हाल ही में अमिताभ बच्चन ने शीतय पेय पेप्सी के विज्ञापन से अपने आपको अलग करने की जो वजह बताई इस पर ख़ासा विवाद हुआ.
अमिताभ ने इंडियन
इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट-अहमदाबाद में दिए एक व्याख्यान में कहा था,
"मेरे पास एक छोटी बच्ची आई और उसने कहा कि आप पेप्सी जैसी चीज़ों के
विज्ञापन क्यों करते हो जिनके बारे में मेरी टीचर कहती है कि उसमें ज़हर
होता है." अमिताभ ने बताया कि इसके बाद उन्होंने अपने आपको पेप्सी से अलग
कर लिया. वैसे इस बात के लिए अमिताभ को मिली जुली प्रतिक्रिया मिली.
जहां कुछ लोगों ने उनके इस क़दम को सराहनीय बताया वहीं कई लोगों का ये भी मानना था कि जिस प्रोडक्ट से अमिताभ बच्चन आठ साल तक जुड़े रहे बाद में उसके बारे में उन्हें ऐसी 'आपत्तिजनक' बात नहीं कहनी चाहिए थी. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि अमिताभ तक़रीबन आठ साल पेप्सी से जुड़े रह, तब उन्हें इसके ज़हरीले होने की और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चिंता क्यों नहीं सताई.
क्या सितारे करते हैं रिसर्च ?
विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि सितारों को मिलने वाली भारी भरकम रकम उनके लिए बेहद अहम होती है. सवाल यही उठता है कि सितारे किसी विज्ञापन को करने से पहले कितनी रिसर्च करते हैं. क्या किसी प्रोडक्ट का ब्रांड एंबेसडर बनने से पहले वो अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के बारे में भी सोचते हैं. क्या वो उस ख़ास प्रोडक्ट के बारे में पूरी पड़ताल करते हैं. या वो उस विज्ञापन को करने से मिलने वाले पैसे पर ही ध्यान देते हैं. बाक़ी बातों का उनके लिए कोई मतलब नहीं.
जाने-माने एड गुरू पीयूष पांडेय कहते हैं, "ये बात हर सितारों पर लागू नहीं होती. कुछ होते हैं जो रिसर्च करते हैं. स्क्रिप्ट पर बैठते हैं. मिस्टर बच्चन और आमिर ख़ान जैसे सितारे हैं जो हर बात का ध्यान रखते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए सिर्फ़ पैसा मायने रखते हैं."
तो अमिताभ बच्चन का पेप्सी के बारे में ऐसे बयान का क्या मतलब है ? इसके जवाब में पीयूष पांडे ने कहा, "अमिताभ ने जिस स्पिरिट में कहा उसे ग़लत तरीके से समझा गया. उन्होंने सिर्फ़ ये कहा कि अगर किसी प्रोडक्ट को लेकर कुछ लोगों के मन में शंका है तो उन्हें उस बात का ध्यान रखना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि पेप्सी को इससे बुरा मानने की ज़रूरत है."
जहां कुछ लोगों ने उनके इस क़दम को सराहनीय बताया वहीं कई लोगों का ये भी मानना था कि जिस प्रोडक्ट से अमिताभ बच्चन आठ साल तक जुड़े रहे बाद में उसके बारे में उन्हें ऐसी 'आपत्तिजनक' बात नहीं कहनी चाहिए थी. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि अमिताभ तक़रीबन आठ साल पेप्सी से जुड़े रह, तब उन्हें इसके ज़हरीले होने की और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चिंता क्यों नहीं सताई.
क्या सितारे करते हैं रिसर्च ?
विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि सितारों को मिलने वाली भारी भरकम रकम उनके लिए बेहद अहम होती है. सवाल यही उठता है कि सितारे किसी विज्ञापन को करने से पहले कितनी रिसर्च करते हैं. क्या किसी प्रोडक्ट का ब्रांड एंबेसडर बनने से पहले वो अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के बारे में भी सोचते हैं. क्या वो उस ख़ास प्रोडक्ट के बारे में पूरी पड़ताल करते हैं. या वो उस विज्ञापन को करने से मिलने वाले पैसे पर ही ध्यान देते हैं. बाक़ी बातों का उनके लिए कोई मतलब नहीं.
जाने-माने एड गुरू पीयूष पांडेय कहते हैं, "ये बात हर सितारों पर लागू नहीं होती. कुछ होते हैं जो रिसर्च करते हैं. स्क्रिप्ट पर बैठते हैं. मिस्टर बच्चन और आमिर ख़ान जैसे सितारे हैं जो हर बात का ध्यान रखते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए सिर्फ़ पैसा मायने रखते हैं."
तो अमिताभ बच्चन का पेप्सी के बारे में ऐसे बयान का क्या मतलब है ? इसके जवाब में पीयूष पांडे ने कहा, "अमिताभ ने जिस स्पिरिट में कहा उसे ग़लत तरीके से समझा गया. उन्होंने सिर्फ़ ये कहा कि अगर किसी प्रोडक्ट को लेकर कुछ लोगों के मन में शंका है तो उन्हें उस बात का ध्यान रखना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि पेप्सी को इससे बुरा मानने की ज़रूरत है."
