जनवरी 2009 में एक कॉरपोरेट स्कैंडल उभरा था जिसे भारत का एनरॉन कहा गया था.
भारतीय आईटी फ़र्म सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज़ ने स्वीकार
किया कि उसने अपने खातों में जालसाज़ी की है. कुछ इसी तरह के मामले में
अमरीका की एनर्ज़ी कंपनी एनरॉन बिखर गई थी.
भारत सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक नए बोर्ड का गठन किया जो कंपनी को बेचने की कोशिश कर सके.
इसे भारतीय कंपनी महिन्द्रा समूह ने ख़रीदा लिया और इसका नाम बदलकर महिन्द्रा सत्यम हो गया. चंदर प्रकाश गुरनानी इसके मुखिया बने.
गुरनानी कहते हैं, "हम में से कुछ को यक़ीन था कि कंपनी के बहीखातों में भले ही गड़बड़ी हो लेकिन यहाँ के लोगों में कोई गड़बड़ी नहीं है."
नई चुनौती का सामना
"उस वर्ष मैं साल के 250 दिन सड़कों पर रहा. मैं हर क्लाइंट से मिला और उन्हें समझाया. पूरे साल मैंने केवल बात, बात और बात ही की, लोगों से, ग्राहकों से, सुबह से लेकर शाम तक."
-चंदर प्रकाश गुरनानी, एमडी और सीईओ, टेक महिन्द्रा
कंपनी को फिर से खड़ा करने की चुनौती से जूझ रहे गुरनानी ने इसकी शुरुआत हर किसी को यह विश्वास दिलाने से की थी कि यह कंपनी अभी भी चल सकती है.
वे कहते हैं, "उस वर्ष मैं साल के 250 दिन सड़कों पर रहा. मैं हर क्लाइंट से मिला और उन्हें समझाया. पूरे साल मैंने केवल बात, बात और बात ही की, लोगों से, ग्राहकों से, सुबह से लेकर शाम तक."
इसके साथ ही उन्हें रेगुलेटरों और वकीलों से भी निपटना होता था.
गुरनानी बताते हैं, "धोखाधड़ी की जाँच के लिए एक कमेटी बनी थी जो अपना काम कर रही थी. हमें हर किसी को जवाब देना था और साथ ही उच्च क्वालिटी भी बनाए रखनी थी और कंपनी के भविष्य के लिए निवेश भी करना था."
गुरनानी ने जब महिन्द्रा सत्यम चलानी शुरू की तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कंपनी के कर्मचारियों की छंटनी की. उन्हें कुल 53,000 कर्मचारियों में से केवल 35,000 को ही रखना था ताकि कंपनी फिर से मुनाफ़े में आ सके.
छंटनी की समस्या
सत्यम महिन्द्रा में कर्मचारियों की छंटनी भी एक बड़ी समस्या थी.
गुरनानी और कंपनी के वाइस-चेयरमैन विनीत नैय्यर इस बात को लेकर परेशान थे कि पहले से हौसला हारी हुई कंपनी में कर्मचारियों की छंटनी किस तरह की जाए.
अकादमिक संस्थान और पेशेवर लोग उन्हें सलाह दे रहे थे कि कंपनी को इन कर्मचारियों को एकमुश्त राशि देकर जितना जल्दी हो सके, जल्दी निकाल देना चाहिए. गुरनानी ने ऐसे लोगों की सलाह नहीं मानी.
वे कहते हैं, "हमने सोचा, ये कर्मचारियों की ग़लती नहीं है."
कर्मचारियों को निकालने की बजाय गुरनानी ने तय किया कि जो लोग छंटनी से प्रभावित हैं उन्हें अगले छह महीने तक कम तनख्वाह दी जाएगी और उन्हें नई नौकरी खोजने में मदद की जाएगी.
वे कहते हैं, "उन छह महीनों में हमने मनोवैज्ञानिक की सेवा ली और प्रशिक्षण विभाग खोला. रोज़गार मेला लगाया, हमने हर वो कोशिश की जिससे उन लोगों को ठिकाना मिल जाए."
अगला क़दम
"मुझे एक समीकरण में यक़ीन है जिसके अनुसार एक आदमी 10 लोगों को यक़ीन दिला सकता है."
-चंदर प्रकाश गुरनानी, एमडी और सीईओ, टेक महिन्द्रा
गुरनानी का अगला क़दम था कंपनी की सभी समस्याओं से एक साथ निपटने की बजाय उन्हें 11 भागों में बांट कर उनसे निपटना.
