पारा 41 के पार होने से सूरज के तेवर तीखे हैं। ऐसे में सामान्य आदमी भी घर से निकलने में कतरा रहा है। लेकिन मेडिकल में भर्ती मरीजों को ऐसे मौसम में ही गर्म स्टेचर पर लेटकर जांच के लिए वार्डो में जाना पड़ रहा है। मरीज व अटेंडेंट का सबसे ज्यादा परेशानी सुबह 11 बजे से 2 बजे के बीच होती है। आईनेक्सट ने मेडिकल पहुंचकर ऐसे मरीजों की पीड़ा जानी तो सच सामने आया.
ऐसे समझे मरीजों का दर्द
केस 1
किठौर निवासी रहीश को पेट के दर्द की शिकायत है। डॉक्टर ने इसे मेडिकल की इमरजेंसी में भर्ती किया। चेकप के बाद डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए कहा। रहीश को तपती दोपहरी में अल्ट्रासाउंड के लिए एक्सरे रूम में आना पड़ा। मरीज लोहे के गर्म स्टेचर से बार- बार उठ रहा था.
केस 2
सरधना निवासी 50 वर्षीय महेन्द्र के पैर काम नहीं कर रहे हैं। पेट में भी तकलीफ है। डॉक्टरों ने इन्हे ऑर्थो वार्ड में भर्ती किया है। किसी कारण से महेन्द्र को इमरजेंसी में किसी जांच के लिए जाना पड़ा तो गर्म व्हीलचेयर पर बैठाकर अटेडेंट उन्हें भरी दोपहरी में न्यू इमरजेंसी लेकर गए।
नहीं है पोर्टेबल मशीन
कुछ बडे शहरों में गर्मी के इंतजाम के लिए पोर्टेबल एक्सरे मशीन है। जिसके माध्यम से बैड पर ही एक्सरे करने की सुविधा है। लेकिन अपने मेडिकल कॉलेज में पोर्टेबल एक्सरे मशीन नहीं है। जिसके चलते मरीजों को धूप में तपकर जाना ही पडेगा.
ज्यादातर वार्ड एक ही छत के नीचे हैं। न्यू इमरजेंसी से लाने में मरीज को जरूर तेज धूप का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पोर्टेबल मशीन की बात आलाधिकारियों के सामने रखी गई है. Read more http://inextlive.jagran.com/meerut/
ऐसे समझे मरीजों का दर्द
केस 1
किठौर निवासी रहीश को पेट के दर्द की शिकायत है। डॉक्टर ने इसे मेडिकल की इमरजेंसी में भर्ती किया। चेकप के बाद डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए कहा। रहीश को तपती दोपहरी में अल्ट्रासाउंड के लिए एक्सरे रूम में आना पड़ा। मरीज लोहे के गर्म स्टेचर से बार- बार उठ रहा था.
केस 2
सरधना निवासी 50 वर्षीय महेन्द्र के पैर काम नहीं कर रहे हैं। पेट में भी तकलीफ है। डॉक्टरों ने इन्हे ऑर्थो वार्ड में भर्ती किया है। किसी कारण से महेन्द्र को इमरजेंसी में किसी जांच के लिए जाना पड़ा तो गर्म व्हीलचेयर पर बैठाकर अटेडेंट उन्हें भरी दोपहरी में न्यू इमरजेंसी लेकर गए।
नहीं है पोर्टेबल मशीन
कुछ बडे शहरों में गर्मी के इंतजाम के लिए पोर्टेबल एक्सरे मशीन है। जिसके माध्यम से बैड पर ही एक्सरे करने की सुविधा है। लेकिन अपने मेडिकल कॉलेज में पोर्टेबल एक्सरे मशीन नहीं है। जिसके चलते मरीजों को धूप में तपकर जाना ही पडेगा.
ज्यादातर वार्ड एक ही छत के नीचे हैं। न्यू इमरजेंसी से लाने में मरीज को जरूर तेज धूप का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पोर्टेबल मशीन की बात आलाधिकारियों के सामने रखी गई है. Read more http://inextlive.jagran.com/meerut/
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