कितने ईमानदार हैं सितारे ?
विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि अमिताभ, शाहरुख़ और आमिर जैसे सितारे विज्ञापन करने से पहले ख़ासी सावधानी बरतते हैं. फ़िल्म स्टार शाहरुख़ ख़ान हीरो पुक मोपेड के ब्रांड एंबेसडर बन चुके हैं, वो हुंडई सेंट्रो कार का विज्ञापन करते हैं. कई सितारे गोरापन बढ़ाने की क्रीम के विज्ञापनों में नज़र आते हैं. कुछ साबुन से नहाते हुए विज्ञापनों में दिखते हैं. क्या ये सारे स्टार उन सभी प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल भी करते हैं या सिर्फ़ विज्ञापन किया, पैसे जेब में डाले और चलते बने.
इसके जवाब में एडगुरू प्रहलाद कक्कड़ कहते हैं, "देखिए कई सितारे वो प्रोडक्ट इस्तेमाल भी करते हैं. लेकिन सारे ऐसे नहीं हैं. जैसे कटरीना कैफ़, वो तो जितने प्रोडक्ट की ब्रांड एंबेसडर हैं उनमे से आधे तो इस्तेमाल भी नहीं करती होंगी." वैसे कटरीना कैफ़ ख़ुद इस मामले में अपने आपको क्लीन चिट देती हैं.
विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि अमिताभ, शाहरुख़ और आमिर जैसे सितारे विज्ञापन करने से पहले ख़ासी सावधानी बरतते हैं. फ़िल्म स्टार शाहरुख़ ख़ान हीरो पुक मोपेड के ब्रांड एंबेसडर बन चुके हैं, वो हुंडई सेंट्रो कार का विज्ञापन करते हैं. कई सितारे गोरापन बढ़ाने की क्रीम के विज्ञापनों में नज़र आते हैं. कुछ साबुन से नहाते हुए विज्ञापनों में दिखते हैं. क्या ये सारे स्टार उन सभी प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल भी करते हैं या सिर्फ़ विज्ञापन किया, पैसे जेब में डाले और चलते बने.
इसके जवाब में एडगुरू प्रहलाद कक्कड़ कहते हैं, "देखिए कई सितारे वो प्रोडक्ट इस्तेमाल भी करते हैं. लेकिन सारे ऐसे नहीं हैं. जैसे कटरीना कैफ़, वो तो जितने प्रोडक्ट की ब्रांड एंबेसडर हैं उनमे से आधे तो इस्तेमाल भी नहीं करती होंगी." वैसे कटरीना कैफ़ ख़ुद इस मामले में अपने आपको क्लीन चिट देती हैं.
सावधानी
विज्ञापन करने से पहले बरती जाने वाली सावधानियों की बात चलने पर प्रहलाद कहते हैं, "देखिए विज्ञापन से पैसा कमाना बहुत आसान है. कम मेहनत में ज़्यादा पैसा. तो हर किसी की दिलचस्पी इसमें होती है. लेकिन सितारे आजकल सावधानियां भी बरतने लगे हैं. कई सितारे सिगरेट या शराब के विज्ञापन के लिए सीधे मना कर देते हैं."
जवाबदेही
किसी ख़ास तेल को इस्तेमाल करने से लंबे घने बाल आने का दावा, किसी क्रीम को इस्तेमाल करने के चंद रोज़ बाद ही त्वचा का गोरा हो जाने या फिर चाय पीने से सेहतमंद होने के तमाम दावे इन विज्ञापनों में किए जाते हैं. लेकिन अगर ये दावे पूरे नहीं हुए तो क्या.
इऩ प्रोडक्ट्स के ग़लत दावों के मद्देनज़र किस तरह के क़दम उठाए जाएं, ये तय करने के लिए खाद्य और वितरण मंत्री के वी थॉमस की अध्यक्षता में गठित केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा परिषद ने कुछ कदम उठाए जाने की सिफ़ारिश की है. जिसके तरह विज्ञापन में किए गए ग़लत दावों के लिए कंपनी के साथ-साथ विज्ञापन करने वाले सेलेब्रिटी को भी ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है.
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रहलाद कक्कड़ ने कहा, "ये पूरी तरह से बकवास बात है. सितारे आसानी से अपने आपको इस बात से बचा सकते हैं. वो विज्ञापन करने से पहले डील में एक क्लॉज़ जुड़वा सकते हैं जिसमें कहा जाएगा कि उन्होंने ये विज्ञापन कंपनी पर पूरा भरोसा जताते हुए किया है और अगर इस प्रोडक्ट से कोई नुकसान पहुंचता है तो उसके लिए वो जवाबदेह नहीं होगे. ऐसा करने से उन्हें कानूनी रूप से सुरक्षा भी मिल जाएगी." हालांकि विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का ये ज़रूर मानना है कि किसी सितारे को विज्ञापन के लिए मनाने में उसको मिलने वाली रकम का भी एक बड़ा योगदान होता है.
Source: Bollywood News in Hindi & Movie Review in Hindi
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