Monday, December 8, 2014

You know, now just a click Kashi appeared on ...

काशी की महत्ता को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की दिशा में काशी हिंदू विश्वविद्यालय व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने पहल की है। इन्होंने इस शहर की हर छोटी बड़ी जानकारी जुटाई और इसे वेबसाइट पर डाल दिया है। बस एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे जरूरी फोन नंबर, कार्यक्रम, बनारस की ऐतिहासिक व पौराणिक जानकारी।

छात्रों का कहना है कि इसे चार प्रमुख भागों में बांटा गया है। जीवंत नगरी काशी को इंटरनेट पर नवीन तरीके से लाना बड़ी उपलब्धि है।

नाम- छात्रों की यह वेबसाइट है ''kashiyama.com, इनका कहना है कि काशी वैश्विक महत्व की नगरी है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। इसे तैयार करने वाले छात्रों में शामिल हैं सुमित, अंकुर सिंह, अजित शुक्ला और सुदीप्त मणि। विद्यापीठ के डा. अनिल कुमार उपाध्याय, डा. प्रभाशंकर मिश्र, डा. केशरीनंदन शर्मा आदि ने इन विद्यार्थियों को प्रेरित किया और सुझाव भी दिए।

वेबसाइट पर सुबह-ए-बनारस, गीत-नृत्य व वाद्य की होगी गूंज-

कबीरचौरा मठ में सहेज कर रखी गई 700 पांडुलिपियों का केंद्रीय संस्कृति विभाग डिजिटलाइजेशन कराएगा। इसमें कबीर की वाणियों के साथ ही रामायण की भी पांडुलिपि शामिल है। निरीक्षण के लिए पहुंचे संस्कृति सचिव ने मठ का कोना कोना देखा। फिजी के भक्तों द्वारा 1033 में बनवाए गए साधना स्थल के बारे में जानकारी ली और कबीर से जुड़ी वस्तुओं को देखा। चोरी गई माला के बारे में भी आचार्य विवेकदास से जानकारी ली। नीरू नीमा टीला पर बनाए जा रहे कबीर झोपड़ी स्थल के बारे में भी जानकारी ली।

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में संगीत नाटक अकादमी अनूठा बनारस उत्सव सजाएगा। बनारस से जुड़े गीत-संगीत तो होंगे ही लोक नृत्य, ललित कला व साहित्यिक थाती सजी संवरी नजर आएगी। माह के अंत में 25 से 27 दिसंबर तक आयोजन होगा जिसकी झलक बीएचयू से सारनाथ तक नजर आएगी। बनारस के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दौरान अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद होंगे, ऐसे में इस अनूठे उत्सव का श्रीगणेश भी उनके हाथों हो सकता है।

संस्कृति सचिव रवींद्र सिंह ने शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय से सारनाथ तक विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया, इसका खाका भी खींचा। इसमें तय किया गया कि सांस्कृतिक आयोजन बीएचयू और सामने घाट स्थित ज्ञानप्रवाह में होंगे। इसमें काशी की विलुप्त हो रही परंपराओं को भी खास तौर पर स्थान दिया जाएगा। इसका समापन सारनाथ स्थित धमेख स्तूप के सामने होगा। इस बीच बनारस से जुड़े अन्य स्थलों पर भी विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। इन्हें हरी झंडी अभी सोमवार तक मिल पाएगी। अधिकारियों के साथ बैठक में संस्कृति सचिव ने अस्सी घाट पर सुर राग से संवर रहे सुबह ए बनारस को केंद्रीय संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर रोजाना अपडेट करने का निर्देश दिया। इसमें गंगा आरती, वेद मंत्रोच्चार, सुर साज और पूरा आयोजन समाहित होगा। इसी तर्ज पर सारनाथ में भी उन्होंने नैत्यिक आयोजन का निर्देश दिया।

संवरेगा भारत माता मंदिर- संस्कृति सचिव भारत माता मंदिर देख अचंभित हो उठे। इसका ठीक रख रखाव न होते देख हैरान भी हुए। प्रस्ताव लेकर इसमें हुई टूट फूट दूर करने का अधीक्षण पुरातत्वविद् अजय श्रीवास्तव को निर्देश दिया।

तिब्बती आयुर्वेद पद्धति का विस्तार-संस्कृति सचिव ने केंद्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय में पारंपरिक कला थंका, तिब्बती काष्ठ कला के नमूने और भोट भाषा के ग्रंथ देखे। तिब्बती आयुर्वेद पद्धति सोवा रिग्पा पद्धति को विस्तार का निर्देश दिया।

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