मेरठ में स्टंट से चाहे कितने ही लोग क्यों न मर जाएं, लेकिन पुलिस को इसकी
परवाह बिल्कुल नहीं हैं। जी हां शहर के कई स्थानों पर बाइक स्टंट करने की
पाठशाला चलती है। जहां विशेष ट्रेनरों द्वारा इसकी बाकायदा ट्रेनिंग दी
जाती है। साथ ही स्टूडेंट्स से इसके लिए मोटी फीस भी वसूली जाती है।
दिलचस्प बात यह है टै्रफिक पुलिस मामले को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है.
ट्रेनिंग के चलाए जाते हैं बैच
सूत्रों का दावा है कि मेरठ में स्टंट ट्रेनिंग के बाकायदा बैच चलाए जाते हैं। जिसके लिए स्टूडेंट्स को समय लेना पड़ता है। उसके बाद समय पर ट्रेनिंग लेने जाते हैं.
सुबह 5 से होती है क्लास
ट्रेनिंग का पहला बैच सुबह पांच बजे से शुरू होता है। उसके बाद सुबह 10 बजे दूसरा बैच शुरू होता है। हर बैच में पांच स्टूडेंट्स होते हैं।
इन जगहों पर दी जाती है ट्रेनिंग
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, गांधी बाग पार्क, समर गार्डन कालोनी आदि स्थानों पर आपको सुबह स्टंट की ट्रेनिंग लेते स्टूडेंट्स मिल जाएंगे.
इन बाइक्स का होता है यूज
नाम न छापने की शर्त पर एक ट्रेनर ने बताया कि जिन बाइक्स का इंजन 150 सीसी से ज्यादा होता है। उनसे अच्छा स्टंट किया जाता है।
बाइक्स बनाई जाती है हल्की
भारी इंजन वाली बाइक्स के मडगार्ड और एक्सट्रा लोहा उतारकर उसको हल्का बनाया जाता है। ताकि स्टंट आसानी से हो सके। स्टंट ट्रेनिंग वाली बाइक्स में केवल सिंगल सीट ही लगी होती है।
वसूली जाती है फीस
सूत्रों के अनुसार स्टंट की ट्रेनिंग के लिए अलग- अलग ट्रेनर की फीस निर्धारित है। बताया गया कि जाकिर कालोनी निवासी ट्रेनर स्टंट सिखाने के 3000 तक वसूलता है। जिसमें बाइक्स स्टूडेंट्स की ही रहती है.
ट्रेनिंग स्कूलों के बारे में जानकारी नहीं है। जो स्टंटमैन पुलिस की नजर पड़ता है उस पर कार्रवाई भी होती है। यदि वास्तव में ट्रेनिंग दी जाती है तो उन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी.
किरण यादव, एसपी टै्रफिक
स्टंटबाजों के खिलाफ होगी कार्रवाई: डीएम
विभिन्न धार्मिक प्रयोजनों में स्टंटबाजों का सड़क पर आना एक गंभीर मसला है। लॉ एंड आर्डर प्रभावित हो रहा है तो वहीं जनसामान्य में असुरक्षा की भावना पनप रही है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है स्टंटबाज हूटिंग करते हुए मुख्य मार्गो पर फर्राटा भरते हैं और पुलिस- प्रशासन मूकदर्शक बना हो. Read more http://inextlive.jagran.com/meerut/
ट्रेनिंग के चलाए जाते हैं बैच
सूत्रों का दावा है कि मेरठ में स्टंट ट्रेनिंग के बाकायदा बैच चलाए जाते हैं। जिसके लिए स्टूडेंट्स को समय लेना पड़ता है। उसके बाद समय पर ट्रेनिंग लेने जाते हैं.
सुबह 5 से होती है क्लास
ट्रेनिंग का पहला बैच सुबह पांच बजे से शुरू होता है। उसके बाद सुबह 10 बजे दूसरा बैच शुरू होता है। हर बैच में पांच स्टूडेंट्स होते हैं।
इन जगहों पर दी जाती है ट्रेनिंग
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, गांधी बाग पार्क, समर गार्डन कालोनी आदि स्थानों पर आपको सुबह स्टंट की ट्रेनिंग लेते स्टूडेंट्स मिल जाएंगे.
इन बाइक्स का होता है यूज
नाम न छापने की शर्त पर एक ट्रेनर ने बताया कि जिन बाइक्स का इंजन 150 सीसी से ज्यादा होता है। उनसे अच्छा स्टंट किया जाता है।
बाइक्स बनाई जाती है हल्की
भारी इंजन वाली बाइक्स के मडगार्ड और एक्सट्रा लोहा उतारकर उसको हल्का बनाया जाता है। ताकि स्टंट आसानी से हो सके। स्टंट ट्रेनिंग वाली बाइक्स में केवल सिंगल सीट ही लगी होती है।
वसूली जाती है फीस
सूत्रों के अनुसार स्टंट की ट्रेनिंग के लिए अलग- अलग ट्रेनर की फीस निर्धारित है। बताया गया कि जाकिर कालोनी निवासी ट्रेनर स्टंट सिखाने के 3000 तक वसूलता है। जिसमें बाइक्स स्टूडेंट्स की ही रहती है.
ट्रेनिंग स्कूलों के बारे में जानकारी नहीं है। जो स्टंटमैन पुलिस की नजर पड़ता है उस पर कार्रवाई भी होती है। यदि वास्तव में ट्रेनिंग दी जाती है तो उन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी.
किरण यादव, एसपी टै्रफिक
स्टंटबाजों के खिलाफ होगी कार्रवाई: डीएम
विभिन्न धार्मिक प्रयोजनों में स्टंटबाजों का सड़क पर आना एक गंभीर मसला है। लॉ एंड आर्डर प्रभावित हो रहा है तो वहीं जनसामान्य में असुरक्षा की भावना पनप रही है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है स्टंटबाज हूटिंग करते हुए मुख्य मार्गो पर फर्राटा भरते हैं और पुलिस- प्रशासन मूकदर्शक बना हो. Read more http://inextlive.jagran.com/meerut/
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