भले ही क्रिसमस भारत का मूल त्योहार नहीं है, फिर भी यह त्योहार भारतीय संस्कृति के साथ पूरी तरह घुल मिल गया। हमेशा से ही यह पर्व यहां के लोगों में खुशियों के साथ सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करता रहा है।
दरअसल 16 दिसंबर के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और 25 दिसंबर को रात-दिन बराबर। इसीलिए प्राचीन रोम में 25 दिसंबर को 'सूरज की विजयÓ का दिन मनाया जाता था। इसके चलते कुछ समय बाद इस पर्व को 'स्टेट रिलीजनÓ घोषित कर 'क्राइस्ट द सनÓ का रूप प्रदान कर दिया गया। तभी से क्रिसमस को प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
बाइबल के मुताबिक ईश्वर ने अपने भक्त याशायाह के माध्यम से 800 ईसा पूर्व ही भविष्यवाणी कर दी थी कि दुनिया में एक राजकुमार किसी पवित्र कुमारी की कोख से जन्म लेगा। उसका नाम इमेनुएल (ईश्वर हमारे साथ) रखा जाएगा। ऐसा ही हुआ भी। यीशु के जन्म की सबसे पहली खबर संसार के उन सबसे निर्धन, गरीब और भोले-भाले लोगों को मिली, जो दिनभर की कड़ी मेहनत एवं परिश्रम से अपनी भेड़ों को चराने के बाद सर्दियों की रात में खुले आसमान के नीचे उनकी रखवाली कर रहे थे। यीशु एक गरीब की गोशाला में घास पर जन्मे।
दरअसल 16 दिसंबर के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और 25 दिसंबर को रात-दिन बराबर। इसीलिए प्राचीन रोम में 25 दिसंबर को 'सूरज की विजयÓ का दिन मनाया जाता था। इसके चलते कुछ समय बाद इस पर्व को 'स्टेट रिलीजनÓ घोषित कर 'क्राइस्ट द सनÓ का रूप प्रदान कर दिया गया। तभी से क्रिसमस को प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
बाइबल के मुताबिक ईश्वर ने अपने भक्त याशायाह के माध्यम से 800 ईसा पूर्व ही भविष्यवाणी कर दी थी कि दुनिया में एक राजकुमार किसी पवित्र कुमारी की कोख से जन्म लेगा। उसका नाम इमेनुएल (ईश्वर हमारे साथ) रखा जाएगा। ऐसा ही हुआ भी। यीशु के जन्म की सबसे पहली खबर संसार के उन सबसे निर्धन, गरीब और भोले-भाले लोगों को मिली, जो दिनभर की कड़ी मेहनत एवं परिश्रम से अपनी भेड़ों को चराने के बाद सर्दियों की रात में खुले आसमान के नीचे उनकी रखवाली कर रहे थे। यीशु एक गरीब की गोशाला में घास पर जन्मे।
Source: Weekly Horoscope 2015
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