बाई रोड खुलेगी पोल..
क्0 फरवरी को सीएसए में कनवोकेशन है. प्रोग्राम में चीफ गेस्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं. इसलिए अफसर इस बात को लेकर ज्यादा टेंशन में हैं कि कहीं सीएम पुलिस लाइन से बाईरोड सीएसए न पहुंच जाएं. अगर ऐसा हुआ तो शहर के पॉश एरिया से होकर गुजरने वाली जर्जर वीआईपी रोड की असलियत उनके सामने आ जाएगी. इतना ही नहीं फिर तो कम्पनी बाग चौराहे की बदहाली भी नहीं छिपने वाली..पहले बरती गई अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए पूरा चौराहा खोद डाला गया है. जाहिर है अगर सीएम इस रूट से होकर सीएसए पहुंचेंगे तो पोल तो खुलेगी ही और अफसरों पर कार्यवाही भी तय है..
वीआईपी नहीं है पब्लिक
जिस बदहाल रूट्स से ऑफिसर्स सीएम को गुजारना तक नहीं चाहते. हजारों कम्यूटर्स मुश्किलों का सामना करके हर दिन वहां से मजबूरी में गुजर रहे हैं. अब पब्लिक सीएम तो है नहीं.. जो खस्ताहाल और जर्जर रूट्स से बचने के लिए हर वक्त हैलीकॉप्टर से चले.. जहां-जहां से वो गुजरे, उसके मेंटीनेंस के लिए अफसर दिन-रात एक कर देते हों.. जाहिर है ऐसे में पब्लिक को वीआईपी ट्रीटमेंट भी नहीं मिलने वाला.. फिर चाहे एरिया कोई भी हो.. मुश्किलें पब्लिक के हिस्से में आनी हैं. फिर चाहे उसे धूल-मिट्टी का गुबार ही क्यों न फांकना पड़े.. या धुंध छाने की वजह से एक्सीडेंट ही क्यों न हों..
डायरेक्ट सीएसए लैंडिंग
खामियां छिपाने के लिए सीएम को सीधे सीएसए लाए जाने की तैयारी है. इस सिलसिले में एडीएम सिटी अविनाश सिंह ने थर्सडे को पूरे वीआईपी रोड का इंस्पेक्शन किया. साथ ही सीएसए ऑडिटोरियम समेत मुख्यमंत्री विजिट के दौरान वहां होने वाली सुरक्षा-व्यवस्था का भी जायजा लिया. एसीएम-फ् व प्रोटोकॉल ऑफिसर राकेश कुमार ने बताया कि सीएम का प्रोटोकॉल ब् दिन पहले आ चुका है. लेकिन अभी तक शासन की तरफ से उसे फाइनल अप्रूवल नहीं मिला है.
ख्00 से ज्यादा फोनलाइनें डेड
बेतरतीब ढंग से हो रही खुदाई के चक्कर में टेलीफोन कंज्यूमर्स को भी जबर्दस्त मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है. अंडर ग्राउंड केबिल कटने से उनके लैंडलाइन फोन डेड हो गए हैं. करीब ख्0 दिनों से रावतपुर ऑफिसर्स कॉलोनी और सीएसए की तरफ जाने वाली टेलीफोन लाइन्स काम नहीं कर रही हैं. हैरानी की बात यह है कि जलनिगम की टीम बीएसएनएल के लाइनमैन को मेंटीनेंस नहीं करने दे रही है. थर्सडे को भी बीएसएनएल बेनाझावर ऑफिस से दो लाइनमैन कम्पनी बाग चौराहे पर खाली बैठे रहे. उन्होंने बताया कि जलनिगम वालों ने केबिल वायर इस तरह से काट-पीट डाले हैं कि उन्हें जोड़ने में काफी वक्त लगेगा. लेकिन ये 9 फरवरी को गढ्डा भरने की बात कह रहे हैं. इतने कम समय में ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है.