अपने बाक़ी बचे कर्मचारियों के बारे में वे कहते हैं, "इस तरह की विपत्ति मनुष्य को अपना सर्वश्रेष्ठ करने को प्रेरित करती है."
वे कहते हैं, "अगर मुझे किसी एक चीज़ को सलाम करना हो तो मैं अपने साथियों और सहकर्मियों को सलाम करूँगा, जो हर हाल में सफल होना चाहते थे, जो अपने आलोचकों को ग़लत साबित करना चाहते थे."
गुरनानी बताते हैं कि उनके पास अपने बाक़ी बचे साथियों तक अपना संदेश पहुँचाने का एक सरल तरीक़ा था.
सरल समीकरण
जून, 2013 में सत्यम महिन्द्रा का टेक महिन्द्रा में विलय हो गया.
वे कहते हैं, "मुझे एक समीकरण में यक़ीन है जिसके अनुसार एक आदमी 10 लोगों को यक़ीन दिला सकता है, 10 आदमी 100 लोगों को यक़ीन दिला सकते हैं, 100 लोग 1000 लोगों को, और 1000 लोग, 10000 लोगों को यक़ीन दिला सकते हैं. और मैंने इस समीकरण का पूरा उपयोग किया."
गुरनानी 20 वर्षों से उनके साथी रहे विनीत नैय्यर के साथ को भी बहुत महत्व देते हैं. उनका मानना है कि उनकी जोड़ी से कंपनी को फ़ायदा मिला.
पिछले साल जून में महिन्द्रा सत्यम फिर से पटरी पर आ गई. इसका अपनी सहयोगी कंपनी टेक महिन्द्रा में विलय हो गया.
पढ़ें- 'मैं ग़रीबी हूँ, मैं तुम्हें प्यार करती हूँ'
इस संयुक्त कंपनी के प्रमुख गुरनानी को ही बनाया गया. इस नई कंपनी को टेक महिन्द्रा नाम दिया गया.
साल 2015 के अंत तक गुरनानी कंपनी के लाभ को दोगुना करना चाहते हैं. इस लक्ष्य को पाने के लिए वो कंपनी के विकास के साथ-साथ अधिग्रहण भी करेंगे.
उस विवाद के पाँच साल हो गए हैं जिससे कंपनी बर्बाद भी हो सकती थी लेकिन आज गुरनानी सफलता की स्वर्णिम राह पर चल रहे हैं.
भारत सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक नए बोर्ड का गठन किया जो कंपनी को बेचने की कोशिश कर सके.
इसे भारतीय कंपनी महिन्द्रा समूह ने ख़रीदा लिया और इसका नाम बदलकर महिन्द्रा सत्यम हो गया. चंदर प्रकाश गुरनानी इसके मुखिया बने.
गुरनानी कहते हैं, "हम में से कुछ को यक़ीन था कि कंपनी के बहीखातों में भले ही गड़बड़ी हो लेकिन यहाँ के लोगों में कोई गड़बड़ी नहीं है."
नई चुनौती का सामना
"उस वर्ष मैं साल के 250 दिन सड़कों पर रहा. मैं हर क्लाइंट से मिला और उन्हें समझाया. पूरे साल मैंने केवल बात, बात और बात ही की, लोगों से, ग्राहकों से, सुबह से लेकर शाम तक."
-चंदर प्रकाश गुरनानी, एमडी और सीईओ, टेक महिन्द्रा
कंपनी को फिर से खड़ा करने की चुनौती से जूझ रहे गुरनानी ने इसकी शुरुआत हर किसी को यह विश्वास दिलाने से की थी कि यह कंपनी अभी भी चल सकती है.
वे कहते हैं, "उस वर्ष मैं साल के 250 दिन सड़कों पर रहा. मैं हर क्लाइंट से मिला और उन्हें समझाया. पूरे साल मैंने केवल बात, बात और बात ही की, लोगों से, ग्राहकों से, सुबह से लेकर शाम तक."
इसके साथ ही उन्हें रेगुलेटरों और वकीलों से भी निपटना होता था.
गुरनानी बताते हैं, "धोखाधड़ी की जाँच के लिए एक कमेटी बनी थी जो अपना काम कर रही थी. हमें हर किसी को जवाब देना था और साथ ही उच्च क्वालिटी भी बनाए रखनी थी और कंपनी के भविष्य के लिए निवेश भी करना था."
