Tuesday, February 11, 2014

Sushil Koirala Wins Vote To Be Prime Minister Of Nepal Live In Rent

महज़ तीन साल पहले सुशील कोइराला ने देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी नेपाली कांग्रेस की कमान संभाली थी और अब वे देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री हैं.
कोइराला का राजनीतिक अनुभव करीब छह दशक पुराना हो चुका है और वे उन चुनिंदा राजनीतिज्ञों में शामिल हैं जो साफ सुथरी राजनीति में यकीन रखते हैं. वे सामान्य जीवनशैली के लिए भी जाने जाते हैं.

वैसे सुशील कोइराला अपनी युवावस्था में हॉलीवुड में हीरो बनने का सपना देखा करते थे. लेकिन क़िस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था. अब 75 साल की उम्र में उन्हें नेपाल के अधूरे संविधान को पूरा करने के लिए किसी हीरो के माफिक़ ही काम करना होगा.

प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद कोइराला ने कहा है कि उनकी पहली प्राथमिकता नेपाल के संविधान को पूरा करने की होगी.

प्रतिष्ठित परिवार से नाताउनका जन्म नेपाल के कोइराला परिवार में हुआ था जिसकी प्रतिष्ठा ठीक उसी तरह की है जैसी पाकिस्तान में भुट्टो या फिर भारत में गाँधी परिवार की है.

युवावस्था में ही राजनीति में उनकी दिलचस्पी पैदा हो गई थी. गिरजा प्रसाद कोइराला की मां उनकी मौसी थीं.

गिरिजा प्रसाद कोइराला और नेपाली राजनीति की दूसरी अज़ीम शख़्सियत बीपी कोइराला से नजदीकी के चलते वे लोकतांत्रिक आंदोलन में शामिल हो गए.

21 साल की उम्र में उन्हें भारत में निर्वासित जीवन बिताना पड़ा. यह वह दौर था जब किंग महेंद्र ने देश के पहले चुने हुए प्रधानमंत्री बीपी कोइराला को 1960 में बर्ख़ास्त कर दिया था. उन्होंने निर्वासन के 20 साल भारत में गुजारे.

बीपी कोइराला, गिरिजा प्रसाद कोइराला और सुशील कोइराला, इन तीनों को भारतीय जेलों में भी समय बीतना पड़ा - जब इन्हें नेपाल की शाही सरकार पर दबाव डालने के उद्देश्य से एक नेपाली विमान को हाईजैक करने की कोशिश में गिरफ़्तार किया गया था.

कोइराला अविवाहित जीवन व्यतीत करते रहे हैं. वे कई बार नेपाली सांसद बने. लेकिन हर बार उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया. गिरिजा प्रसाद कोइराला ने तो 1990 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें उपप्रधानमंत्री पद की पेशकश भी की थी.

अपना कोई मकान नहींइतना ही नहीं नेपाल के इस प्रधानमंत्री का अपना कोई घर तक नहीं है, नेपाली राजनीति में यह किसी अचरज से कम नहीं है. सुशील कोइराला काठमांडू में अपने रिश्तेदारों के घर ही रहते रहे.

गिरिजा प्रसाद कोइराला की 2010 की मौत के बाद सुशील किराए के मकान में रहने चले गए.

जब गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमंत्री थे और वोनेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे, तब सुशील उनके निकट सहयोगी की भूमिका निभाते रहे. हालांकि उन्होंने तब कोई भी लाभ का पद नहीं लिया था. इसके लिए उनकी आलोचना भी होती रही कि वे सिर्फ डार्क रूम राजनीति में दिलचस्पी लेते रहते हैं.

हालांकि उनकी आलोचना करने वाले ये भी कहते हैं कि गिरिजा प्रसाद कोइराला की वजह से उन्हें पार्टी में इतना रूतबा हासिल था. लेकिन हक़ीक़त यही है कि गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व में जो पार्टी पहले संविधान सभा चुनाव में 2008 में दूसरी बड़ी पार्टी बनी थी वह सुशील कोइराला के नेतृत्व में पहले स्थान पर आ गई.

उनके पास मौक़ा है कि वे अपने राजनीतिक गुरु गिरिजा प्रसाद कोइराला द्वारा शुरू किए गए नए संविधान की प्रक्रिया को पूरा कर सकें.

वैसे सुशील कोइराला एक बार नेपाल में पंचायती दल विहीन सरकार के ख़िलाफ़ सशस्त्र आंदोलन चला चुके हैं लेकिन अब वे कहते हैं कि महात्मा गाँधी से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे हैं.

Source: Hindi News

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