Thursday, December 25, 2014

Lord came, brought the message of love

बुधवार को जैसे ही रात के बारह बजे। शहर के सभी गिरजाघरों में घंटा(वेल) बजने लगे। लोग एक दूसरे को यीशु के जन्मदिन की बधाई देने लगे। कोई 'हैप्पी क्रिसमसÓ तो कोई 'मैरी क्रिसमसÓ कहते हुए दिखा। नगर के सभी चर्चो में प्रभु की याद में ईश वंदना, कैरले सांग्स के साथ साथ उपहार भी बांटे गए।

पत्थर गिरजाघर, सेंट जोसेफ चर्च, मेथोडिस्ट चर्च, सेंट पॉल चर्च,म्योराबाद स्थित सेंट पीटर्स चर्च, चौक स्थित 'चौक चर्चÓ की तो बात ही अलग नजर आ रही थी। रंग-बिरंगे झालर,दर्शनीय डेकोरेशन और नवीन परिधानों में प्रभु की पूजा में लीन लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। सुर्ख लाल जोड़े में सेंटा क्लाज तो हमेशा की भांति बच्चों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इनके द्वारा देय उपहार बच्चों के साथ -साथ बड़ों को भी लुभा रहे थे।

आशा का संदेश लेकर आता है यीशु का जन्म: फादर डिसूजा

नाजरेथ अस्पताल, सिविल लाइंस के निदेशक फादर रेजिनाल्ड डिसूजा ने बताया कि आज का दिन समाज के लिए नया सवेरा लेकर आया था। प्रभु यीशु के जन्म से संसार में खुशियां ही खुशियां छा गई थी। फादर डिसूजा ने कहा कि प्रभु इस धरा पर गरीब बनकर आए। उन्होंने गरीबों को अपनाकर उनकी भरपूर सेवा की तथा अनेक तकलीफों से उन्हें निजात भी दिलाई। इस अवसर पर कैथोलिक डायोसिस के साधना सदन के फादर लियो सिक्वेरा ने कहा कि क्रिसमस मानव जाति के प्रति ईश्वर के असीम प्रेम की जीवंत घटना है। प्रभु ने अपने जीवन, वचन, आचरण व कार्य से उच्च मानदंड स्थापित किए थे। वे सदैव ही हमारे साथ रहते हैं। उन्होंने कहा था, ' मैं सदा तुम्हारे साथ हूं, हां संसार के नश्वर होने तक।Ó

प्रेम व शांति से ही खुलता है समृद्धि का द्वार-

'विकास व समृद्धि के लिए आपसी प्रेम व सद्भावना अपरिहार्य है। शांति से ही विकास का रास्ता प्रशस्त होता है। प्रभु यीशु ने जीवन के अंतिम समय तक केवल और केवल परस्पर प्रेम का पाठ पढ़ाया। क्रिसमस के शुभ अवसर पर हमें उनके द्वारा बताए गए राह पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।Ó क्रिसमस के पावन दिवस पर यह उद्गार कैथोलिक डायोसिस इलाहाबाद के बिशप राफी मंजिल का है। उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु ही दैविक अनुकम्पा के सर्वोच्च रूप हैं। इन्होंने गरीबों, पीडि़तों, शोषितों और अन्याय सहने वालों की पीड़ा को महसूस किया। ऊंच-नीच, जाति भेद व लिंग भेद से उत्पन्न सभी प्रकार के अत्याचारों के खिलाफ ईशा ने हमेशा ही आवाज उठाई। आज के दिन हमें उनके नेक विचारों को आत्मसात करने का बीड़ा उठाना चाहिए।

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