देखा जाए तो पूरे देश में सबसे चर्चित लोक सभा सीट के रूप में वाराणसी ही है। इसका कारण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, वहीं काशी विश्व की धार्मिक राजधानी भी है। यहां के विकास को लेकर चारों तरफ चर्चाएं आम हैं। वजह यह कि प्राचीन नगरी के रूप में बनारस मंदिरों का शहर, शिक्षा व पर्यटन के लिहाज से देश का बहुत बड़ा अंग है।
बावजूद इसके अभी तक इसके विकास के नाम पर सौतेला व्यवहार होता रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां आम जनमानस में खुशियों की लहर दौड़ रही है। ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो वृहस्पति को धार्मिक कार्यो धर्म परिक्षेत्र तथा धर्म भाव व धन का कारक ग्रह माना गया है। ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार वर्तमान में आकाश में वृहस्पति का संचरण कर्क राशि पर है। यह अभी वक्रीय है। आगे कर्क पर फिर संचरण करेगा।
ज्योतिष शास्त्र में वृहस्पति को कर्क राशि में उच्च का माना जाता है। इस वजह से जब जब वृहस्पति कर्क राशि का होता है तो उस समय धर्म स्थल, धार्मिक नगरी, धर्म की जय-जयकार चारों तरफ होती है। वहीं मोदी की कुंडली में भी चंद्रमा की महादशा में वृहस्पति का अंतर आ गया है। यह 30 अक्टूबर 2014 से दो मार्च 2016 तक रहेगा। वृहस्पति शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, आचार-विचार, सर्वधर्म व यश का कारक भी है।
फलस्वरूप बनारस सहित पूरे देश में शिक्षा, धर्म-ज्ञान से जुड़े जो भी कार्य रुके हुए हैं, उन सभी कार्यो को वृहस्पति पूरा कराएंगे। साथ ही चल रही मोदी की कुंडली में चंद्र की महादशा में वृहस्पति का अंतर, यह योग गजकेशरी योग का फल दे रहा है। फलत: बनारस का विकास कार्य तेजी से होने लगा है।
आगे देखा जाए तो बनारस व मोदी की कुंडली में 30 गुण मिलते हैं। यह बनारस के विकास के लिए अद्भूत योग है। वाराणसी की वृष राशि है। राशि से सप्तम में बैठा शनि चतुर्दिक विकास की ओर उन्मुख कर रहा है। इसी कुंडली में पराक्रम में बैठा गोचर का वृहस्पति विकास के पथ पर सर्व अग्रणी रखेगा। सब मिलाकर बनारस, मोदी तथा गोचर में कर्क पर वृहस्पति का संचरण, काशी के विकास के लिए शुभ होगा।
बावजूद इसके अभी तक इसके विकास के नाम पर सौतेला व्यवहार होता रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां आम जनमानस में खुशियों की लहर दौड़ रही है। ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो वृहस्पति को धार्मिक कार्यो धर्म परिक्षेत्र तथा धर्म भाव व धन का कारक ग्रह माना गया है। ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार वर्तमान में आकाश में वृहस्पति का संचरण कर्क राशि पर है। यह अभी वक्रीय है। आगे कर्क पर फिर संचरण करेगा।
ज्योतिष शास्त्र में वृहस्पति को कर्क राशि में उच्च का माना जाता है। इस वजह से जब जब वृहस्पति कर्क राशि का होता है तो उस समय धर्म स्थल, धार्मिक नगरी, धर्म की जय-जयकार चारों तरफ होती है। वहीं मोदी की कुंडली में भी चंद्रमा की महादशा में वृहस्पति का अंतर आ गया है। यह 30 अक्टूबर 2014 से दो मार्च 2016 तक रहेगा। वृहस्पति शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, आचार-विचार, सर्वधर्म व यश का कारक भी है।
फलस्वरूप बनारस सहित पूरे देश में शिक्षा, धर्म-ज्ञान से जुड़े जो भी कार्य रुके हुए हैं, उन सभी कार्यो को वृहस्पति पूरा कराएंगे। साथ ही चल रही मोदी की कुंडली में चंद्र की महादशा में वृहस्पति का अंतर, यह योग गजकेशरी योग का फल दे रहा है। फलत: बनारस का विकास कार्य तेजी से होने लगा है।
आगे देखा जाए तो बनारस व मोदी की कुंडली में 30 गुण मिलते हैं। यह बनारस के विकास के लिए अद्भूत योग है। वाराणसी की वृष राशि है। राशि से सप्तम में बैठा शनि चतुर्दिक विकास की ओर उन्मुख कर रहा है। इसी कुंडली में पराक्रम में बैठा गोचर का वृहस्पति विकास के पथ पर सर्व अग्रणी रखेगा। सब मिलाकर बनारस, मोदी तथा गोचर में कर्क पर वृहस्पति का संचरण, काशी के विकास के लिए शुभ होगा।
Source: Daily Horoscope 2015
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