लापरवाही छिपाने को बिना परमीशन कर रहे खुदाई
जलनिगम के कर्मचारी पब्लिक की मुश्किलों में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. गंगा बैराज से कम्पनीबाग चौराहा आने और जाने वाली डीप पाइप लाइन जोड़ने के लिए जलनिगम ने ख्0 जनवरी से 9 फरवरी तक की परमीशन मांगी थी. मगर, जलनिगम ने खुदाई उससे भी ज्यादा बड़े एरिया में कर दी. दरअसल करीब डेढ़ साल पहले कम्पनीबाग चौराहा से वीआईपी रोड होते हुए जीटी रोड की तरफ डीप वाटर लाइन बिछाई गई थी. लेकिन जलनिगम के अधिकारियों ने ऑफिस से निकलने की जहमत नहीं उठाई. इसका फायदा तत्कालीन कान्ट्रैक्टर ने उठाया. उसने चौराहा से काफी दूर से ही जीटी रोड तक डीप पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया. अब इसी लापरवाही को छिपाने के लिए बिना परमीशन के कम्पनीबाग चौराहा से कम्पनीबाग केस्को सबस्टेशन की ओर रोड कटिंग की जा रही है. रोड कटिंग की वजह से कम्यूटर्स और आसपास के लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताते चलें कि क्8 दिसंबर ख्0क्फ् को प्रशासन ने कम्पनी बाग चौराहे से आभा नर्सिग होम तक क्क्00 मीटर लंबी पाइप लाइन बिछाने के लिए फ्0 दिनों की परमीशन दी थी.
'पाइप लाइन डालने के लिए हमने परमीशन ले रखी है. 9 फरवरी तक काम पूरा करना है. कम्पनीबाग चौराहा से केस्को सबस्टेशन की ओर दो पाइप बिछाने का काम रह गया था. वही पाइप बिछाए जा रहे हैं.'
- देवेन्द्र कुमार, जलनिगम प्रोजेक्ट इंजीनियर
'खुदाई के चक्कर में हमारी कम्पनी की केबल कट गई हैं. इससे हमारे सैकड़ों कंज्यूमर्स की फोनलाइन डेड हो गई है.'
- बृजेश, टेलीकॉम इम्प्लॉई
'खुदाई की वजह से काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है. खुदाई करनी ही थी तो उसी समय कर लेते जब पहले लाइनें डाली थीं.'
- गिरीश, टेलीकॉम इम्प्लॉई
'सब पैसे का खेल चलता है. ऑफिसर्स जब बजट पास होता है तब पैसे मार लेते हैं और बाद में जब सीनियर अफसर आता है तब बहाने करते हैं.'
- अपूर्व शर्मा
'इसीलिए वो लोग सीधे हैलीकॉप्टर सीएसए में उतार रहे हैं कहीं सीएम साहब के सामने उनकी पोल न खुल जाए.'
- विकास वर्मा
'असली वजह यही है. ये प्रॉब्लम सिर्फ कानपुर की नहीं है. हर बार जब सीएम की कोई विजिट होती है. तो ये ट्राई किया जाता है कि उन्हें उस रास्ते से न लाया जाए. जहां उनके कामों की पोल खुल जाए. हमेशा उस रूट को सेलेक्ट किया जाता है. जहां सबकुछ ओके रहता है. ऐसा करके वो सीएम को भी धोखा दे देते हैं.'
- रईस अहमद सिद्दकी
'चाहे सीएम साहब को सीएसए में उतारा जाए या बाहर. दूसरी जगह अगर दूसरी जगह उतारा जाएगा तो वहां से सीएसए तक जाने वाली रोड को साफ-सुथरा कर दिया जाएगा. रोड के किनारे पेंट्स कर देंगे, टूटी रोड्स सही कर सीएम सर की आंखों पर पट्टी बढ़ाने की कोशिश करेंगे. जैसे सीएम को पता नहीं कि शहर कैसा है, रोड्स कैसी हैं, क्या वो न्यूजपेपर नहीं पढ़ते हैं. या न्यूज नहीं देखते..'
- राजीव कुशवाहा
'मेरा मानना है कि जब अधिकारियों को इतना डर है तो ईमानदारी से अपना काम समय पर पूरा कर देना चाहिए.'
- मो. सर्वर
Source: Kanpur News in Hindi
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