छोटे- छोटे मामलों में लंबे समय से सलाखों के पीछे सजा काट रहे कैदियों
को आने वाले दिनों में और भी आसानी से पेरोल मिल सकेगी। इसके लिए कारागार
मंत्री खुद योजना बना रहे हैं। अभी भी पिछले बरसों के मुकाबले कैदियों को
पेरोल दिये जाने के मामलों में इजाफा हुआ है। आई नेक्स्ट के साथ अनौपचारिक
बातचीत में कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने कहा कि पेरोल किसी भी
कैदी का कानूनी अधिकार है। यह सोचना कत्तई उचित नहीं है कि हर पेरोल पर
छूटने वाला कैदी बाहर जाकर घटनाओं को ही अंजाम देगा। ऐसा भी संभव है कि
कैदी जेल की चहारदीवारी से बाहर आने के बाद सुधर जाए क्योंकि जेल में रहकर
मायूसी, उदासीनता, निराशा और नफरत बढ़ती है.
अधिकारियों की राय बिल्कुल जुदा
कारागार मिनिस्टर का कहना है कि वह हर कैदी को उसके अधिकार के मुताबिक
पे रोल की व्यवस्था करना चाहते हैं। उन्होंने बिना किसी अधिकारी का नाम
लिये कहा कि कैदी के परिवार की ओर से दी जाने वाली पेरोल की अप्लीकेशंस को
अधिकारी गुनाह करने की अर्जी समझते हैं, जो बिल्कुल गलत है। दरअसल, अकसर
कैदी पेरोल मिलने के बाद फरार हो जाता है। पेरोल मिलने के बाद फरार होने
वाले कैदी की जांच होती है तो उसमें पेरोल देने वाले अधिकारी की भी भूमिका
जांची जाती है। ऐसे में किसी तरह की जांच से बचने के लिए अधिकारी अक्सर
फाइल को रिजेक्ट कर देते हैं.
यह एक तरह की परीक्षा
कारागार मंत्री का कहना है कि पेरोल कैदियों के लिए एक तरह की परीक्षा
होती है। खूंखार और हार्डकोर क्रिमिनल को अलग करते हुए कहा कि ऐसे कैदी
जिनकी उम्र 60 साल से अधिक हो गयी हो, जिनके घर में कोई फंक्शन है, जिनके
परिवार में कोई कैजुअल्टी हो गयी है, उन्हें पे रोल दिये जाने में अधिक
रोक- टोक नहीं होनी चाहिए।
50 हजार रुपये तक की वसूली
सूत्रों की मानें तो पेरोल के लिए पहले कैदियों से 50- 50 हजार रुपये
तक की वसूली की जाती थी। इसका खुलासा खुद कारागार मंत्री ने किया। उन्होंने
कहा कि पेरोल की एप्लीकेशन आने के बाद उसकी जांच की जाती है जांच के नाम
पर ही संबंधित पुलिसकर्मी और कर्मचारी सुविधा शुल्क के चक्कर में पड़ जाते
थे। उन्होंने इसे खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इससे पहले
जहां पेरोल के पूरे साल में 25 से 30 अप्लीकेशन आती थी और चार से पांच
लोगों को ही पेरोल मिल पाती थी वह भी सुविधा शुल्क लेकर। अब अप्लीकेशंस की
संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हो गयी है और उन्हें पे रोल मिलने भी आसानी
हो रही है। उनका कहना है कि पिछले पांच छह माह में 100 से अधिक लोगों की पे
रोल स्वीकृत की जा चुकी है।
किन परिस्थितियों में मिलती है पेरोल
सरकार किसी बंदी के दंड आदेश का निलंबन एक माह तक कर सकती है। ऐसा तभी
किया जा सकता है जब बंदी के माता पिता, पति या पत्नी, भाई बहन, पुत्र या
पुत्री बीमार हों या किसी की मृत्यु हो गयी हो, पुत्र, पुत्री, भाई या बहन
की शादी के लिए, अपनी निजी जमीन पर खेती, बुआई, कटाई के लिए, मकान की
मरम्मत के लिए पेरोल सरकार दे सकती है। साथ ही सरकार को विशेष परिस्थितियों
में इसे बढ़ाने का भी अधिकार होता है। डीएम किसी बंदी को मां, बाप, पति,
पत्नी, पुत्र, पुत्री, भाई या बहन की मृत्यु या फिर पुत्र, पुत्री, भाई
या बहन की शादी के लिए तीन दिन का पेरोल दे सकता है। Read more Lucknow News http://inextlive.jagran.com/lucknow/
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