गुरनानी ने जब महिन्द्रा सत्यम चलानी शुरू की तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कंपनी के कर्मचारियों की छंटनी की. उन्हें कुल 53,000 कर्मचारियों में से केवल 35,000 को ही रखना था ताकि कंपनी फिर से मुनाफ़े में आ सके.
छंटनी की समस्या
सत्यम महिन्द्रा में कर्मचारियों की छंटनी भी एक बड़ी समस्या थी.
गुरनानी और कंपनी के वाइस-चेयरमैन विनीत नैय्यर इस बात को लेकर परेशान थे कि पहले से हौसला हारी हुई कंपनी में कर्मचारियों की छंटनी किस तरह की जाए.
अकादमिक संस्थान और पेशेवर लोग उन्हें सलाह दे रहे थे कि कंपनी को इन कर्मचारियों को एकमुश्त राशि देकर जितना जल्दी हो सके, जल्दी निकाल देना चाहिए. गुरनानी ने ऐसे लोगों की सलाह नहीं मानी.
वे कहते हैं, "हमने सोचा, ये कर्मचारियों की ग़लती नहीं है."
कर्मचारियों को निकालने की बजाय गुरनानी ने तय किया कि जो लोग छंटनी से प्रभावित हैं उन्हें अगले छह महीने तक कम तनख्वाह दी जाएगी और उन्हें नई नौकरी खोजने में मदद की जाएगी.
वे कहते हैं, "उन छह महीनों में हमने मनोवैज्ञानिक की सेवा ली और प्रशिक्षण विभाग खोला. रोज़गार मेला लगाया, हमने हर वो कोशिश की जिससे उन लोगों को ठिकाना मिल जाए."
अगला क़दम
"मुझे एक समीकरण में यक़ीन है जिसके अनुसार एक आदमी 10 लोगों को यक़ीन दिला सकता है."
-चंदर प्रकाश गुरनानी, एमडी और सीईओ, टेक महिन्द्रा
गुरनानी का अगला क़दम था कंपनी की सभी समस्याओं से एक साथ निपटने की बजाय उन्हें 11 भागों में बांट कर उनसे निपटना.
अपने बाक़ी बचे कर्मचारियों के बारे में वे कहते हैं, "इस तरह की विपत्ति मनुष्य को अपना सर्वश्रेष्ठ करने को प्रेरित करती है."
वे कहते हैं, "अगर मुझे किसी एक चीज़ को सलाम करना हो तो मैं अपने साथियों और सहकर्मियों को सलाम करूँगा, जो हर हाल में सफल होना चाहते थे, जो अपने आलोचकों को ग़लत साबित करना चाहते थे."
गुरनानी बताते हैं कि उनके पास अपने बाक़ी बचे साथियों तक अपना संदेश पहुँचाने का एक सरल तरीक़ा था.
सरल समीकरण
जून, 2013 में सत्यम महिन्द्रा का टेक महिन्द्रा में विलय हो गया.
वे कहते हैं, "मुझे एक समीकरण में यक़ीन है जिसके अनुसार एक आदमी 10 लोगों को यक़ीन दिला सकता है, 10 आदमी 100 लोगों को यक़ीन दिला सकते हैं, 100 लोग 1000 लोगों को, और 1000 लोग, 10000 लोगों को यक़ीन दिला सकते हैं. और मैंने इस समीकरण का पूरा उपयोग किया."
गुरनानी 20 वर्षों से उनके साथी रहे विनीत नैय्यर के साथ को भी बहुत महत्व देते हैं. उनका मानना है कि उनकी जोड़ी से कंपनी को फ़ायदा मिला.
पिछले साल जून में महिन्द्रा सत्यम फिर से पटरी पर आ गई. इसका अपनी सहयोगी कंपनी टेक महिन्द्रा में विलय हो गया.
पढ़ें- 'मैं ग़रीबी हूँ, मैं तुम्हें प्यार करती हूँ'
इस संयुक्त कंपनी के प्रमुख गुरनानी को ही बनाया गया. इस नई कंपनी को टेक महिन्द्रा नाम दिया गया.
साल 2015 के अंत तक गुरनानी कंपनी के लाभ को दोगुना करना चाहते हैं. इस लक्ष्य को पाने के लिए वो कंपनी के विकास के साथ-साथ अधिग्रहण भी करेंगे.
उस विवाद के पाँच साल हो गए हैं जिससे कंपनी बर्बाद भी हो सकती थी लेकिन आज गुरनानी सफलता की स्वर्णिम राह पर चल रहे हैं.
Source: Hindi News
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