीजन व हाईड्रोजन के अणुओं को तोड़ने लगता है. ये अणु टूट कर अलॉय की दो अलग-अलग प्लेटिनम प्लेट में आते हैं. जिससे करंट डेवलप होने लगता है.
तो ये है पानी वाली कार का मॉडल
इसमें एक खास अलॉय रहता है. जो पानी से करंट डेवलप करता है. इससे करंट निकलने के बाद डाइनोमोमीटर के पास जाता है. जो सेंसर चिप की मदद से पहिए को मूव कराता है. डाइनोमोमीटर में 9 वोल्ट की मोटर, फ् वोल्ट की ख् एलईडी और एक वोल्ट की एक सेंसर चिप लगाई गई है. अलॉय के आगे दो वाटर टैंक लगे होते हैं. अलॉय में से दो स्टापर निकलते हैं. जो इन परखनलियों में जाते हैं. स्टापर कांच के बने होते हैं. पीछे रबड़ के दो पाइप होते हैं.
फ्0 मिनट में चलता है म् मिनट
ये अलॉय फ्0 मिनट चार्ज होने के बाद म् मिनट तक करंट सप्लाई करती है. इस कार मॉडल की स्पीड 7.भ् सेंटीमीटर प्रति सेकेंड है. सोलर लाइट से इस कार को लंबे समय तक चलाया जा सकता है.
वेस्टेज में निकलेगी सिर्फ भाप
इस कार से वेस्टेज के रूप में सिर्फ भाप निकलेगी. पेट्रोल की तरह धुंआ, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी गैसें नहीं निकलेंगी. यदि भविष्य में ये मॉडल सक्सेस हो जाता है तो पर्यावरण के लिए बहुत मुफीद रहेगा.
फ्यूल के दामों से मिलेगी निजात
शिखर के पिता नवीन ने बताया कि इस पानी वाली कार के मॉडल के डेवलप होने के बाद फ्यूल की प्राब्लम से सभी को निजात मिल जाएगी. आज के दौर में दिन-प्रतिदिन फ्यूल के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं. कार चलाना बड़ा महंगा साबित हो रहा है. मीडियम क्लास तो कार चलाने से पहले कई बार सोचता है.
पेरेंट्स का मोटीवेशन जरूरी है..
शिखर की मां नीरा श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें अपने बेटे के टैलेंट पर पूरा भरोसा है. ये छोटा सा मॉडल तो उसने घर पर ही सीमित संसाधनों से बनाया है. अगर उसे फाइनेंशियल मदद मिले तो वो इस छोटे से मॉडल को एक बड़ी कार में भी बदल सकता है.
रोड पर दिखेंगी पानी से चलती कार
सिटी के पटकापुर की तंग गलियों में रहने वाले 8 वीं क्लास के स्टूडेंट ने एक ऐसी कार का मॉडल तैयार किया है जो पानी से चल रही है. यही नहीं उसने इस मॉडल से भविष्य में बड़ी कारें चलाने की भी डिजाइन तैयार की है. शिखर इस कार के मॉडल पर रिसर्च कर रहे हैं.
चार माह में तैयार किया मॉडल
कॉलेजेज में लैब टूल्स सप्लाई करने वाले पटकापुर निवासी नवीन श्रीवास्तव के पंद्रह वर्षीय पुत्र शिखर श्रीवास्तव ने ये कार बनाई है. मेथाडिस्ट में क्लास 8 का स्टूडेंट शिखर को बचपन से ही एक्सपेरीमेंट करने का शौक रहा है. शिखर ने चार महीने की मेहनत के बाद इस कार को तैयार किया है. वैसे पानी से कार चलाने की ये योजना शिखर ने एक साल पहले बनाई थी. अपने स्कूल टीचर की मदद लेकर वो पिछले चार महीनों से इस कार को तैयार करने में जुटा रहा.
ऐसे चलती है कार..
शिखर बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक खास अलॉय बनाया है. जो दो स्टॉपर के जरिए पानी की दो मोटी परखनलियों से अटैच किया जाता है. जब अलॉय को सेल से या सोलर बैटरी से इलेक्ट्रिक दी जाती है तो वह अलॉय पानी से ऑक्सीजन व हाईड्रोजन के अणुओं को तोड़ने लगता है. ये अणु टूट कर अलॉय की दो अलग-अलग प्लेटिनम प्लेट में आते हैं. जिससे करंट डेवलप होने लगता है.
तो ये है पानी वाली कार का मॉडल
इसमें एक खास अलॉय रहता है. जो पानी से करंट डेवलप करता है. इससे करंट निकलने के बाद डाइनोमोमीटर के पास जाता है. जो सेंसर चिप की मदद से पहिए को मूव कराता है. डाइनोमोमीटर में 9 वोल्ट की मोटर, फ् वोल्ट की ख् एलईडी और एक वोल्ट की एक सेंसर चिप लगाई गई है. अलॉय के आगे दो वाटर टैंक लगे होते हैं. अलॉय में से दो स्टापर निकलते हैं. जो इन परखनलियों में जाते हैं. स्टापर कांच के बने होते हैं. पीछे रबड़ के दो पाइप होते हैं.
फ्0 मिनट में चलता है म् मिनट
ये अलॉय फ्0 मिनट चार्ज होने के बाद म् मिनट तक करंट सप्लाई करती है. इस कार मॉडल की स्पीड 7.भ् सेंटीमीटर प्रति सेकेंड है. सोलर लाइट से इस कार को लंबे समय तक चलाया जा सकता है.
वेस्टेज में निकलेगी सिर्फ भाप
इस कार से वेस्टेज के रूप में सिर्फ भाप निकलेगी. पेट्रोल की तरह धुंआ, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी गैसें नहीं निकलेंगी. यदि भविष्य में ये मॉडल सक्सेस हो जाता है तो पर्यावरण के लिए बहुत मुफीद रहेगा.
फ्यूल के दामों से मिलेगी निजात
शिखर के पिता नवीन ने बताया कि इस पानी वाली कार के मॉडल के डेवलप होने के बाद फ्यूल की प्राब्लम से सभी को निजात मिल जाएगी. आज के दौर में दिन-प्रतिदिन फ्यूल के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं. कार चलाना बड़ा महंगा साबित हो रहा है. मीडियम क्लास तो कार चलाने से पहले कई बार सोचता है.
पेरेंट्स का मोटीवेशन जरूरी है..
शिखर की मां नीरा श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें अपने बेटे के टैलेंट पर पूरा भरोसा है. ये छोटा सा मॉडल तो उसने घर पर ही सीमित संसाधनों से बनाया है. अगर उसे फाइनेंशियल मदद मिले तो वो इस छोटे से मॉडल को एक बड़ी कार में भी बदल सकता है.
Source: Kanpur News in Hindi
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